tag:blogger.com,1999:blog-68990538082680594912024-03-04T23:16:43.039-08:00कतरन...वो खबरें..जो पास से होकर गुजर जाती है..वो खबरें जो शोर नहीं मचाती..वो खबरें जो खामोशी से आक्रोश की इबादत लिखती रहती हैं..ऐसी खबरों को समर्पित ब्लॉग..सुबोधhttp://www.blogger.com/profile/10810549312103326878noreply@blogger.comBlogger85125tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-1392270023971641792011-09-09T20:39:00.000-07:002011-09-09T20:40:25.021-07:00रिश्तों की कहानी..<span class="Apple-style-span" style="font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; background-color: rgb(255, 255, 255); ">रिश्तों की प्यारी सी कहानी..<br />कही अनकही..छुई अनछुई...<br />बेहद खुबसुरत भगवान का तोहफा...<br />हर रिश्ते की अपनी खुबसूरती लिए...<br />एक दम आसमान में फैले एक इन्द्रधनुष की छठा लिए...<br />प्यार, सम्मान, मजाक, सुख से सजे ये रिश्ते..<br />और रिश्तों की प्यारी सी कहानी...</span>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-13398101188451004822010-02-24T23:59:00.000-08:002010-02-25T00:11:37.787-08:00होली के दौरान...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgaV9IxKBEYVL7n0RhRUCbiy5oEL32O7d0ghAU0DKLCweZPU5GJjkcrDh0hyphenhyphenAs2ExBZhydhNy3qYYk0iMTCFoHqMNxQugT8XnouwgRAqtwjm232_V1KKfLLr2CQS026ylf1B2pzdiwvwSg/s1600-h/hin_holi_c-16.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5442090668676603218" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 400px; CURSOR: hand; HEIGHT: 267px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgaV9IxKBEYVL7n0RhRUCbiy5oEL32O7d0ghAU0DKLCweZPU5GJjkcrDh0hyphenhyphenAs2ExBZhydhNy3qYYk0iMTCFoHqMNxQugT8XnouwgRAqtwjm232_V1KKfLLr2CQS026ylf1B2pzdiwvwSg/s400/hin_holi_c-16.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">होली के रंगों में केमिकल बहुत ज्यादा मिला होता है। यही नहीं, इनमें कपड़ों को रंगने वाले केमिकल यूज किए जाते हैं। ऐसे में आपकी स्किन को नुकसान पहुंच सकता है। स्किन होली के रंगों से डिस्कलरेशन यानी बद-रंग, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस, अब्रेशन यानी छिलन या खरोंच, खुजली, रूखापन जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।</span> </em></div><br /><div><em>दरअसल होली के रंगों में केमिकल यूज किए जाते हैं। इससे खुजली या फुंसी हो सकती है। स्किन पर कलर लगने इसे उसमें रूखापन आ जाता है। होली के रंगों या गुलाल में कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जैसे ऑक्साइड ग्लास पार्टिकल्स, अभ्रक चूर्ण वगैरह, यहां तक की एनीलिन भी मौजूद होते हैं, जो कपड़ों को रंगने में यूज किए जाते हैं। कॉपर सल्फेट जैसे हरे रंग में क्रोमियम और ब्रोसाइड होते हैं, जबकि काले रंग में ऑक्साइड होता है। चूंकि ये पदार्थ होली के रंगों से कच्चे रूप में मौजूद होते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल स्किन के लिए ठीक नहीं है। टेट्राथिलीन, लीड, बेंजीन जैसे खुशबू बिखरने वाले पदार्थ के कारण स्किन ड्राई हो जाती है। हालांकि ये सभी प्रारंभिक स्तर के इरिटैंट हैं। </em></div><br /><div><em><strong>स्किन केयर</strong> आप जब होली खेलने निकले तो अपनी पूरी बॉडी पर मॉइश्चराइजर या क्लींजिंग मिल्क लगा लें। इससे आपकी आपकी स्किन पर रंग नहीं चढ़ेगा या फिर वह धोने पर उतर जाएगा। कोशिश करें कि होली पर हर्बल कलर यूज करें। आप मोटे कपड़े पहने, जिससे स्किन पर कलर न लगे। नाखूनों पर नेल पेंट लगा लें। इससे नाखूनों पर रंग नहीं चढ़ेगा। हरे, पीले व नारंगी रंगों से बचना चाहिए, क्योंकि इनमें मौजूद केमिकल्स से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। अगर आने आने लगे तो कैलामाइन लोशन का प्रयोग करें। बालों व त्वचा को साबुन आदि से रगड़ना नहीं चाहिए। </em></div><br /><div><em>हेयर होली के रंगों में मिले केमिकल से बालों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। अगर होली के रंगों को देर तक बालों में लगा छोड़ दिया जाए, तो इससे बाल रूखे हो जाते हैं। हालांकि बालों की जड़ या सिर की स्किन को इससे कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता है, मगर बालों का टूटना शुरू हो जाता है। रंगों में मौजूद रासायनिक पदार्थों व धूल वगैरह के कारण भी बालों में एलर्जी हो सकती है। </em></div><br /><div><em><strong>हेयर केयर</strong> होली खेलने से एक दिन पहले आप अपने बालों की अच्छे से मसाज कर लें और बालों में तेल को लगा रहने दें। इससे आपको बालों पर कलर नहीं चढ़ेगा। आप जब होली खेलकर आए, तो तुरंत गुनगुने पानी से बाल धो लें और फिर बालों में तेल लगा लें। इससे आपके बालों को नुकसान नहीं होगा। </em></div><br /><div><em>आंख होली के दौरान आई एलर्जी, अस्थायी या स्थायी अंधापन, दृष्टि दोष, आंखों की रोशनी कम होना, कंजक्टिवाइटिस, कॉर्निया में जामुनी रंग और आंख में सूजन वगैरह हो सकती है। चूंकि आंखें बेहद ही नाजुक होती हैं, इसलिए होली पर इन पर चोट लगने की ज्यादा संभावना होती है। होली पर इस्तेमाल किए जाने वाले रंग आंखों को निम्न तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं। - गुलाल में मिला कांच का चूरा, अभ्रक चूर्ण, पत्थर का चूरा वगैरह से रेटिना, कॉर्निया और आंखों के अन्य संवेदनशील हिस्सों को नुकसान पहुंच सकता है। - होली के समय बलून से लगने वाली आम चोटें हैं, जो कभी गंभीर भी हो सकती हैं। आंखों की देखभाल केमिकल कलर का इस्तेमाल अपने चेहरे पर न करें। </em></div><br /><div><em>आंखों के आसपास आईज क्रीम लगा लें। इससे आपकी आंखों आसपास की स्किन व पलकों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-74454110137550331252010-01-06T23:05:00.000-08:002010-01-07T08:20:38.499-08:00मीडिया के यमराज ....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4EKC5Fy-3TC0LYFm1KE2-BHfkCij-M5RtWKeLvsclpf7kBsJS5XKLVEhuxmTMoUvrpFjGrCIfwncvdObEKcahHyrK3emBx9RV2prxWaFMbODDXnPo1yEd8OqJq8SWJSY5H81y2sXhwqMX/s1600-h/YAMRAJ11[1].jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5423914752377444002" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 240px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4EKC5Fy-3TC0LYFm1KE2-BHfkCij-M5RtWKeLvsclpf7kBsJS5XKLVEhuxmTMoUvrpFjGrCIfwncvdObEKcahHyrK3emBx9RV2prxWaFMbODDXnPo1yEd8OqJq8SWJSY5H81y2sXhwqMX/s320/YAMRAJ11%5B1%5D.jpg" border="0" /></a><br /><div><strong><em>पत्रकारिता से जुड़ा हर दूसरा आदमी दबाव से परेशान है... ऊपर बैठा हर आदमी अपने नीचे वालों पर चढ़कर..उसे मसल कर आगे आना चाहता है...या फिर किसी को आगे बढ़ते हुए नहीं देख सकता है... पत्रकार जो कभी सबकी आवाज उठाने का दम रखते थे... आज खुद अपनी तबाही पर खामोश हैं... पत्रकारिता कर रहा लगभग हर आदमी किसी न किसी बीमारी का शिकार हो रहा है...कोई दिक्कत को समझना नहीं चाहता...आखिर ऐसा हो क्यों हो रहा है... पत्रकारिता प्रेशन कुकर क्यों बनती जा रही है...आखिर क्यों आप हम ये नहीं समझ रहे कि इस दौड़ का अंत कितना दर्दनाक है...कोई खुश नहीं है...खुद सोचिए बतौर पत्रकार आप कहां खड़े हैं... आखिर हम सब कर क्या कर रहे हैं... हम खुद टेंशन की उंगली पकड़कर खुद को दर्दनाक मौत की तरफ ढ़केल रहे हैं... अशोक उपाध्याय जी को याद करिए... उनकी मौत सामान्य मौत नहीं थी....उनकी मौत मर्डर थी... और उनको मौत के मुंह में ढकेलने वाले वही थे...जो रहनुमाओं का दंभ पाले मीडिया को मारने पर उतारु हैं...रोज रोज झूठ की कब्र खोदकर...पत्रकारिता को जिंदा दफन करने में जुटे हैं... अशोक जी मरे नहीं मारे गए... वो खामोशी से सबकुछ सही होने का इंतजार करते रहे... लेकिन उनकी खामोशी को कमजोरी समझकर पत्रकारिता के दलाल अपना उल्लू सीधा करते रहे... सवाल ये है कि जिस पत्रकारिता ने देश की आज़ादी के लिए आवाज़ उठाई... तो अपने लिए बोलने की ताकत क्यो नहीं है... हम सब चुप क्यों है...क्यों हमसब मैनजमेंट के हाथ की कठपुतली बन कर रह गए है... क्यों हम आपने लिए आवाज नहीं उठा रहे है...आज अशोक जी गए है..कल हम आप में से कोई भी जा सकता है...इससे पहले कि जिंदगी मौत से बदतर बन जाए...क्यों ना जिंदगी को गले लगा लिया जाए...और अपने दिल से बोला जाए आल इज वेल...क्योकि टेंशन हमें सिर्फ जिंदगी से बदतर जिदंगी देगी... लेकिन जिन्दगी आपको वो सब देगी..जो आप चाहते है...जो आपका सपना है...तो अब देर मत करिए...आगे बढ़िए और जिंदगी के एक भी दिन को जाया न होने दीजिए...ये मेरी हर मीडिया से जुड़े ... मेरे जैसों से विनती है...फिलहाल कहने को बहुत कुछ है</em>....</strong></div><br /><div>(शालिनी राय) ....</div><br /><div><strong><em><span style="color:#ff0000;">एक कहानी और है गौर से पढ़िएगा...ये गुस्सा अशोक जी की मौत पर था... मेल काफी दिन से मेरे पास पड़ी थी... पब्लिश कर रही हूं...इस घटना के पात्र ना तो काल्पनिक हैं...और ना ही घटना... गौर से पढ़िएगा तो पात्रों के चेहरे आपके सामने होंगे</span></em></strong>...</div><br /><div>एक चिरौंजी लाल गुप्ता जी हैं... साम दाम दंड भेद के साथ साथ ईमेल से भी मीडिया में रहने के गुर जानते हैं... खुद को मशहूर मानते हैं और उनके अलावा सभी उन्हें कुख्यात... ह्यूमन बम मानते हैं... लेकिन ये ह्यूमन बम राजनीति की आदत में अशोक जी को न शामिल करे तो ये उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा... कमीनपने की हद तक गिरने वाला ये शख्स (ये खुद इन्होंने हस्ताक्षर करके माना है) अशोक जी के नाम पर खुद को बड़ा साबित करने के लिए इतना बेचैन है कि इसने एक फिक्शन लिख दिया औऱ अपने शब्द अशोक जी के नाम से प्रकाशित करवा दिए हैं... सुनो मिस्टर चिरौंजी लाल... अशोक जी ऐसा कह ही नहीं सकते कि काम करने का मन होता है... ये मैं नहीं अपने अलावा दुनिया में किसी से भी पूछ लीजिए... और जो तथाकथित उनकी भाषा आपने लिखी है न उससे बाज़ आइए वरना पिटेंगे... आप अशोक जी को नहीं जानते थे... सिर्फ एक दफ्तर में काम करने से किसी को जानने का दावा मत कीजिए... मैं तुम्हारे दफ्तर में काम नहीं करता हूं लेकिन तुम्हें जानता हूं... तो अशोक जी के लिए ऐसी बात लिखना पाप नहीं गुनाह है... क्योंकि चिरौंजी लाल तुम पाप पुण्य से आगे निकल चुके हो... सुनो चिरौंजी लाल... अशोक जी नाइट शिफ्ट से खुश नहीं परेशान थे... अगर उन्होंने तुमसे ये बात नहीं कही तो सिर्फ इस लिए क्योंकि तुम इसमें भी कोई राजनैतिक एंगल ढूंढ कर उन्हें परेशान करते... औऱ सुनलो चिरौंजी वो कभी किसी से (और खास कर तुम जैसे कमीने आदमी से) ये नहीं कह सकते कि आप एंकरिंग करदो मज़ा आ जाएगा क्योंकि तुम्हारी एंकरिंग से कभी किसी को कहीं भी मज़ा नहीं आता... चाहे अपने डेस्क में पूछ लो... पीसीआर में... एमसीआर में... या एक-आधे दर्शक से... और वो तुम्हें फोन करके ये कहेंगे कि सारे ग्राफिक्स लोड करा दिए हैं... दुनिया का कोई आदमी ये कहदे की ये अशोक जी की भाषा है तो सवा रुपय हार जाउंगा...(क्योंकि तुम्हारी औकात इससे ज़्यादा नहीं है)... तुमने बहुत कुछ ऐसा लिखा है जिसके बाद तुम्हें मारने औऱ सिर्फ मारते रहने का मन हो रहा है... लेकिन बात अशोक जी की है तो उनके शब्दों में कह रहा हूं... " जाने दे न यार... अपन को काम से मतलब है...टेंशन मत ले यार..." उनसे उम्र... पद और गुणों में बहुत छोटा हूं... तो उनके इस शब्द यार में छोटे भाई का प्यार झलका... औऱ यही प्यार है जिसकी वजह से सिर्फ तुम्हें मारते रहने का मन कर रहा है....(ईमेल)</div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-84190088191706017722010-01-04T01:11:00.000-08:002010-01-04T01:15:18.507-08:00कोई पत्थर आसमान की तरफ जाते हुए देखा...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjCiqMm1Me1BkCHoR-RcmwN6QVe-rDDR4_FWpmKKly7T1mV7saWz_L7TrNir7UaF9Uud0wAOnvq6EZfTUbKj64baz6-s81uIi7qPLQ9OZoxDBxvmO8sH43mBc-AGCaqRPEC6a4qYUAxEes/s1600-h/girl-sky.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5422810633310897186" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 385px; CURSOR: hand; HEIGHT: 400px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjCiqMm1Me1BkCHoR-RcmwN6QVe-rDDR4_FWpmKKly7T1mV7saWz_L7TrNir7UaF9Uud0wAOnvq6EZfTUbKj64baz6-s81uIi7qPLQ9OZoxDBxvmO8sH43mBc-AGCaqRPEC6a4qYUAxEes/s400/girl-sky.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">कहते तो आपने बहुत लोगो को सुना होगा..एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो...लेकिन क्या आपने वाकई ऐसा कोई पत्थर आसमांन की तरफ जाते हुए देखा...जी हां सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा... लेकिन ऐसा वाकई हुआ है...अपने काम से देश ही नहीं विदेश में भी अपनी कार्यकुशलता का परचम लहरा चुकां ये ग्रुप तो कुछ ऐसा ही आज चमक रहा है... र्ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स तक को प्रभावित करने वाले मुंबई के डब्बेवाले इस वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं।</span> लंदन के प्रिंस चार्ल्स ने मुंबई यात्रा के दौरान उनसे भेंट की थी। प्रिंस ने बाद में उन्हें अपनी शादी में भी बुलाया था। इतना ही नहीं इन डब्बेवालों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रबंधन स्कूलों ने अपने छात्रों को व्याख्यान देने के लिए भी आमंत्रित किया था।<br />'गणतंत्र दिवस की परेड में ये मुंबई की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करेंगे। परेड के लिए लगभग 15 डब्बेवालों का चयन किया गया है, जिन्हें संगीत और नृत्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसका वे परेड के दौरान प्रदर्शन करेंगे।'<br />अपने सफल व्यवसाय के दौरान कोडिंग सिस्टम का उपयोग करने वाले डब्बेवाले मुंबई के लगभग दो लाख कामकाजी लोगों और स्कूली बच्चों को प्रति दिन टिफिन पहुंचाते हैं। नूतन मुंबई टिफिनबॉक्स सप्लायर्स के अध्यक्ष रघुनाथ मेडगे ने कहा, 'यह किसी सपने के सच होने जैसा है</em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-73456663355159811252009-12-28T21:05:00.000-08:002009-12-28T21:46:18.164-08:00नए साल में...ऐ जिंदगी गले लगा ले..<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmTPFnrV4OLhzFvdbJXJF2Ck9b3GWL55attL3w8Vim5tJJp3ctUdY_KQJ3u5NGijNd-Ly933pTMG3oWhNw1hb3IRnl-CalXGBO2zGgxRxOrmi_-graXG7OHN3LbjVFdyJqEGwpQIi41l8/s1600-h/Family+Pics-collage.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5420529510700987746" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 400px; CURSOR: hand; HEIGHT: 250px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmTPFnrV4OLhzFvdbJXJF2Ck9b3GWL55attL3w8Vim5tJJp3ctUdY_KQJ3u5NGijNd-Ly933pTMG3oWhNw1hb3IRnl-CalXGBO2zGgxRxOrmi_-graXG7OHN3LbjVFdyJqEGwpQIi41l8/s400/Family+Pics-collage.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">ऑफिस का कॉम्पिटिशन, सुबह की जॉगिंग, थिएटर में पॉपकॉर्न टटोलती उंगलियां या फिर सोने के पहले सोचने जैसा कुछ, यही सब मिलकर बनाता है जिंदगी को। हमें इस जिंदगी से तमाम शिकायतें हैं, मगर उन शिकायतों की पूंछ में लिपटी आती हैं तमाम उम्मीदें और उन्हें पूरा करने के लिए जोश।<br /></span>हमारे मकसद में एक तपिश है, जो मुश्किलों के पहाड़ को धीरे-धीरे ही सही, पिघलाने का माद्दा रखती है, बशर्ते हम ठंडे न पड़ जाएं। इसलिए जिस कोने में कभी आपकी सेहत, तो कभी आपकी जेब को बचाए रखने और बेहतर करने के नुस्खे सुझाए जाते हैं, उस पर हमने इस बार जिंदगी की हरारत से जुडे़ कुछ ख्यालों को जगह दी है। वजह सिर्फ इतनी कि जिंदगी को बांहों में भींचने के लिए हमें भी तो कुछ करना होगा। तो नए साल से पहले जिंदगी को नई नजर से निहारने की कोशिश कर रहे हैं सौरभ द्विवेदी :<br /><br /><span style="color:#ff0000;">खिल-खिल-खिल कर हंस दें<br /></span>एक ही स्कूल, कॉलेज और दफ्तर में तमाम ऐसी शक्लें हैं, तमाम ऐसी आवाजें हैं, जो कभी हमें पसंद थीं। फिर एक दोपहर या शाम किसी बहस ने जंबो साइज हासिल कर लिया और हमारी मुस्कानों के बीच में इगो का सोख्ता आ गया, जिसने रिश्तों की सारी नमी को सोख लिया। कोई दोस्त, कोई कलीग या फिर कोई रिश्तेदार, जिसके साथ आपने कभी न कभी कुछ अच्छा वक्त जरूर बिताया है, अब उससे बात करने का, उसे देखने का दिल भी नहीं करता। तो कोशिश करें कि अच्छी यादों को बुरी यादों के ऊपर जीत हासिल हो। हम यह नहीं कहते कि ऐसी हर गलतफहमी या मनमुटाव को खत्म कर धर्मात्मा बन जाएं, मगर हां चुप्पी के कुछ सन्नाटों को एक हंसी के कहकहे के साथ खत्म किया जा सकता है। क्या पता आपकी हंसी फिर से नमी पैदा कर दे? और हां इन सबसे दूर हंसी की डेली डोज भी जरूरी है। आपसे किसी ने कभी तो कहा होगा, वेन यू स्माइल, यू डू वेल। सो डू वेल इन लाइफ।<br /><span style="color:#ff0000;">हरी-भरी दुनिया पर टिकती हैं आंखें</span><br />ऑफिस है, काम है, घर की जिम्मेदारियां हैं, बीवी है, बच्चे हैं, एक फिक्स्ड रुटीन है। दोस्त हैं, दुश्मन हैं, सब कुछ है, मगर फिर भी कुछ है जो अधूरा-सा लगता है। शायद हमारे आसपास बदलती दुनिया के साथ हमारा रिश्ता बड़ा कामकाजी-सा हो गया है। तो फिर हम एक नए कुछ-कुछ बचपने-से-भरे एक्सपेरिमेंट पर हाथ आजमा सकते हैं। एक नन्हा-सा गमला, जिसमें हम खुद से इंतजाम कर भरेंगे, मिट्टी। मिट्टी भरते समय एक लंबी सांस ताकि नाक जो गीली मिट्टी की खुशबू भूल चुकी है, ताजादम हो जाए। इस सबके बाद अपनी पसंद का कोई एक पौधा। ये तुलसी भी हो सकता है और गुलाब भी। उस पौधे या कलम को गमले में रोप दें। थोड़ा-सा पानी, थोड़ी-सी धूप, इसका रखें ध्यान। और हां कुछ ही दिनों बाद वह पौधा, जो आपकी स्टडी टेबल वाली खिड़की या रोशनदान के नीचे वाली जगह पर सुस्ता रहा है, आपका ध्यान खींचने लगेगा। उसका बढ़ना, उसके जिस्म पर नई-नवेली पत्तियों का आना, उसकी तली यानी मिट्टी में भुरभुरापन पैदा होना, सब कुछ आपको अलहदा लगेगा। दरअसल, मन किसी को हमारे प्यार की हरारत पा बढ़ते देख खुश हो जाता है। तो जनाब देर किस बात की, एक गमला तलाशना शुरू करिए और हां याद रखिए, हमारे अपने भी ऐसी ही हरारत की उम्मीद रखते हैं।<br /><span style="color:#ff0000;">कह दूं तुम्हें</span><br />ऑफिस में बॉस की नई टाई नोटिस करते हैं, मगर बीवी ने कान के बुंदे कब बदले, यह याद नहीं। स्टेशनरी खत्म हो गई, यह याद है, मगर बेटी के कलर ब्रश लाना रोज भूल जाते हैं। आपकी डेस्क कुछ ज्यादा साफ है, होटेल में वेटर ने वाकई अच्छी-सी मुस्कान के साथ सर्व किया या फिर उम्मीद के उलट ब्लूलाइन के कंडक्टर ने या फिर ऑटो वाले ने मुस्कराकर आपको चौंका दिया, हर बार जरूरत होती है झिझक या सुस्ती को कंधों से झटकर थैंक्यू बोलने की, कॉम्प्लिमेंट की खुराक देने की। हममें से हर कोई बदलाव को नोटिस करता है, अच्छी चीजों को अपने-अपने तईं याद रखता है, मगर फिर हम उन्हें बोलने से मुकर जाते हैं। लगता है क्या सोचेगा सामने वाला इस तरह से खुद को, खुद की चीजों को नोटिस किया जाते देखकर। सोचेगा, जरूर सोचेगा, मगर यकीन मानिए, सच्चे दिल से की गई सच्ची तारीफ उसे कुछ अच्छा ही सोचने पर मजबूर करेगी। तो फिर कह दीजिए दिल की बात, अपनों से। कुछ अपने ही अंदाज में। यह अंदाज मिसिंग यू का एसएमएस भी हो सकता है या फिर किसी पुराने दोस्त को फोन कॉल या ईमेल। प्यार भरी थपकी या फिर आंखों में ढेर सारी मीठी शरारत घोलकर बोला गया थैंक्यू भी जादू कर सकता है। तो नए साल को एक्सप्रेशन का साल बनाइए और कह ही दीजिए।<br /><span style="color:#ff0000;">बोल के लब आजाद हैं तेरे<br /></span>सड़क में गड्ढे क्यों हैं, ऑफिस में लोग दूसरों की सुविधा का ध्यान रखे बिना घंटों गॉसिप क्यों करते हैं, एक सुबह अगर हम खुद को आईने में देखें और बूढ़ा पाएं, तो ऐसे तमाम सवाल या ख्याल हमें घेरे रहते हैं और उनके बारे में सोचकर हम कसमसाते भी खूब हैं, मगर ऐसी कसमसाहट का क्या फायदा। वो कहते हैं न कि जिस गुस्से से कोई गुल न खिले, उसके होने का क्या फायदा। तो अपने आसपास की बातों के लिए, अपनी यादों के लिए या किसी और की कहानी को दुनिया को सुनाने के लिए ही सही बोलिए और अपने अंदर की आवाज को बाहर आने दीजिए। इंटरनेट की दुनिया है, चंद मिनटों की मेहनत से अपना ब्लॉग तैयार किया जा सकता है। किसी वेब पोर्टल के लिए कंटेंट तैयार किया जा सकता है। चंद हजार में आपकी अपनी वेबसाइट। हर मीडिया एजेंसी को तलाश है ऐसे ही लोगों की जो कुछ बोलना चाहते हैं, क्योंकि जमाना सिटिजन जर्नलिस्ट का है। मोबाइल पर बोलते हैं, दिन में आधा घंटे एसएमएस टाइप करते हैं।<br />तो ऐसा नहीं है कि इंडिया बोलता नहीं है, मगर इस साल ये बोल औरों तक मुकम्मल ढंग से पहुंचें, इसका इंतजाम करें। आप रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन में बोलें, किटी पार्टी के बीच में बोलें, पैरंट्स मीटिंग में बोलें, मगर जब भी बोलें, दिल से बोलें। जिन चीजों को आपने महसूस किया है, उन्हें बोलें। और हां, अगर सबके साथ अपने ख्याल साझा करने से परहेज है, तो एक दिन स्टेशनरी की दुकान के सामने रुक जाएं और अपने लिए चमड़े के जिल्द या चिड़िया के कवर वाली डायरी या कॉपी खरीद लें और इसी पर लिखें। पहला हर्फ लिखने से पहले 15 मिनट से कम नहीं लगेंगे, मगर एक बार सिलसिला निकल पड़ा तो फिर थमाए नहीं थमेगा। तो फिर बोल क्योंकि जबां अब तक तेरी है।<br /><span style="color:#ff0000;">वॉक पर चलें क्या<br /></span>सर्दियों की शाम और गर्मियों की सुबह नेचर ने उन लोगों के लिए बुनी है, जो सपनों को चुनना जानते हैं। अच्छा गोल-गोल बात नहीं, पर बताइए आखिरी बार अपनों के साथ या खुद अपने साथ वॉक पर कब गए थे? यूं ही शरीर को कुछ सुस्त-सा छोड़कर, कदमों को खुद अपनी थाप पर डोलते देखने का मन नहीं करता? एक जर्मन थिंकर था नीत्शे। कहता था कि दुनिया के सारे महान ख्याल टहलते हुए ही आते हैं। तो फिर टहलिए। कोई वक्त तय नहीं, कोई रूट तय नहीं। बस यूं ही खाना खाने के बाद या शाम की चाय से पहले टहला जाए। आसपास की चीजों को कुछ ठहरकर देखा जाए।<br />हो सकता है कि एक दुनिया समानांतर बसी हो, जिसे टाइम से ऑफिस पहुंचने या फिर जल्दी घर पहुंचने के फेर में कभी देखा ही न हो। खैर दुनिया की छोड़िए और अपने भीतर की दुनिया का ही हाल जान लीजिए। पार्क में या फिर कम ट्रैफिक वाली सड़क के फुटपाथ पर या फिर दिन के शोर से दूर किसी चुप से मैदान में टहलिए और दिमाग को डोलने दीजिए, जहां दिल करे। यकीन मानिए कुछ बेहतर महसूस करेंगे। तो फिर सोचना कैसा, वॉक पर चलते हैं। धुंध के बीच अपने ख्यालों के साथ पार्टनरशिप करते हैं और फिर घर में घुसने से पहले सिर्फ अपने कानों को सुनाते हुए कहते हैं - हेलो जिंदगी।<br /><span style="color:#ff0000;">छोटी चीजों का सुख<br /></span>कार कब ले पाऊंगा, अपने घर का क्या होगा, मशीन है मगर पूरी तरह से ऑटोमैटिक नहीं। बीवी से बनती नहीं, बॉस समझता नहीं और बच्चे, अजी कुछ पूछिए मत, कम्बख्त पढ़ते ही नहीं। तो बड़ी शिकायतें हैं हमें जिंदगी से, अपने आसपास से और उनसे पार पाने के लिए हम किसी बड़े सुख का इंतजार करते हैं। कुछ भारी-भरकम सा, बहुत अच्छा-सा होगा। सुबहों का रंग और शामों की खुशबू बदल जाएगी। मगर इस बड़ी खुशी के इंतजार में हम छोटी खुशियों को फुटपाथ किनारे ठिठुरता छोड़ देते हैं, घर लाने के बजाय। संडे सुबह की खूब अदरक वाली कड़क चाय पीते हुए बतियाना या फिर रात गए रजाई के ऊपर ही मूंगफली से मुठभेड़ करना। सब भूल गए, वक्त की आपाधापी में। सच बताएं, भूले नहीं, मगर अब महसूस नहीं करते। दाल अब भी खाते हैं, मगर उसमें ताजा धनिया पत्ती पड़ी है या फिर लहसुन, पता ही नहीं चलता। मां या पत्नी या बेटी ने नई ड्रेस पहनी और बहुत प्यारी लग रही है, मगर ठहरकर उनको देखने का सुख नहीं लपकते। पसंदीदा गाने के बोल खोजने की कौन कहे, अब तो गाने भी पूरा वक्त देकर नहीं सुने जाते। ड्राइव करते या काम करते हुए बैकग्राउंड के शोर की तरह गाने सुने जाते हैं। किताबें सिर्फ बीते बरसों या अधूरे सिलेबस की याद दिलाती हैं। मगर इन्हीं में छोटे-छोटे सुख छिपे हैं। इन्हीं से जुड़ी चीजों को करने में कभी बहुत लुत्फ आता था। हिम्मत न हारिए, बिसारिए न राम, सो अपने राम को आज से ही काम पर लगा दीजिए। कभी स्टोररूम से पुरानी मैगजीन निकालकर पलटिए या फिर एक दिन कॉपी का पिछला पन्ना फाड़कर किसी दूर के रिश्ते की बुआ या मास्टर बन चुके यार को खत लिख डालिए। हो सकता है कि दसियों बरस पहले बनाई गई अड्रेस बुक ढूंढने में वक्त लगे, मगर इस तरह से वक्त खर्चने का अलग मजा है।<br /><span style="color:#ff0000;">इन छोटी चीजों के सुख में आदतों को सहलाना शामिल है तो सभ्यता को ठेंगा दिखाते हुए हाथ से चावल खाना भी। बस ऐसा कुछ जो अच्छा लगे, जिंदगी के पूरेपन का एहसास कराए।<br /></span><span style="color:#ff0000;">खुद की मुहब्बत में पड़ गए<br /></span>और अब इस बार की आखिरी बात। हमें सब प्यार करें, इससे पहले जरूरी है कि खुद हम खुद से प्यार करें। और खुद से प्यार करना उतना ही मुश्किल है, जितना बीवी को रिझाना या गर्लफ्रेंड से पहली बार दिल की बात कहना। खुद से प्यार तभी कर पाएंगे, जब खुद के सपनों के साथ ईमानदारी से पेश आएंगे। अपनी क्षमताओं के साथ इंसाफ करेंगे और अपने लिए सबसे ज्यादा सख्त बनेंगे। मगर जनाब सवाल सिर्फ सख्ती का नहीं है। खुद से प्यार करने के लिए खुद को छूना, महसूस करना और देखना भी जरूरी है। कभी सुबह ब्रश करते या शाम को कंघी करते हुए अचानक शीशे पर नजर ठहर जाती है और हम खुद की शक्ल को एक अलग ही ढंग से देखने लगते हैं। यह मैं हूं, ऐसा दिखता हूं, मेरी आवाज ऐसी है और दुनिया मुझे और मेरे काम को इस नाम के साथ जोड़ती है। या फिर ऐसा ही कोई पहली नजर में अजीब-सा लगता ख्याल। तो फिर जल्दी से शीशे के सामने से हटने के बजाय खुद को नजर भरकर देख लें। अपनी जरूरतों का, अपनी हेल्थ का और अपने स्वादों का ख्याल रखें, मगर ऐसे कि खुद से <span style="color:#ff0000;">प्यार हो जाए, खुद पर दुलार बढ़ जाए।</span><br />नए साल में क्या कर सकते हैं, यह तो आप ही बेहतर जानते हैं। चलते-चलते सिर्फ इतना ही कि जेनरेशन एक्स, वाई, जेड के लोग अपनों से छोटों और बड़ों की बातों को हमेशा खारिज करने के बजाय समझने की कोशिश जरूर करें। और हां, नए दौर के लोग खासतौर पर अपने विचारों को कुछ वक्त के लिए ही सही, साइड पॉकेट में रखकर बुजुर्गों की सुन लें, क्योंकि जो उनके पास है वह कहीं नहीं। किसी कवि की इन पंक्तियों के साथ आप सबको हैपी जिंदगी का नया साल मुबारक हो।<br /><span style="color:#ff0000;">संभावनाओं से लबालब भरा हुआ ये साल यदि बस में होता मेरे तो बांध देता इसे मां के पल्लू से और फिर रोज मांगते उससे एक खनकता हुआ दिन</span></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-71222970631355818482009-12-24T18:36:00.000-08:002009-12-24T18:54:13.256-08:00टायर की एबीसी...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicut7eGLMWnqlBvasrNk57sLoasnxO18a3SqDArodqFkoUs7p0HRydZQdAVJoRwGspwX-gQDZbZvyVeXxKACT4kwC5RGiNNUR3KqrSbf68HDPIRtFAJo_4I_16lMkbFTfEK_QD9fthAvk/s1600-h/thumb.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5418998422483183506" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 200px; CURSOR: hand; HEIGHT: 169px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicut7eGLMWnqlBvasrNk57sLoasnxO18a3SqDArodqFkoUs7p0HRydZQdAVJoRwGspwX-gQDZbZvyVeXxKACT4kwC5RGiNNUR3KqrSbf68HDPIRtFAJo_4I_16lMkbFTfEK_QD9fthAvk/s400/thumb.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><strong>आप अपनी गाड़ी की सही वक्त पर सर्विसिंग कराते हैं। हर संडे उसकी धुलाई करते, चमकाते हैं। लेकिन क्या आप अ पनी कार के टायरों का भी उतना ही ध्यान रखते हैं? इस हफ्ते ऑटो गाइड में टायर की एबीसी समझा रहे हैं <span style="color:#000000;">शिवेंद्र सिंह चौहान</span></strong><span style="color:#000000;"><br /></span>इंजन के बाद टायरों को कार का सबसे अहम हिस्सा माना जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि सड़क और गाड़ी के बीच का रिश्ता टायरों पर ही निर्भर होता है। कार का माइलेज, हैंडलिंग, बैलेंस और कंट्रोल जैसी कई चीजें काफी हद तक टायरों पर निर्भर होती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपनी कार के लिए सही टायरों का ही चुनाव करें।<br />टायर की कुंडली टायर की साइडवॉल पर एक कोड लिखा होता है। टायर के बारे में सारी जानकारी इसी कोड में होती है। <span style="color:#330000;"><strong>मसलन, टायर पर लिखा है P205/65 R 16 95 S तो इसमें P का मतलब है पैसेंजर कार टायर। 205 टायर की चौड़ाई (मिमी में), 65 इसका आस्पेक्ट रेश्यो यानी टायर की चौड़ाई और ऊंचाई का अनुपात। R यानी रेडियल और 16 रिम का डायमीटर यानी व्यास बताता है। यहां 95 लोड इंडेक्स है, जो बताता है कि टायर अधिकतम कितना वजन उठा सकता है। लोड इंडेक्स की स्केल देखने से पता चलता है कि 96 रेटिंग का टायर 690 किलो वजन के लिए बना है। अंत में S यानी टायर की स्पीड रेटिंग। हर टायर के लिए स्पीड की मैक्सिमम लिमिट होती है। इसके लिए A1 से लेकर Y तक रेटिंग दी जाती है। A1 रेटिंग वाले टायर 5 किमी प्रति घंटा और Y रेटिंग वाले टायर 300 किमी प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार पर चल सकते हैं।</strong></span> इस रफ्तार से ज्यादा तेज चलाने पर टायर खराब हो सकता है।<br />किस्म-किस्म के टायर आमतौर पर टायर दो तरह के होते हैं - ट्यूब टायर और ट्यूबलेस टायर। ज्यादातर छोटी गाडि़यों में कार कंपनियां ट्यूब टायर लगाकर देती हैं। प्रीमियम कारों और छोटी कारों के टॉप-एंड मॉडल्स में ट्यूबलेस टायर ज्यादा दिखते हैं। ट्यूब टायर आमतौर पर ट्यूबलेस टायरों से कम कीमत के होते हैं लेकिन ट्यूब और टायर के बीच होने वाले फ्रिक्शन की वजह से ये टायर जल्दी गर्म होते हैं और इसीलिए पंक्चर भी जल्दी होते हैं। इनके मुकाबले ट्यूबलेस टायर के कई फायदे होते हैं। मसलन, ट्यूबलेस टायर से सड़क पर बेहतर ग्रिप और कंट्रोल मिलता है और खुदा-न-खास्ता टायर पंक्चर हो जाए तो इसमें से हवा धीरे-धीरे निकलती है। आम धारणा है कि ट्यूबलेस टायर्स अलॉय वील्स पर ही लगाने चाहिए लेकिन यह सही नहीं है। स्टील रिम पर भी ट्यूबलेस टायर्स अच्छी परफॉमेंर्स देते हैं। कीमत के लिहाज से ट््यूबलेस टायर ट्यूब टायर से 300-400 रुपये ही महंगा है।<br />टायर कब बदलें ज्यादातर टायर बनाने वाली कंपनियां 40 हजार किलोमीटर चलने के बाद टायर बदलने की सलाह देती हैं। लेकिन टायर अच्छी हालत में हैं तो आप इन्हें 50 हजार किलोमीटर तक आराम से चला सकते हैं। इससे ज्यादा दूरी पर पुराने टायर से काम चलाना सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं है। नियमों के मुताबिक, ट्रेड (टायर पर बने खांचे) की गहराई 1/6 मिमी रह जाए तो टायर बदल दिया जाना चाहिए। जिन लोगों की गाडि़यां काफी कम चलती हैं, उन्हें भी पांच साल के बाद हर साल टायरों का चेकअप कराना चाहिए। 10 साल से पुराने टायर इस्तेमाल नहीं करने चाहिए, चाहे वे जितना भी कम चले हों।<br />- हर टायर की अपनी उम्र होती है और सेफ्टी के लिहाज से यह जरूरी है कि उसे सही समय पर बदल दिया जाए। टायर कट या फट जाए, किसी एक जगह पर ज्यादा घिस जाए, रिपेयर न हो सकने लायक पंक्चर हो जाए या फिर जल्दी-जल्दी पंक्चर होने लगे, तो उसे बदल देना चाहिए।<br />टायर की देखरेख महीने में एक बार टायर प्रेशर जरूर चेक कराएं। टायरों में हवा उतनी ही रखें जितनी कार कंपनी ने रेकमेंड की हो। ज्यादा या कम हवा भराने से टायर जल्दी घिसेंगे। कंपनियां यह भी बताती हैं कि कम लोड और फुल लोड पर टायर प्रेशर कितना होना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि स्पेयर टायर में भी एयर प्रेशर हमेशा सही हो। हर 5000 किलोमीटर पर वील रोटेशन और अलाइनमेंट करा लने से टायर की लाइफ बढ़ जाएगी। टायरों के ट्रेड में फंसे कंकड़-पत्थर, कील-कांटे भी समय-समय पर निकालें। पेट्रोलियम बेस्ड डिटरजेंट या केमिकल क्लीनर से टायरों की सफाई न करें।<br />अपसाइजिंग कई बार सड़कों पर ऐसी गाड़ियां नजर आती हैं, जिनमें काफी चौड़े टायर लगे होते हैं। चौड़े और मोटे टायर लगाने से गाड़ी का लुक काफी स्पोटीर् हो जाता है और सड़क पर ग्रिप बेहतर हो जाती है, लेकिन इससे गाड़ी के माइलेज पर असर पड़ता है। ज्यादातर कार कंपनियां अपसाइजिंग की सलाह नहीं देतीं। उनका तर्क यह होता है कि गाड़ी में ऑरिजिनली उसी साइज के टायर लगाए जाते हैं जो उसके लिए परफेक्ट हों। इसलिए अपसाइजिंग से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। ज्यादातर टायर कंपनियों की वेबसाइट पर आपको अपसाइजिंग गाइड मिल जाएगी।<br />टायर कैसे खरीदें भारत में ज्यादातर कारों के टायर (लग्जरी और एसयूवी कैटिगरी को छोड़कर) की कीमत 1500 रुपये से 4000 रुपये के बीच है। टायरों के दाम सीजन के हिसाब से घटते-बढ़ते रहते हैं। टायरों की कीमत में मोलभाव की काफी गुंजाइश होती है, इसलिए माकेर्ट का सवेर् करें और अलग-अलग कंपनियों के टायर देखें, फिर अपनी जरूरत के हिसाब से टायर चुनें। टायर हमेशा ऑथराइज्ड डीलर से ही खरीदें और पक्का बिल जरूर लें। इससे टायर में दिक्कत आने पर उसे बदलने में सहूलियत रहेगी। टायर खरीदते समय ध्यान रखें कि उनकी मैन्युफैक्चरिंग डेट ज्यादा पहले की न हो। एक साल से पहले बने टायर हरगिज न खरीदें। इधर बाजार में चीन के बने टायर भी काफी दिख रहे हैं। उनके लुक्स पर न जाएं और वॉरंटी वाले टायर ही खरीदें। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-88881157362317890942009-12-23T22:19:00.000-08:002009-12-23T22:26:29.202-08:00जब हों एक प्रॉपर्टी के कई साझेदार...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDOGi4NczFUXWE49XnRgC5gxOwzc8pcabYG9ZOjuq56KOwMWeFgAqH-AUIuJevEEguhWYTAw_nfQ1yubR5mjSGzV2JohK1zQneXD1-lWz7ktMUVy5ZxcW_Zjas3yBCcExoMBtox_f5iI8/s1600-h/property-management.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5418685189488360578" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 248px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDOGi4NczFUXWE49XnRgC5gxOwzc8pcabYG9ZOjuq56KOwMWeFgAqH-AUIuJevEEguhWYTAw_nfQ1yubR5mjSGzV2JohK1zQneXD1-lWz7ktMUVy5ZxcW_Zjas3yBCcExoMBtox_f5iI8/s320/property-management.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">प्रॉपर्टी की खरीदारी आज इतना महंगा सौदा हो चुका है कि इसे अकेले दम पर खरीदना आसान काम नहीं रहा। ऐसे में कई लोग मिलकर भी प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं। हालांकि इस दौर में आपको इसके तमाम कानूनी पहलुओं के बारे में भी जानकारी जरूर रखनी चाहिए।<br /></span>अगर किसी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक एक से ज्यादा व्यक्तियों के नाम हो, तो इसे 'जॉइंट ओनरशिप' या साझा मालिकाना हक कहते हैं। पैतृक संपत्ति में बेटे व बेटियों का साझा व समान हिस्सा होता है। किसी भी प्रॉपर्टी का कोई को-ओनर प्रॉपर्टी में अपनी हिस्सेदारी किसी अजनबी या दूसरे को-ओनर के नाम हस्तांतरित कर सकता है। यह हस्तांतरण पाने वाला व्यक्ति प्रॉपर्टी का को-ओनर हो जाता है। बंटवारे के जरिए को-ओनरशिप को इकलौते मालिकाना हक में भी तब्दील किया जा सकता है। अगर किसी प्रॉपर्टी में किसी का शेयर है, तो इसका मतलब हुआ कि उस प्रॉपर्टी की जॉइंट ओनरशिप है। को-ओनर के पास प्रॉपर्टी पर कब्जे का अधिकार, उसका इस्तेमाल करने का अधिकार और यहां तक कि उसे बेचने तक का अधिकार होता है।<br />टेनेंट्स-इन-कॉमन 'टेनेंट्स-इन-कॉमन' को-ओनरशिप का एक प्रकार है, लेकिन इस तरह की को-ओनरशिप के बारे में कानूनी दस्तावेजों में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बताया गया है। पूरी प्रॉपर्टी में प्रत्येक टेनेंट-इन-कॉमन का अलग-अलग हित होता है। अलग-अलग हित होने के बावजूद प्रत्येक टेनेंट-इन-कॉमन के पास यह अधिकार होता है कि वह पूरी प्रॉपर्टी का पजेशन रख सकता है या उसे इस्तेमाल कर सकता है। यह जरूरी नहीं है कि पूरी प्रॉपर्टी में प्रत्येक टेनेंट-इन-कॉमन का अलग-अलग, लेकिन बराबर हित हो। पूरी प्रॉपर्टी में उनके हित एक-दूसरे से कम या ज्यादा भी हो सकते हैं। उन सभी के पास अपने-अपने हित किसी दूसरे के नाम हस्तांतरण करने का भी अधिकार होता है, लेकिन उनके पास सर्वाइवरशिप का अधिकार नहीं होता। ऐसे में किसी टेनेंट-इन-कॉमन की मौत के बाद उनका हित या तो वसीयत या फिर कानून के मुताबिक हस्तांतरित होता है। जिस व्यक्ति के नाम यह हस्तांतरण होता है, वह को-ओनर्स के साथ टेनेंट-इन-कॉमन बन जाता है।<br />जॉइट टेनेंसी 'जॉइंट टेनेंसी' में सर्वाइवरशिप का अधिकार होता है। किसी जॉइट टेनेंट की मौत के बाद, प्रॉपर्टी में उनका हित तत्काल बाकी जीवित बचे जॉयंट टेनेंट्स के नाम हस्तांतरित हो जाता है। जॉयंट टेनेंट्स पूरी प्रॉपर्टी में एक एकीकृत हित के अधिकारी होते हैं। प्रत्येक जॉइंट टेनेंट का प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सा होना चाहिए। प्रत्येक जॉइंट टेनेंट पूरी प्रॉपर्टी का कब्जा रख सकता है, बशर्ते इससे दूसरे जॉइंट टेनेंट के अधिकारों का हनन नहीं होता हो। जॉइंट टेनेंसी हासिल करने के लिए कई शर्तें पूरी करनी होती हैं। जॉइंट टेनेंट्स के हित अलग-अलग नहीं हो सकते और वे अपने-अपने हित एक ही तरीके से भुना सकते हैं। जॉइंट टेनेंसी वसीयत या डीड के जरिए बहाल कराई जा सकती है।<br />को-ओनरशिप इस तरह की को-ओनरशिप खासकर पति-पत्नी के लिए है, क्योंकि इसमें सर्वाइवरशिप का अधिकार हासिल है। यानी किसी एक की मौत के बाद प्रॉपर्टी का हित अपने आप दूसरे जीवित बचे ओनर के पास हस्तांतरित हो जाता है। इस तरह की ओनरशिप के तहत पति या पत्नी में से किसी को भी अपने हित किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करने का अधिकार नहीं है। हालांकि पति या पत्नी आपस में यह हस्तांतरण कर सकते हैं। इस तरह की टेनेंसी तलाक, पति-पत्नी में से किसी की मौत या फिर पति-पत्नी के बीच आपसी करार के जरिए ही खत्म की जा सकती है।<br />ट्रांसफर ऑफ प्रॉपटीर् एक्ट, 1882 की धारा 44 में किसी को-ओनर द्वारा अपने अधिकार हस्तांतरित किए जाने से संबंधित नियमों का उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक, किसी अचल संपत्ति का को-ओनर कानूनी तौर पर संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी हस्तांतरित कर सकता है। यह हस्तांतरण पाने वाले व्यक्ति के पास हस्तांतरण करने वाले के सारे अधिकार आ जाते हैं और वह प्रॉपर्टी के बंटवारे की मांग भी कर सकता है। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-12859416845351205752009-12-18T23:40:00.000-08:002009-12-18T23:51:31.841-08:00आनंद विहार टर्मिनल...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1uyEPN7PS7Dhf7c0lcCjaPD0KMmJ6GTbm6oUskSGG26coa9DQAoCKka_Y9yVKhG-eslPrUu81Bua2EVyldh8CZ7xjQf3U5CkGD5_Ssk61zPsGaa54yYRQmucouGS4nN6iaGSpPOZbX6c/s1600-h/indiantrain.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5416851713757871106" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1uyEPN7PS7Dhf7c0lcCjaPD0KMmJ6GTbm6oUskSGG26coa9DQAoCKka_Y9yVKhG-eslPrUu81Bua2EVyldh8CZ7xjQf3U5CkGD5_Ssk61zPsGaa54yYRQmucouGS4nN6iaGSpPOZbX6c/s320/indiantrain.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार रेल टर्मिनल का उद्घाटन सोमवार के बजाय शनिवार को ही हो जाएगा। 24 घंटे से भी कम वक्त में रेलवे ने अपने फैसले को बदल दिया। तर्क दिया गया कि रेल टर्मिनल तैयार है इसलिए उद्घाटन का इंतजार क्यों किया जाए? लिहाजा रेल टर्मिनल के उद्घाटन के वक्त अब फरक्का जाने वाली ट्रेन के बजाय रेल मंत्री लखनऊ जाने वाली विंटर स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगी।</span><br />गुरुवार शाम को ही उत्तर रेलवे ने ऐलान किया था कि आनंद विहार रेल टर्मिनल का उद्घाटन सोमवार को किया जाएगा। लेकिन शुक्रवार को तय किया गया कि अब उद्घाटन शनिवार को शाम 5 बजे होगा। यह शायद पहला मौका है जब रेलवे ने अपने कार्यक्रम को तय वक्त से पहले ही करने का फैसला किया है। तीन प्लैटफॉर्म वाले इस टर्मिनल का फिलहाल एक ही प्लैटफॉर्म चालू होगा लेकिन जल्द ही बाकी दोनों प्लैटफॉर्म भी चालू कर दिए जाएंगे।<br />रेल टर्मिनल का शिलान्यास जनवरी 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने किया था। हालांकि कायदे से यह रेल टर्मिनल तीन साल में ही बनकर तैयार होना चाहिए था लेकिन टर्मिनल लगभग 6 साल के बाद अब तैयार हुआ है। लगभग 110 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए इस टर्मिनल को तैयार करने के साथ यह भी फैसला हुआ है कि इस टर्मिनल पर ट्रेन में पार्सलों को चढ़ाने और उतारने का काम प्लैटफॉर्म पर ट्रेन आने से पहले ही कर दिया जाएगा यानी नॉन पैसेंजर एरिया में ही पार्सल आदि सामान चढ़ा दिया जाएगा। ट्रेन के कोच के चार्ट भी लगा दिए जाएंगे यानी जब प्लैटफॉर्म पर ट्रेन पहुंचेगी, तो वहां सिर्फ पैसेंजर ही ट्रेन में चढ़ेंगे और उतरेंगे। अन्य स्टेशनों पर ऐसी व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से पैसेंजरों को भारी दिक्कत होती है और कई बार तो पार्सलों की वजह से दुर्घटनाएं भी होती हैं।<br />उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनंत स्वरूप ने बताया कि टर्मिनल का डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया है कि पैसेंजरों को दिक्कत न हो। सीढ़ियां, एस्केलेटर और लिफ्ट के अलावा रैंप भी बनाए गए हैं ताकि पैसेंजरों को चढ़ने-उतरने में दिक्कत न हो। यही नहीं, जब इस टर्मिनल के तीनों प्लैटफॉर्म चालू हो जाएंगे, तब पैसेंजरों को एक से दूसरे प्लैटफॉर्म जाने के लिए फुटओवर ब्रिज पर चढ़ने की जरूरत नहीं होगी बल्कि वे सबवे के जरिए आ-जा सकेंगे। इसी स्टेशन पर रेल रिजर्वेशन सिस्टम भी लगाया जा रहा है ताकि ट्रेनों के एडवांस टिकट यहां से भी खरीदे जा सकें। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-87207276538332321192009-12-18T00:42:00.000-08:002009-12-18T00:44:36.478-08:00पृथ्वी जैसा एक वॉटर वर्ल्ड....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZYXm0lxveX4tgwVl1H68LKClSifGSvu_0iSfjkR3utcdsBb0XMaDS8wWfEdcYds8O_Y8hKYVpHSw9Lk1QyM5BFb5BCXTxfuxv7SHwPUk2mPk0AtYVcbbaKqooqe8ajHt0VwO_gWja7fE/s1600-h/wetearth.gif"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5416494220339740018" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 317px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZYXm0lxveX4tgwVl1H68LKClSifGSvu_0iSfjkR3utcdsBb0XMaDS8wWfEdcYds8O_Y8hKYVpHSw9Lk1QyM5BFb5BCXTxfuxv7SHwPUk2mPk0AtYVcbbaKqooqe8ajHt0VwO_gWja7fE/s320/wetearth.gif" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">धरती के जैसे किसी और ग्रह की खोज अभी थमी नहीं है। एस्ट्रोनॉमर्स ने एक ऐसा नया ग्रह खोजा है जो धरती से महज छह गुना बड़ा है और जिस पर 75 फीसदी पानी है। वैज्ञानिक हबल टेलीस्कोप का सहारा लेकर इसकी और नजदीकी जांच पड़ताल करने की फिराक में हैं।</span><br />हालांकि, इस ग्रह का टेंपरेचर धरती पर मिलने वाले जीवन के अनुकूल नहीं है। अमेरिका के हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह नया ग्रह धरती से सिर्फ 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। प्रकाश द्वारा एक साल में तय की गई दूरी एक प्रकाश वर्ष कहलाती है। पानी से लबालब भरा यह ग्रह या वॉटर वर्ल्ड एक कम चमकदार सितारे के आसपास चक्कर काटता है। इसका एक चक्कर महज 13 लाख मील का है जिसे यह सिर्फ 38 घंटों में पूरा कर लेता है। वैज्ञानिक इसमें इसलिए दिलचस्पी ले रहे हैं क्यांेकि यह हमारे सोलरसिस्टम से बाहर पाए जाने वाले ग्रहों में सबसे ज्यादा धरती जैसा है। सेंटर के रिसर्चर जैकोरी बर्टा का कहना था, अपने काफी गर्म तापमान के बावजूद यह एक वॉटर र्वल्ड जैसा ज्यादा लगता है। जैकोरी ने ही इस ग्रह को खोजा है। उनका कहना है कि अब तक की जानकारी मंे आए तमाम एक्सोप्लेनेट से यह काफी छोटा, ठंडा और धरती जैसा है। यह ग्रह जिस तारे के आसपास चक्कर लगा रहा है उसका नाम जीजे1214 है। इसे एमअर्थ प्रोजेक्ट के तहत धरती पर स्थित दूरबीनों की एक सीरीज की मदद से खोजा गया है। वैसे ये दूरबीन या टेलीस्कोप शौकिया लोगों के इस्तेमाल वाले टेलीस्कोप से ज्यादा उन्नत नहीं हैं।<br />इस ग्रह को सुपरअर्थ का नाम भी दिया गया है क्योंकि इसका आकार धरती से तो बड़ा है लेकिन यूरेनस और नेपच्यून जैसे विशाल ग्रहों से छोटा है। लेकिन इसकी समस्या है इसकी सतह का बहुत हाई टेंपरेचर जोकि लगभग 200 डिग्री सेल्सियस है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह की सतह के अलावा भी कुछ है जो इसके पैरंट स्टार से आने वाली रोशनी को रोक रहा है। मुमकिन है यह इस ग्रह का वातावरण हो जोकि मुख्यत: हाईड्रोजन और हीलियम से बना हो। अब वैज्ञानिक सोच रहे हैं कि हबल टेलीस्कोप को इसकी ओर मोड़ दिया जाए ताकि पता चल सके कि अगर इस पर वातावरण है तो किस तरह का है। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-90934130424811808522009-12-07T02:59:00.000-08:002009-12-07T03:06:20.553-08:00गाड़ी करें पार्क, पर सावधानी से....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgeBq9tufF_t19ImAQBXRak4QUKp8pjH2gm8luVmKhsHsZGC-kJIc6YQo_fpT424N_4ZpZzKQapkh7vNld00YBeBsTFaD3uPS_hMerRDIBx26E08ab4dCzyBVLKFbSsSsK5Hpni-li3qBQ/s1600-h/10510-a-man-stands-beside-a-car-inside-a-parking-space-in-new-delhi-august-10-2009-automobile-shares-hav.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5412448819092491362" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 221px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgeBq9tufF_t19ImAQBXRak4QUKp8pjH2gm8luVmKhsHsZGC-kJIc6YQo_fpT424N_4ZpZzKQapkh7vNld00YBeBsTFaD3uPS_hMerRDIBx26E08ab4dCzyBVLKFbSsSsK5Hpni-li3qBQ/s320/10510-a-man-stands-beside-a-car-inside-a-parking-space-in-new-delhi-august-10-2009-automobile-shares-hav.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">जी हां, दिल्ली के हालात देखकर लगता है कि ऑथराइज्ड पार्किंग में भी गाड़ी अपने रिस्क पर ही खड़ी करें। दिल्ली की तमाम लाइसेंसिंग अथॉरिटी ठेकेदार से अग्रीमेंट साइन करके मोटी कमाई तो कर रही हैं, मगर जनता के प्रति उनकी कोई जवाबदेही नहीं है। एमसीडी की स्थिति तो और भी दयनीय है। बार-बार शिकायत करने पर भी यहां से कोई जवाब नहीं मिलता। न कोई सेंट्रलाइज्ड शिकायत व्यवस्था है, न कोई जवाबदेही।<br /></span>लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है। आपको अगर ऑथराइज्ड पार्किंग में कोई परेशानी हो, आपकी गाड़ी डैमेज हो जाए, सामान चोरी हो जाए, तय रकम से ज्यादा पैसे वसूले जाएं या आपसे बदसलूकी हो तो आप सही जगह पर शिकायत कर इंसाफ पा सकते हैं।<br />एनडीएमसी की पार्किंग के लिए शिकायत करें<br />कंट्रोल रूम : 011-23348300, 23348301<br />डायरेक्टर एनडीएमसी को भी लिख सकते हैं। पता है : डायरेक्टर (एन्फोर्समेंट), एनडीएमसी, चौथी मंजिल, प्रगति भवन, जय सिंह रोड, नई दिल्ली-110001<br />आमतौर पर शिकायत दर्ज कराने के 10 दिन में कार्रवाई हो जाती है और उसकी सूचना भी भेज दी जाती है। यदि आप इनकी कार्रवाई से संतुष्ट न हों तो सेक्रेटरी एनडीएमसी को इस पते पर लिख सकते हैं:<br />सेक्रटरी, एनडीएमसी, पालिका केंद्र, संसद मार्ग, नई दिल्ली-110001<br /><br />एमसीडी की पार्किंग से जुड़ी शिकायतों के लिए उसी जोन के डीसी (डिप्टी कमिश्नर) से शिकायत कर सकते हैं। पता है डिप्टी कमिश्नर, आरपी सेल, कमरा नं. 108, दिल्ली नगर निगम, निगम भवन, कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006, फोन: 011-23964763 आप कमिश्नर एमसीडी को भी लिख सकते हैं: कमिश्नर, दिल्ली नगर निगम, टाउन हाल, दिल्ली-110006 डीडीए के पास कुल 67 पार्किंग हैं। डीडीए की पार्किंग में आने वाली परेशानियों के लिए आप संपर्क कर सकते हैं: डायरेक्टर (एलपीसी एंड कमर्शल एस्टेट), ब्लॉक-ए, दूसरी मंजिल, विकास सदन, नई दिल्ली। फोन: 011-24649717, फैक्स: 011-24692328<br />आप कमिश्नर को भी लिख सकते हैं: कमिश्नर (लैंड), ब्लॉक-ए, पहली मंजिल, विकास सदन, नई दिल्ली फोन: 011-24698350 यदि आप कार्रवाई से संतुष्ट न हों तो उपाध्यक्ष, डीडीए को भी लिख सकते हैं: उपाध्यक्ष, डीडीए, विकास सदन, नई दिल्ली।<br />जानें अपने अधिकार पार्किंग स्थल पर डिस्प्ले बोर्ड होना अनिवार्य है, जिस पर बड़े व स्पष्ट अक्षरों में पार्किंग का रेट, ठेकेदार का नाम व पता, रजिस्ट्रेशन नं. के अलावा शिकायत अधिकारी का नाम, पता व फोन नं. लिखा होना चाहिए। ऐसा न होने पर आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं।<br />पार्किंग स्लिप छपी हुई होनी चाहिए, जिस पर आपका आने का समय, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नं., तय किराये के अलावा पार्किंग साइट की जानकारी होनी चाहिए। पार्किंग स्टाफ जानकारी छिपाने के लिए आधी-अधूरी स्लिप देता है। कटी-फटी स्लिप न लें। इसका विरोध करें। पार्किंग स्थल साफ-सुथरा होना चाहिए। वहां किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए। यदि आपकी गाड़ी पार्किंग से चोरी या डैमेज हो जाती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की है। सभी पार्किंग स्टाफ का यूनिफॉर्म में होना और उस पर नेम बैज होना अनिवार्य है। ठेकेदार द्वारा नियुक्त सभी स्टाफ का साफ-सुथरा ट्रैक रेकॉर्ड व पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी है।<br />यदि आपकी पार्किंग में खड़ी हुई गाड़ी को ट्रैफिक पुलिस या संबंधित लाइसेंसिंग विभाग की गाड़ी उठा ले जाती है तो इसकी जिम्मेदारी ठेकेदार की है। सभी पार्किंग के लिए रेट तय हैं। तय रेट से ज्यादा चार्ज किए जाने पर शिकायत जरूर करें। दोषी पाए जाने पर जुर्माने के अलावा ठेकेदार का लाइसेंस कैंसल हो सकता है। विभिन्न विभागों द्वारा जारी किए गए 'फ्री' पार्किंग पास को मानने के लिए ठेकेदार बाध्य हैं। सभी पार्किंग में शिकायत पुस्तिका होनी जरूरी है। वाहन मालिक अगर मांगता है तो ठेकेदार को शिकायत पुस्तिका मुहैया करानी होगी। ऐसा नहीं होने पर शिकायत कर सकते हैं। पार्किंग वाला बदसलूकी करे तो शिकायत जरूर करें। पार्किंग स्टाफ को ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी ठेकेदार की है। पार्किंग स्थल के रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की है और वहां की बदइंतजामी से आपको चोट लग जाए तो इसके लिए ठेकेदार जिम्मेदार होगा।<br />क्या होगी कार्रवाई पार्किंग स्टाफ की मनमानी पर एनडीएमसी के डायरेक्टर एन्फोर्समेंट पी.पी. चतुवेर्दी का कहना है कि जनता के जागरूक होने पर ही इसे रोका जा सकता है। यदि आपको पार्किंग स्थल पर किसी भी परेशानी का सामना करना पड़े तो हमें सूचित करें, हम फौरन एक्शन लेंगे। एमसीडी में आरपी सेल के प्रमुख अमिया चंदा कहते हैं कि अगर वक्त पर आपकी समस्या का हल न हो तो आरटीआई के तहत अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई के बारे में मालूम कर सकते हैं।<br />एनडीएमसी ठेकेदार पर कम-से-कम पांच हजार रुपये जुर्माना कर सकती है, जबकि एमसीडी केवल 500 रुपये जुर्माना करती है। तय सीमा से ज्यादा रकम वसूलने की स्थिति में ठेकेदार का लाइसेंस कैंसल हो सकता है।<br />पार्किंग रेट एमसीडी टाइमिंग: एमसीडी की सभी पार्किंग 24 घंटे उपलब्ध होती है। कार : पहले 10 घंटों में 10 रुपये और अगले 10 से 24 घंटों के लिए 20 रुपये। स्कूटर : पहले 10 घंटों के लिए सात रुपये और अगले 10 से 24 घंटों के लिए 15 रुपये। अरुणा आसफ अली रोड पर पार्किंग के लिए 25 रुपये चार्ज किए जाते हैं।<br />एनडीएमसी टाइमिंग : 8 बजे सुबह से 10 बजे रात तक। क्षेत्र के हिसाब से ए, बी व सी तीन कैटिगरी की पार्किंग हैं। कार : पहले 12 घंटों के लिए 10 रु और 24 घंटे के लिए 15 रुपए चार्ज किए जाते हैं। स्कूटर के लिए पांच और दस रुपये चार्ज किए जाते हैं</em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-18405465324781640912009-12-04T23:26:00.000-08:002009-12-04T23:39:27.271-08:00कह ले....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjUOgyHOGEQuxWZBGoDPheSN7phIuCWpM889yURHOpqY1cOOwBpdrdYxez9CIKdhjMGKc_tXfxXKAqHhw8rDbTN1oRvwUB5kli-UCAf2Zx_7y-vswWh0hk6OafqSVebvrNesFQgTAeUhQ8/s1600-h/Maan_tussen_wolken.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5411653248589287410" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjUOgyHOGEQuxWZBGoDPheSN7phIuCWpM889yURHOpqY1cOOwBpdrdYxez9CIKdhjMGKc_tXfxXKAqHhw8rDbTN1oRvwUB5kli-UCAf2Zx_7y-vswWh0hk6OafqSVebvrNesFQgTAeUhQ8/s320/Maan_tussen_wolken.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">मन में कुछ मत रख यार..</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">चार दिन की जिंदगी है...कल का क्या भरोसा..</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">कह ले ...जो कहना है...बात कर दोस्त बना..</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">जो है साथ जी ले..हमेशा सब साथ नहीं होगे..</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">चार दिन की जिंदगी है...कल का क्या भरोसा...</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">खुल कर जिदंगी जी लो..कब दम गुट जाए..क्या भरोसा..</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">खुद पर भरोसा कर ..आगे चल जिंदगी चार दिन है...जी ले..</span></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-36926262637616655322009-12-01T23:59:00.000-08:002009-12-02T00:16:56.115-08:00कैसे बचें कैंसर से...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwvlEUO7UMN78ej3D30z-lNzFf7ZoqzJYcX5cX4SnXcl_lPoGckz3cRZMhGBagsLmmC2DIZAV4VXmnRHepfB89238JoeY5Vi_mEqdeZo5TAKxLzbFM4nMKv7WLWyMC4FrXmPulK-nOBf0/s1600-h/can%20300.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5410549084487864194" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 300px; CURSOR: hand; HEIGHT: 200px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwvlEUO7UMN78ej3D30z-lNzFf7ZoqzJYcX5cX4SnXcl_lPoGckz3cRZMhGBagsLmmC2DIZAV4VXmnRHepfB89238JoeY5Vi_mEqdeZo5TAKxLzbFM4nMKv7WLWyMC4FrXmPulK-nOBf0/s320/can%2520300.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">टिश्यू या शरीर के किसी अंग में सेल्स के अनियंत्रित मल्टीप्लीकेशन से कैंसर होता है। कभी- कभी शरीर के कि सी किसी भाग में इससे गांठ हो जाती है। जब तक कोई अंग इससे पूरी तरह प्रभावित नहीं होता तब तक इसका पता भी नहीं चलता। कु छ मामलों में दर्द होता है और कुछ में भूख न लगना या वजन में गिरावट आती है। कैंसर तब होता है जब हमारे शरीर के जैनेटिक मेटिरियल कासिर्नोजेनिक सब्सटेंस से डेमेज हो जाते हैं।<br /></span>कैंसर के तीन कॉमन कारण हैं<br />1. सिगरेट, शराब और कई तरह की प्लास्टिक के संपर्क में आना।<br />2. हाय फैट डायट। यह कई तरह के कैंसर का कारण बनता है।<br />3. बॉडी में फैट का पर्सेंटेज ज्यादा होना।<br />इन्हें भी पढ़ें और स्टोरीज़ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें बचाव ए. शराब और सिगरेट स्मोकिंग से बचें। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करें। अगर प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल माइक्रोवेव या खाना रखने के लिए कर रहे हैं तो अच्छी क्वालिटी का प्लास्टिक इस्तेमाल करें।<br />बी. अपने और परिवार के खाने पीने पर नियंत्रण रखें। यदि आपका नॉर्मल बॉडी वेट या परॉसेंटेज फेट ज्यादा है तो हाइ फेट खाना जैसे बटर, चीज, क्रीम कुकीज, केक, पेस्ट्रीज, पफ, पिज्जा, बर्गर, डीप फ्राइड फू ड, चिप्स, चाट, मिक्सचर, फ्राइड चिकन, रेड मीट, मटन, कीमा, सूअर का गोश्त आदि हफ्ते में एक बार से ज्यादा न खाएं। इनमें से कोई भी चीज रोजाना नहीं खानी चाहिए।<br />सी. यदि आप ओवरवेट हैं तो बताई गई चीजें तीन महीने तक अपनी डायट में से हटा दें ताकि आपका वजन सही हो जाए। रेगुलर कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज जैसे वॉकिंग या जॉगिंग सभी के लिए जरूरी है।<br />डी. फल, सब्जियां, दाल, साबुत अनाज (आटा, रोटी, होल वीट ब्रेड), मलाई रहित दूध, दही आदि चीजें कैंसर जैसी बीमारी का खतरा कम कर सकते हैं। साथ ही एक दिन में कम से कम पांच फल खाएं। जैसे एक फल सुबह के नाश्ते में ले और दूसरा शाम को छ: बजे या डिनर के बाद ले सकते हैं। आप फ्रेश सलाद लंच और डिनर में ले सकते हैं। इन सब में विटामिन ए, ई या सी होता है जो एंटिऑक्डडेंट के रूप में काम करते हैं। ये कैंसर से लड़ते हैं और उसे बढ़ने से रोकते हैं।<br />इन सब के अलावा ढाई से तीन लीटर तक पानी रोज पिएं। यह आपके शरीर से टॉक्सिक वेस्ट और दूषित पदार्थ हटा देता है। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-55372781993836582782009-11-24T04:50:00.000-08:002009-11-24T05:16:40.166-08:00चाय के बारे में वह सब जो आप नहीं जानते...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTTKK42Cy25iKtWVi6XihQW3GlRqs1EYFJHEhS17rZdFKsHj2bkd2gTyx460WBRnePNehr9UnBgHF7DT3s0AVVnpDH8kg_3-jAxnjmOGD_5JA2dtdfjntwuHrgz4YDy_21zv-zEjpz4_o/s1600/1367black_tea.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5407657040449424546" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 213px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTTKK42Cy25iKtWVi6XihQW3GlRqs1EYFJHEhS17rZdFKsHj2bkd2gTyx460WBRnePNehr9UnBgHF7DT3s0AVVnpDH8kg_3-jAxnjmOGD_5JA2dtdfjntwuHrgz4YDy_21zv-zEjpz4_o/s320/1367black_tea.jpg" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRzxmrxU4fLZzIGuINYVqfWxJhMvDIeiSzYbpMdh9yf0MePeFFbbHn9XejltmSmcR1onRDl5DigTC6L3BaHgBBJWKcZ2RtAQsnZKK_qsatOUO_gg7kgAK8ukXJI1_vvfDYsaBJ8N_Uw5I/s1600/Tea+Revives+you.jpg"></a><br /><br /><div><em>नए दिन का स्वागत हो या नए रिश्तों की शुरुआत या फिर आलस दूर भगाना हो या गपशप का बहाना तो बस दरकार होती है, सुबह-शाम की चाय के अलावा दिन भर में ऑफिस में काम के बीच न जाने कितने ही कप चाय गले से उतर जाती है। लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि चाय बनाने का सही तरीका क्या है या कौन-सी चाय बेहतर है? एक्सपर्ट्स की मदद से चाय के पूरे जायके का जायजा ले रही हैं प्रियंका सिंह :<br />चाय कितनी तरह की होती है ?<br />मोटे तौर पर चाय दो तरह की होती है : प्रोसेस्ड या सीटीसी (कट, टीयर ऐंड कर्ल) और ग्रीन टी (नैचरल टी)।<br />सीटीसी टी (आम चाय) : यह विभिन्न ब्रैंड्स के तहत बिकने वाली दानेदार चाय होती है, जो आमतौर पर घर, रेस्तरां और होटेल आदि में इस्तेमाल की जाती है। इसमें पत्तों को तोड़कर कर्ल किया जाता है। फिर सुखाकर दानों का रूप दिया जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ बदलाव आते हैं। इससे चाय में टेस्ट और महक बढ़ जाती है। लेकिन यह ग्रीन टी जितनी नैचरल नहीं बचती और न ही उतनी फायदेमंद।<br />ग्रीन टी: इसे प्रोसेस्ड नहीं किया जाता। यह चाय के पौधे के ऊपर के कच्चे पत्ते से बनती है। सीधे पत्तों को तोड़कर भी चाय बना सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। ग्रीन टी काफी फायदेमंद होती है, खासकर अगर बिना दूध और चीनी पी जाए। इसमें कैलरी भी नहीं होतीं। इसी ग्रीन टी से हर्बल व ऑर्गेनिक आदि चाय तैयार की जाती है। ऑर्गेनिक इंडिया, ट्विनिंग्स इंडिया, लिप्टन कुछ जाने-माने नाम हैं, जो ग्रीन टी मुहैया कराते हैं।<br />हर्बल टी: ग्रीन टी में कुछ जड़ी-बूटियां मसलन तुलसी, अश्वगंधा, इलायची, दालचीनी आदि मिला देते हैं तो हर्बल टी तैयार होती है। इसमें कोई एक या तीन-चार हर्ब मिलाकर भी डाल सकते हैं। यह मार्किट में तैयार पैकेट्स में भी मिलती है। यह सर्दी-खांसी में काफी फायदेमंद होती है, इसलिए लोग दवा की तरह भी इसका यूज करते हैं।<br />ऑर्गेनिक टी: जिस चाय के पौधों में पेस्टिसाइड और केमिकल फर्टिलाइजर आदि नहीं डाले जाते, उसे ऑर्गेनिक टी कहा जाता है। यह सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है।<br />वाइट टी: यह सबसे कम प्रोसेस्ड टी है। कुछ दिनों की कोमल पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है। इसका हल्का मीठा स्वाद काफी अच्छा होता है। इसमें कैफीन सबसे कम और एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। इसके एक कप में सिर्फ 15 मिग्रा कैफीन होता है, जबकि ब्लैक टी के एक कप में 40 और ग्रीन टी में 20 मिग्रा कैफीन होता है।<br />ब्लैक टी: कोई भी चाय दूध व चीनी मिलाए बिना पी जाए तो उसे ब्लैक टी कहते हैं। ग्रीन टी या हर्बल टी को तो आमतौर पर दूध मिलाए बिना ही पिया जाता है। लेकिन किसी भी तरह की चाय को ब्लैक टी के रूप में पीना ही सबसे सेहतमंद है। तभी चाय का असली फायदा मिलता है।<br />इंस्टेंट टी: इस कैटिगरी में टी बैग्स आदि आते हैं, यानी पानी में डालो और तुरंत चाय तैयार। टी बैग्स में टैनिक एसिड होता है, जो नैचरल एस्ट्रिंजेंट होता है। इसमें एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से टी-बैग्स को कॉस्मेटिक्स आदि में भी यूज किया जाता है।<br />लेमन टी: नीबू की चाय सेहत के लिए अच्छी होती है, क्योंकि चाय के जिन एंटी-ऑक्सिडेंट्स को बॉडी एब्जॉर्ब नहीं कर पाती, नीबू डालने से वे भी एब्जॉर्ब हो जाते हैं।<br />मशीन वाली चाय: रेस्तरां, दफ्तरों, रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट आदि पर आमतौर पर मशीन वाली चाय मिलती है। इस चाय का कोई फायदा नहीं होता क्योंकि इसमें कुछ भी नैचरल फॉर्म में नहीं होता।<br />अन्य चाय: आजकल स्ट्रेस रीलिविंग, रिजूविनेटिंग, स्लिमिंग टी व आइस टी भी खूब चलन में हैं। इनमें कई तरह की जड़ी-बूटी आदि मिलाई जाती हैं। मसलन, भ्रमी रिलेक्स करता है तो दालचीनी ताजगी प्रदान करती है और तुलसी इमून सिस्टम को मजबूत करती है। इसी तरह स्लिमिंग टी में भी ऐसे तत्व होते हैं, जो वजन कम करने में मदद करते हैं। इनसे मेटाबॉलिक रेट थोड़ा बढ़ जाता है, लेकिन यह सपोर्टिव भर है। सिर्फ इसके सहारे वजन कम नहीं हो सकता। आइस टी में चीनी काफी होती है, इसलिए इसे पीने का कोई फायदा नहीं है।<br />चाय के फायदे<br />- चाय में कैफीन और टैनिन होते हैं, जो स्टीमुलेटर होते हैं। इनसे शरीर में फुर्ती का अहसास होता है।<br />- चाय में मौजूद एल-थियेनाइन नामक अमीनो-एसिड दिमाग को ज्यादा अलर्ट लेकिन शांत रखता है।<br />- चाय में एंटीजन होते हैं, जो इसे एंटी-बैक्टीरियल क्षमता प्रदान करते हैं।<br />- इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और कई बीमारियों से बचाव करते हैं।<br />- एंटी-एजिंग गुणों की वजह से चाय बुढ़ापे की रफ्तार को कम करती है और शरीर को उम्र के साथ होनेवाले नुकसान को कम करती है।<br />- चाय में फ्लोराइड होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है और दांतों में कीड़ा लगने से रोकता है।<br />चाय की मेडिसनल वैल्यू<br />चाय को कैंसर, हाई कॉलेस्ट्रॉल, एलर्जी, लिवर और दिल की बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है। कई रिसर्च कहती हैं कि चाय कैंसर व ऑर्थराइटस की रोकथाम में भूमिका निभाती है और बैड कॉलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कंट्रोल करती है। साथ ही, हार्ट और लिवर संबंधी समस्याओं को भी कम करती है।<br />चाय के नुकसान<br />- दिन भर में तीन कप से ज्यादा पीने से एसिडिटी हो सकती है।<br />- आयरन एब्जॉर्ब करने की शरीर की क्षमता को कम कर देती है।<br />- कैफीन होने के कारण चाय पीने की लत लग सकती है।<br />- ज्यादा पीने से खुश्की आ सकती है।<br />- पाचन में दिक्कत हो सकती है।<br />- दांतों पर दाग आ सकते हैं लेकिन कॉफी से ज्यादा दाग आते हैं।<br />- देर रात पीने से नींद न आने की समस्या हो सकती है।<br />दूध से खत्म होते हैं चाय के गुण<br />दूध और चीनी मिलाने से चाय के गुण कम हो जाते हैं। दूध मिलाने से एंटी-ऑक्सिडेंट तत्वों की ऐक्टिविटी भी कम हो जाती है। चीनी डालने से कैल्शियम घट जाता है और वजन बढ़ता है। इससे एसिडिटी (जलन) की आशंका बढ़ जाती है। दरअसल, चाय में फाइब्रीन व एल्ब्यूमिन होते हैं, जबकि चाय में टैनिन। ये आपस में मिलकर ड्रिंक को गंदला कर देते हैं। दूध में मौजूद प्रोटीन चाय के फायदों को खत्म करता है।<br />चाय बनाने का सही तरीका<br />ताजा पानी लें। उसे एक उबाल आने तक उबालें। पानी को आधे मिनट से ज्यादा नहीं उबालें। एक सूखे बर्तन में चाय पत्ती डालें। इसके बाद बर्तन में पानी उड़ेल दें। पांच-सात मिनट के लिए बर्तन को ढक दें। इसके बाद कप में छान लें। स्वाद के मुताबिक दूध और चीनी मिलाएं। एक कप चाय बनाने के लिए आधा चम्मच चाय पत्ती काफी होती है। चाय पत्ती, दूध और चीनी को एक साथ उबालकर चाय बनाने का तरीका सही नहीं है। इससे चाय के सारे फायदे खत्म हो जाते हैं। इससे चाय काफी स्ट्रॉन्ग भी हो जाती है और उसमें कड़वापन आ जाता है।<br />कब पिएं<br />यूं तो चाय कभी भी पी सकते हैं लेकिन बेड-टी और सोने से ठीक पहले चाय पीने से बचना चाहिए। दरअसल, रात को सोने और आराम करने से इंटेस्टाइन (आंत) फ्रेश होती है। ऐसे में सुबह उठकर सबसे पहले चाय पीना सही नहीं है। देर रात में चाय पीने से नींद आने में दिक्कत हो सकती है।<br />साथ में क्या खाएं<br />- जिन लोगों को एसिडिटी की दिक्कत है, उन्हें खाली चाय नहीं पीनी चाहिए। साथ में एक-दो बिस्कुट ले लें।<br />- ग्रीन टी हर्बल ड्रिंक है, इसलिए इसे खाली ही पीना बेहतर है। साथ में कुछ न खाएं तो इसका गुणकारी असर ज्यादा होता है।<br />कितने कप पिएं<br />बिना दूध और चीनी की हर्बल चाय तो कितनी बार भी पी सकते हैं। लेकिन दूध-चीनी डालकर और सभी चीजें एक साथ उबालकर बनाई गई चाय तीन कप से ज्यादा नहीं पीनी चाहिए।<br />कितनी गर्म पिएं<br />चाय को कप में डालने के 2-3 मिनट बाद पीना ठीक रहता है। वैसे जीभ खुद एक सेंस ऑर्गन है। चाय के ज्यादा गर्म होने पर उसमें जलन हो जाती है और हमें पता चल जाता है कि चाय ज्यादा गर्म है।<br />रखी हुई चाय न पिएं<br />चाय ताजा बनाकर ही पीनी चाहिए। आधे घंटे से ज्यादा रखी हुई चाय को ठंडा या दोबारा गर्म करके नहीं पीना चाहिए। इसी तरह एक ही पत्ती को बार-बार उबालकर पीना और भी नुकसानदेह है। अक्सर ढाबों और गली-मुहल्ले की चाय की दुकानों पर चाय बनानेवाले बर्तन में पुरानी ही पत्ती में और पत्ती डालकर चाय बनाई जाती है। इससे चाय में नुकसानदायक तत्व बनने लगते हैं।<br />यह भी जानें<br />- चाय पीने का पहला आधिकारिक उल्लेख चीन में चौथी शताब्दी ई.पू. मिलता है, लेकिन किसी लिखित दस्तावेज में जिक्र 350 ई. में मिलता है।<br />- भारत में चाय की पैदाइश और बिक्री ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद ही शुरू हुई। आज भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन करता है। इसमें से 70 फीसदी की खपत देश में ही हो जाती है।<br />- 5-6 कप चाय पीने से मैग्नीजियम की रोजाना की जरूरत 45 फीसदी जरूरत पूरी हो जाती है। शरीर को रोजाना 2-5 मिग्रा मैग्नीजियम की जरूरत होती है।<br />- किसी भी गर्भवती महिला को एक दिन में 200 मिली ग्राम कैफीन यानी पांच कप से ज्यादा चाय नहीं पीनी चाहिए।<br />- चाय को लकड़ी के डिब्बे में स्टोर करना चाहिए। इससे उसकी महक बनी रहती है।<br />- नॉन-वेज खाने के बाद दो-तीन कप चाय पीना फायदेमंद होता है। इससे नॉन-वेज में जो कैंसर पैदा करने करनेवाले केमिकल होते हैं, उनका असर कम करने में मदद मिलती है।<br />- चाय को बिना चीनी या शहद के पिएं।<br />- चाय में नीबू मिला लेना अच्छा होता है।<br />गुण और भी हैं<br />- चाय की पत्तियों के पानी को गुलाब के पौधे की जड़ों में डालना चाहिए।<br />- चाय की पत्तियों को पानी में उबाल कर बाल धोने से चमक आ जाती है।<br />- एक लीटर उबले पानी में पांच टी बैग्स डालें और पांच मिनट के लिए छोड़ दें। इसमें थोड़ी देर के लिए पैर डालकर बैठे रहें। पैरों को काफी राहत मिलती है।<br />- दो टी बैग्स को ठंडे पानी में डुबोकर निचोड़ लें। फिर दोनों आंखों को बंद कर लें और उनके ऊपर टी बैग्स रखकर कुछ देर के लिए शांति से लेट जाएं। इससे आंखों की सूजन और थकान उतर जाएगी।<br />- शरीर के किसी भाग में सूजन हो जाए तो उस पर गर्म पानी में भिगोकर टी बैग रखें। इससे दर्द कम होगा और ब्लड सर्कुलेशन सामान्य हो जाएगा।<br />- गर्म पानी में भीगे हुए टी बैग को रखने से दांत के दर्द में फौरी आराम मिलता है।</em></div></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-66472860308622236952009-11-17T05:22:00.000-08:002009-11-17T05:34:49.274-08:00आसमान में आज रात मनेगी 'दिवाली'....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhsZg2nUUn79dVtqp9OeK0GQX0UNbBZlfckfzkjmbhHuPzZtpmoHoPWu2a-dRgQwduQ0GoR3FBhAPe-fk5HytTFEK_Wa544572Y5FZHFEf0wboognYTwblY1Jj4jGRUXaQtyvFncOzePXQ/s1600/09278173.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5405065227814453826" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 307px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhsZg2nUUn79dVtqp9OeK0GQX0UNbBZlfckfzkjmbhHuPzZtpmoHoPWu2a-dRgQwduQ0GoR3FBhAPe-fk5HytTFEK_Wa544572Y5FZHFEf0wboognYTwblY1Jj4jGRUXaQtyvFncOzePXQ/s320/09278173.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">एक टूटता तारा देखकर मन ही मन विश मांगने की एक्साइटमेंट अगर आपमें है तो अगले दो दिन तक कुदरत जैसे अपनी सारी जादूगरी आपकी हर इच्छा को पूरा करने के लिए आसमान पर बिखेर रही है। उल्काओं की बरसात से आतिशबाजी का सा नजारा होगा। इसे लियोनिड्स कहा जाता है, क्योंकि यह लियो (सिंह) तारामंडल की दिशा से होती है। आसमान की हर हलचल पर नजर रखने वालों से लेकर ताकझांक करने के शौकीन लोगों के लिए ये समां बेहद एक्साइटिंग होगा।<br /></span><span style="color:#006600;">किसे दिखेगा नजारा</span> खगोलविदों को मंगलवार और बुधवार को हर घंटे में 100 से 300 शूटिंग स्टार दिखाई देंगे। दिल्ली के आसमान पर आधी रात को 2 बजे से लेकर तड़के 4 बजे के बीच यह खूबसूरत नजारा देखा जा सकेगा। हालांकि अमावस्या के बाद का न्यू मून होने से आसमान काला तो होगा, लेकिन नजारा तभी दिखेगा बशर्ते धुंध न हो।<br /><span style="color:#006600;">कैसे देखे</span> दिल्ली उल्का पिंड की बरसात सामान्य टेलिस्कोप के जरिए देखी जा सकती है। कोहरे की वजह से अगर आसमान साफ नहीं रहता है तो दिल्ली के लोग शहर के बाहरी इलाकों में जाकर इस आतिशबाजी का मजा ले सकते हैं।<br />कैसे होती है ये आतिशबाजी लियोनिड उल्का की बरसात इससे पहले 1998 से 2002 के बीच जमकर जलवा दिखा चुकी है। इस साल ये उल्काएं सबसे चमकदार आतिशबाजी करने वाली हैं। उल्काओं को गिरते हुए यूं तो किसी भी रात को देखा जा सकता है, लेकिन जब इनकी तादाद ज्यादा हो तो इसे उल्का की बरसात कहा जाता है, क्योंकि सब एक साथ मिलकर आतिशबाजी जैसा नजारा देती हैं।<br /><span style="color:#006600;">कब होती है</span> यह बरसात धरती जब किसी उल्का के ऑर्बिट से गुजरती है तो उल्का की बरसात दिखाई देती है। जैसे-जैसे उल्का अपनी कक्षा में घूमती है बर्फ भाप बनने लगती है और मिट्टी और पथरीले कणों के टुकड़े छूटने लगते हैं। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-64658565141671094172009-11-07T03:36:00.000-08:002009-11-07T04:00:06.214-08:00Power<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmVQAjhyNFuLGt8qjkwx87LAH45FfGeYfyUhH1jhuGFNISKWqri07aw_pIk-SrQl3Fz9v7ueZzghavpdwB57JAUw_WnxIR4-EwTLWMwWHFdMCYRf2kJuuZ1NZkSxoGtVFq2SQuGKZHXAk/s1600-h/water_crown.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5401330232842785186" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 275px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmVQAjhyNFuLGt8qjkwx87LAH45FfGeYfyUhH1jhuGFNISKWqri07aw_pIk-SrQl3Fz9v7ueZzghavpdwB57JAUw_WnxIR4-EwTLWMwWHFdMCYRf2kJuuZ1NZkSxoGtVFq2SQuGKZHXAk/s320/water_crown.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">Be careful of your thoughts. Whatever you send out of your mind, comes back to you. Every thought you think, is a boomerang. If you hate another, hate will come back to you. If you love others, love will come back to you. An evil thought is thrice cursed. First, it harms the thinker by doing injustice to his mental body. Secondly, it harms the person who is its object. Lastly, it harms all mankind by vitiating the whole mental atmosphere. Every evil thought is as a sword drawn on the person to whom it is directed. If you entertain thoughts of hatred, you are really a murderer of that man against whom you foster thoughts of hatred. You are your own suicide, because these thoughts rebound upon you only. A mind tenanted by evil thoughts acts as a magnet to attract like thoughts from others and thus intensifies the original evil. Evil thoughts thrown into the mental atmosphere poison receptive minds. To dwell on an evil thought gradually deprives it of its repulsiveness and impels the thinker to perform an action which embodies it.Very carefully watch all your thoughts. Suppose you are assailed by gloomy thoughts. You experience depression. Take a small cup of milk or tea. Sit calmly. Close your eyes. Find out the cause for the depression and try to remove the cause. The best method to overcome the gloomy thoughts and the consequent depression, is to think of inspiring thoughts and inspiring things. Remember again, positive overcomes negative. This is a grand effective law of nature. </span></strong></em></div><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">by Swami Sivananda </span></strong></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-57578254760305008722009-11-07T01:09:00.000-08:002009-11-07T01:25:40.264-08:00अब धरती पर पैदा होगी सूर्य की ऊर्जा...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGBzVRZzqToAGtPRk1D7P2gFKJKx1MI31S8o8F2gg7dmifgJM7JknGTBSaRqJaRk1LVijmNvxyQ97TK9MJ7AIcEGd_RJSW_QXoG7q6WrgEovT3eDB0H7dONiurYAve-lVJDcUV2Wb5b0M/s1600-h/sunflare_skylab4_big.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5401290102278074082" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGBzVRZzqToAGtPRk1D7P2gFKJKx1MI31S8o8F2gg7dmifgJM7JknGTBSaRqJaRk1LVijmNvxyQ97TK9MJ7AIcEGd_RJSW_QXoG7q6WrgEovT3eDB0H7dONiurYAve-lVJDcUV2Wb5b0M/s320/sunflare_skylab4_big.jpg" border="0" /></a><br /><div><em>सूर्य से प्रकाश और गर्मी पैदा होने की प्रक्रिया को धरती पर दोहराने की तैयारी चल रही है। इसके लिए फ्रांस के कडाराश में एक फ्यूजन एनर्जी रिएक्टर बनाने का काम शुरू हो चुका है। भारत भी इसमें योगदान कर रहा है। इसे दुनिया का अब तक का सबसे साझा अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम माना जा रहा है। इसमें योगदान करने के लिए इटर इंडिया एजंसी की स्थापना की गई है। फ्यूजन एनर्जी रिसर्च पर सहयोग के लिए भारत और यूरोपीय संघ की शिखर बैठक में समझौता हुआ था।<br />इटर प्रॉजेक्ट फ्यूजन एनर्जी रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय थर्मो न्यूक्लियर एक्सपेरिमंटल रिएक्टर (इटर) प्रॉजेक्ट नाम से जाना जाता है। इटर इंडिया द्वरा फ्यूजन एनर्जी रिएक्टर के कई अहम उपकरणों का भारत में विकास और निर्माण किया जाएगा। इन्हें कडाराश में लगाने की जिम्मेदारी भी इटर इंडिया की होगी। इस प्रॉजेक्ट के तहत वैक्यूम वेसल, हाई वोल्टेज पावर सप्लाई, कूलिंग वॉटर सिस्टम और कुछ अन्य प्रणालियों की सप्लाई की जाएगी। गुजरात के गांधीनगर स्थित प्लाज्मा शोध संस्थान की अगुवाई में भारत का इटर में योगदान होगा। गांधीनगर में स्टडी स्टेट टोकामाक-1 की स्थापना की जा रही है। गांधीनगर में इस प्रयोग को कडाराश में होने वाली रिसर्च का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है।<br />भारत की भागीदारी यूरोपीय संघ, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, रूस और अमेरिका के साथ अब भारत भी इस अंतरराष्ट्रीय रिसर्च प्रॉजेक्ट में शामिल हो गया है। भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं और उपलब्धियों के मद्देनजर साझेदार बनाया गया है। इस प्रॉजेक्ट पर 16 अरब डॉलर का खर्च आने का अनुमान है। इसका दस फीसदी भारत को देना होगा। प्रॉजेक्ट पूरा होने में दो से तीन दशक तक लग सकते हैं। इस प्रॉजेक्ट में यूरोपीय संघ की भागीदारी 34 प्रतिशत, जापान 13 प्रतिशत, अमेरिका 13 प्रतिशत और चीन, दक्षिण कोरिया, रूस और भारत की हिस्सेदारी 10-10 फीसदी की होगी।<br />आईएईए की निगरानी यूरोपीय परिषद के प्रेजिडंट स्वीडन के प्रधानमंत्री फ्रेडरिक रनेफेल्ट और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में परमाणु ऊर्जा विभाग के चेयरमैन डॉ. अनिल काकोडकर और यूरोपीय आयोग की विदेशी मामलों की आयुक्त बेनिता फेरेरो वाल्डनर ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इटर समझौता 21 नवंबर 2006 को पैरिस में किया गया। 24 अक्टूबर 2007 को सभी भागीदार देशों ने इसे अनुमोदित किया। इटर के संचालन की जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजंसी (आईएईए) की है।<br />टोकामाक अवधारणा इटर प्रॉजेक्ट चुंबकीय खिंचाव की टोकामाक अवधारणा पर आधारित है। इसमें गैसीय स्वरूप वाले प्लाज्मा को एक वैक्यूम वेसल में भरा जाता है। ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के आइसोटोप ड्यूटीरियम और ट्रिटियम का मिश्रण इस्तेमाल होता है। 15 करोड़ डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर प्लाज्मा को गर्म किया जाता है। इससे हॉट प्लाज्मा पैदा होती है। वैक्यूम वेसल की दीवारों से हॉट प्लाज्मा को दूर रखने के लिए बहुत तेज चुंबकीय क्षेत्र पैदा किया जाता है। यह चुंबकीय क्षेत्र वेसल के चारों ओर सुपरकंडक्टिंग कॉइल से पैदा होता है। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-3827063795010802502009-11-04T01:00:00.000-08:002009-11-04T01:09:55.878-08:00सर्दियों में रखें सेहत का ख्याल<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgV2X03NhzAt5pJkCDG4XgxcUPs13zldG54T5rVntSrHwPcAzPcsxg7p4EFRO1IqMI_6x0Nz9yRJQv3u8rTWmB-D2FInNhIjRc1StQDzFrKriljeD-xVlWnGjkNHf1Nkkke9pENL00Wk4/s1600-h/FEMALE_BODY_FITNESS.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5400173024455763394" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 218px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgV2X03NhzAt5pJkCDG4XgxcUPs13zldG54T5rVntSrHwPcAzPcsxg7p4EFRO1IqMI_6x0Nz9yRJQv3u8rTWmB-D2FInNhIjRc1StQDzFrKriljeD-xVlWnGjkNHf1Nkkke9pENL00Wk4/s320/FEMALE_BODY_FITNESS.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>सर्दियों का गुलाबी मौसम अपने साथ सेहत से जुड़ी कई समस्याएं भी साथ लेकर आता है। इस दौरान नाक बहना, लगातार छींके आना, गले में खराश, सीने में जकड़न जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं। इसलिए इस मौसम में आपको अपनी सेहत को लेकर थोड़ा सा सावधान रहने की जरूरत है। अगर आप डायबीटीज या हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो इस मौसम में आपको अपने दिल का खास ध्यान रखना होगा। सर्दियों के दौरान मधुमेह के मरीजों में दिल और मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है। यह भी ध्यान रखें कि सर्दियों में रक्तवाहिनी सिकुड़ जाती हैं और रक्तचाप भी बढ़ जाता है।</strong></span><br />डॉ. अश्विनी शास्त्री के मुताबिक, इस मौसम में बुखार और संक्रमण काफी तेजी से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आप पहले से ही एहतियात बरतें। अपने खाने में पपीता, कद्दू, गाजर, टमाटर, पालक, अमरूद जैसी मौसमी सब्जियों और फलों को जरूर शामिल करें। इनसे आपके शरीर का तापमान भी मौसम के मुताबिक गर्म रहेगा। <span style="color:#ff0000;">खुद को संक्रमण से बचाने के लिए एक और बेहतर उपाय यह है कि आप रोज सुबह एक लौंग खा लें।<br /></span>कभी-कभी कुछ लोग अत्यधिक ठंड के कारण शीतदंश का शिकार हो जाते हैं, जिससे त्वचा सख्त या सुन्न हो जाती है। इसलिए अपने को ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े जरूर पहनें। <span style="color:#ff0000;">अगर शरीर का कोई हिस्सा सुन्न पड़ जाए, तो उसे कुछ देर तक गुनगुने पानी में रखने से आराम हो सकता है। एक बात का खास तौर पर ध्यान रखें कि शराब का सेवन करने के बाद ठंड में बाहर न निकलें। इससे आपकी रक्तवाहिनी सिकुड़ सकती हैं, जिससे फेफड़ों की समस्या हो सकती है।</span><br />डॉ. शास्त्री बताते हैं कि सर्दी-खांसी और बुखार के 100 से ज्यादा वायरस होते हैं। अगर एक बार आपकी नाक या गले से यह संक्रमण शरीर में प्रवेश कर जाए, तो यह लगातार बढ़ता ही रहता है। इसके लक्षणों में गले में खराश, छींक, नाक और आंखों से पानी बहना, शरीर में दर्द, हल्का बुखार, बंद नाक, खांसी आदि इसके लक्षण हैं। शरीर में सर्दी का यह सिलसिला एक या दो हफ्ते तक चलता है। इसके मुकाबले का बेहतर तरीका यही है कि आप ज्यादा से ज्यादा आराम करें और जितना हो सके जूस या अन्य दव भरपूर मात्रा में लें।<br />संक्रमण से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप पौष्टिक खाना खाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। साथ ही भरपूर नींद लें और व्यायाम करें। यह भी जरूरी है कि इस संक्रमण के रोगियों के प्रत्यक्ष संक्रमण में आने से जहां तक हो सके, खुद को बचाएं। सर्दियों में यह संक्रमण काफी तेजी से फैलता है, इसलिए जरूरी है कि ऐसे किसी भी रोगी के प्रत्यक्ष संपर्क में न आएं। अगर आप इस संक्रमण से पीड़ित हैं, तो भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और हमेशा खांसते या छींकते वक्त मुंह पर रूमाल जरूर रख लें।<br />मौसम के लिए खास सलाह डॉ. एन.के. त्रिपाठी बताते हैं कि सर्दी के मौसम में बीमारियों से बचाव के लिए हर उम्र के लोगों को खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है। इस मौसम में छोटे बच्चों को बाहर की ठंडी हवा के बचाकर रखना चाहिए। बच्चों को नहलाने के बाद उन्हें तुरंत गर्म कपड़े पहना दें, क्योंकि अगर एक बार उनके शरीर में ठंड बैठ गई, तो उन्हें ठीक होने में वक्त लग सकता है। वहीं, अस्थमा के मरीजों को भी घर और बाहर मौसम के अचानक बदलावों से सावधान रहना चाहिए। खास तौर पर सुबह के वक्त गर्म बिस्तर से उठकर एकदम खुली हवा में न जाएं, बल्कि थोड़ा इंतजार करें। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक अपने इनहेलर और नैजल स्पे आदि का इस्तेमाल भी करते रहें।<br />डॉक्टरों के मुताबिक, सर्दी सबसे ज्यादा सिर, कान और पैरों के जरिए शरीर में प्रवेश करती है। इसलिए अपने शरीर के इन हिस्सों को ठंडी हवाओं से बचाकर रखें। शरीर के रक्त संचार को सही स्तर पर रखने के लिए हर रोज व्यायाम करना न भूलें। आप बिना पैसा खर्च किए घर में रहकर ही 15-20 तक कुछ ऐसी एक्सरसाइज कर सकते हैं, जिन्हें करने पर शरीर से थोड़ा-बहुत पसीना जरूर निकले। </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-65098910644896365202009-10-27T09:45:00.000-07:002009-10-27T10:02:10.755-07:00केले के हैं फायदे अनेक<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDb-qkedJD9XFd3t68GcBVQxh4m6KRvHt3dGPELWFtc9OLT_KFpz50tDKSCb1J6tWfWTorRc_dWGV19G_3UXx3HvOZLCH0qDBybBiHRRXbNmk_FPZQLp8MAxGPOCTyE4HFR0f103T9PC4/s1600-h/banana-bed-humor-01.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5397325795186251346" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 243px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDb-qkedJD9XFd3t68GcBVQxh4m6KRvHt3dGPELWFtc9OLT_KFpz50tDKSCb1J6tWfWTorRc_dWGV19G_3UXx3HvOZLCH0qDBybBiHRRXbNmk_FPZQLp8MAxGPOCTyE4HFR0f103T9PC4/s320/banana-bed-humor-01.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">हालांकि ज्यादातर लोग केले को देखकर नाक चिढ़ाते हैं, लेकिन इस फल के फायदे बहुत हैं। एनर्जी का अच्छा सोर्स होने के साथ इसमें विटामिंस व मिनरल्स की भी अच्छी मात्रा होती है। ऐसे बहुत कम लोग ही होंगे, जो केले को अपने फेवरिट फ्रूट की लिस्ट में रखते हैं। लेकिन इस फल के फायदे बहुत होते हैं। खाने में आसान होने के साथ इसमें काफी न्यूट्रिशंस भी होते हैं। बच्चों की ग्रोथ के लिए ज्यादातर पैरंट्स अपने बच्चों को केला देते हैं, ताकि उनकी अच्छी ग्रोथ हो सके। कई कॉन्वेट स्कूलों में सुबह के नाश्ते में केला दिया जाता है। यह नेचरल फूड है। इसमें सोलन एनर्जी बहुत ज्यादा होती है, इसलिए आप अपनी डाइट में केला जरूर शामिल करें। अगर आपको लगता है कि आपके ब्रेकफास्ट में पौष्टिक चीजें शामिल नहीं हैं, तो आप ब्रेकफास्ट में केला लें। इससे विटामिन व मिनरल्स की कमी पूरी करेगा।</span><br />वैसे क्या आप जानते हैं कि दो छोटे केलों में फाइबर की मात्रा एक ब्रेड के बराबर होती है? यही नहीं, यह ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है? दरअसल केला लो ब्लड कॉलेस्ट्रोल में फायदेमंद है। दरअसल केले में विटामिन सी, विटामिन ए, पौटेशियम और विटामिन बी6 होता है। हाल में हुई एक रिसर्च से यह प्रूफ हो चुका है कि पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है और यह किडनी से अवांछनीय पदार्थ भी बाहर निकालता है। चूंकि केला मैग्नेशियम का अच्छा स्त्रोत है, इसलिए यह बहुत जल्दी पच जाता है और आपके मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखता है।<br />यूनिवर्सिटी ऑफ माइनसोटा में हुई रिसर्च से यह प्रूफ हो चुका है कि दो छोटे केलों में एक बेड की तुलना में ज्यादा फाइबर होता है। चूंकि फाइबर लोअर ब्लड कॉलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने में कारगर है। इससे आप समझ सकते हैं कि केला कितना गुणकारी है।<br />केला है स्वादिष्ट अगर केले के स्वाद की बात जाए, तो इसका टेस्ट हर किसी का फेवरिट है। आप केले को कई तरीके से ले सकते हैं जैसे आप इसे खाने के वक्त सलाद के तौर पर लिया जा सकता है। वहीं कुछ लोग केले को मूंगफली के साथ क्रंची स्टाइल में लेना पसंद करते हैं। इसके अलावा केला एक हेल्दी ड्रिंक भी है। आप केले को शेक के तौर पर ले सकते हैं। आप ऑरैंज जूस में केले के स्लाइस डालकर ले सकते हैं। आप ऑरैंज जूस में थोड़ा-सा जायफल व दालचीनी डाल दें। इससे इसका टेस्ट डिफरेंट लगेगा। वहीं आप केले को नाश्ते में बेक करके भी ले सकते हैं।<br />खिलाड़ियों के लिए बेस्ट अगर आप खेल के फील्ड से जुड़े हुए हैं, तो ऐसे आप केला अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। अकसर वर्कआउट करने के बाद आपकी बॉडी में एनर्जी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में केला ही ऐसा फल है, जो आपकी बॉडी एनर्जी देता रहता है। आपको एनर्जी के स्टेमिना भी बढ़ता है।<br />प्रेग्नेंसी में है जरूरी प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को सबसे ज्यादा विटामिन व मिनरल्स की आवश्यकता होती है। ऐसे में आप अपनी डाइट में केला अवश्य शामिल करें। चूंकि यह बॉडी को धीरे-धीरे एनजीर् देता है और आसानी से डाइजेस्ट भी हो जाता है। आप केले को स्नैक्स के तौर पर ले सकते हैं। अगर आपको ऊबकाई आती है, तो आप रोजाना केला खाएं।<br />बुढ़ापे का फूड आपको बता दें कि केला बुजुर्ग लोगों के लिए भी सबसे बेस्ट फल है। इसे आसानी से छिलकर खाया जा सकता है। यही नहीं, इसमें विटामिन सी, बी6 और फाइबर होता है, जो बुढ़ापे में जरूरी है। चूंकि बुढ़ापे में कब्ज की शिकायत ज्यादा होती है। ऐसे में आप रोजाना केला खाएं।<br /></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-5810563549499656822009-10-12T03:07:00.000-07:002009-10-12T03:18:15.549-07:00सफर<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQbx3XZ3Kl4oU_m-s0DnSLHbw2sBJGAta975UBVpoitb30fAnynsclPKA_ykB0Yhe1Phkj2KV1L3GDgV_SD4kcBmI31RcZRJNSQyyb1vfAD1mL80OS_QwtfCLEgFjKXmpdKpg6i8MqZ8c/s1600-h/Hero's%20Journey3.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5391655710295191250" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 213px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQbx3XZ3Kl4oU_m-s0DnSLHbw2sBJGAta975UBVpoitb30fAnynsclPKA_ykB0Yhe1Phkj2KV1L3GDgV_SD4kcBmI31RcZRJNSQyyb1vfAD1mL80OS_QwtfCLEgFjKXmpdKpg6i8MqZ8c/s320/Hero%2527s%2520Journey3.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>कुछ सोच... कुछ इरादे... लिए निकल पड़े.. </strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>पड़ाव आते गये ... हम बढ़ते गये..</strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>सफर में रोज़ कुछ नया सीखते गये... </strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>पड़ाव पड़ते गये हम बड़ते गये...</strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>हवा बारिश सब चलते रहे.. हम भी बढ़ते गये....</strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>कभी थक गए तो आसमा की आगोश में सुसता लिए..</strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>पड़ाव पड़ते गए..हम बढ़ते गए...</strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>और ये सफर चलता रहा...अब थकान जरूर होने लगी है...</strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>लेकिन मजिल अभी दूर है..और अभी बहुत चलना है...</strong></span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><strong>पड़ाव पड़ते गए हम बढ़ते गए..</strong></span></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-62128173072048319882009-10-06T02:02:00.000-07:002009-10-06T02:23:41.719-07:00थोड़ा जी कर देखो..<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqpqUY2w4-hMh3eYI-lYbHCMOMxmr1dOQ1L9qNhhWaTYbEDZ-rhk_uwmxUafVo0vJKZcUGW7WvxunjAP06_R9nCnUSyOnd5297y_t9iFk6nEieLqdCyu1IUNueDKZNJ66SyHDb_V6Nl5k/s1600-h/pic255471.jpg"><strong><em><span style="font-size:100%;"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5389411052041798610" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqpqUY2w4-hMh3eYI-lYbHCMOMxmr1dOQ1L9qNhhWaTYbEDZ-rhk_uwmxUafVo0vJKZcUGW7WvxunjAP06_R9nCnUSyOnd5297y_t9iFk6nEieLqdCyu1IUNueDKZNJ66SyHDb_V6Nl5k/s320/pic255471.jpg" border="0" /></span></em></strong></a><br /><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">जी लो जी भर के </span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">शीशे के अन्दर से बाहर झांक कर देखो</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">थोड़ी मिठ्ठी की खुशबू लेकर देखो</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">जब तक है जिन्दगी थोड़ा जी कर देखो</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">कभी शीशे के बाहर की बौछार में भीगकर देखो...</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">एसी टीवी ये ऐशोआराम से बाहर झांक कर देखो...</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">जब तक है जिन्दगी थोड़ा जी कर देखो</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">मुट्ठी भर पैसों के आगे कभी सोचकर देखो</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">कभी मजलूम मजबूर के चेहरे पर खुशी लाकर देखो</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">कभी नम पड़ी आखों को हंसा कर देखो...</span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">छोटी सी है </span></em></strong></p><p align="center"><strong><em><span style="font-size:100%;">जिन्दगी..इसे जी कर देखो..</span></em></strong></p><p align="center"><em><span style="font-size:100%;color:#cc0000;">शालिनी राय ६ अक्टूबर </span></em></p>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-47484441358754528512009-10-06T01:15:00.000-07:002009-10-06T01:28:10.029-07:00जी लो जी भरके....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlRGb9MbNKuACdtTqDPkQjK5NWmnCMy-BiVvfUEtGpB6Mn-ZuxTPC2M_NIzgHkfuLU8bbxTYLbXA2tbcRPywRdCowHwadtGg41COzEzNmaEANhK_vpztDFFOoynHcDinY8kqflwgS9BVw/s1600-h/llife.bmp"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5389400554106216722" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 118px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlRGb9MbNKuACdtTqDPkQjK5NWmnCMy-BiVvfUEtGpB6Mn-ZuxTPC2M_NIzgHkfuLU8bbxTYLbXA2tbcRPywRdCowHwadtGg41COzEzNmaEANhK_vpztDFFOoynHcDinY8kqflwgS9BVw/s320/llife.bmp" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">कहते हैं जिंदगी एक बार मिलती है, इसलिए उसे जी भरकर जीना चाहिए। लेकिन यह बात कहने-सुनने में जितनी आसान लगती है, फॉलो करने में उतनी ही मुश्किल। ख्वाहिशों की उड़ान और हकीकत के बोझ के बीच इंसान पिसकर रह जाता है। ऐसे में हर शख्स को कभी-न-कभी हताशा, निराशा, नाकामी और अकेलेपन की तकलीफ के बीच जिंदगी के बोझ बनने का अहसास घेर लेता है। घर-परिवार, यार-दोस्त, नौकरी-चाकरी से लेकर पर्सनल जरूरतों और चाहतों के बीच बेहतर तालमेल बनाकर कैसे जीएं जिंदगी को फुलटुस्स, बता रही हैं प्रियंका सिंह :<br /></span>हम सभी के पास दो तरह की जिंदगी होती है। एक वह जिंदगी, जो हम जीते हैं और दूसरी वह, जो सभी के अंदर होती है लेकिन हम उसे जी नहीं पाते। जाहिर है, जरूरत इसी जिंदगी को जानने-समझने और जीने की है। इसके साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि कामयाब जिंदगी क्या है? हालांकि हर शख्स के लिए इसकी अलग परिभाषा हो सकती है लेकिन मोटे तौर पर निम्न चीजें मिलकर एक कामयाब जिंदगी बनाती हैं :<br />- एक सुरक्षित और आनंददायक जगह पर रहना। - ऐसे लोगों का साथ, जो आपसे प्यार करते हों और आपकी इज्जत करते हों। - ऐसी चीजें करना, जिसने संतोष मिले और जिनका कोई रिवॉर्ड भी हो। - अपनी जरूरतें अच्छी तरह पूरी करने लायक चीजें और पैसा होना। - ऐसे समाज में रहना, जो सभी की स्वतंत्रता की हिफाजत करता हो।<br /><br />सेल्फ मैनेजमेंट 1. अपने मन में साफ रखें कि हम जिंदगी में क्या पाना चाहते हैं। रोज इसके बारे में सोचें और विजुएलाइज करें। कल्पना करें कि हमने उसे पा लिया है। उस स्टेज में खुद को देखें। इससे हम उलझन से बच सकते हैं। 2. खुद से प्यार करें। हम जैसे हैं, उसी रूप में खुद को स्वीकार करें। किसी भी तरह की हीनभावना खुद पर हावी न होने दें। 3. दूसरों के लिए कुछ करना अच्छा है लेकिन दूसरों के लिए खुद को बिल्कुल भुलाना नहीं चाहिए। अपने शौक और इच्छाओं के लिए भी वक्त निकालना चाहिए। 4. हमें गुस्सा, नाराजगी, निराशा और नकारात्मक सोच जैसे नेगेटिव इमोशंस को हैंडल करना और उनसे बाहर निकलना सीखना चाहिए। अगर किसी बात या चीज से दुखी हों तो उसके बारे में सचेत हो जाएं। दुखी होते रहने के बजाय उस घटना से सबक लेकर या खुद को व्यस्त रखकर आगे बढ़ें। 5. दूसरों के पैसे, ओहदे, शोहरत से तुलना बेशक करें, लेकिन ईर्ष्या न करें। हम उनसे सीखें और खुद में कोई कमी है तो उसे दूर करें। लेकिन साथ ही अपने को भी देखें और अपने मौजूदा स्तर से आगे बढ़ें तो वही असली तरक्की है।<br />रिश्ते 1. दूसरे लोग हमें समझें, इससे पहले हम उन्हें समझने की कोशिश करें। उनके हालात में खुद को रखने की कोशिश करें। 2. कम्यूनिकेशन जरूरी है। बड़े-से-बड़े मतभेद होने पर भी बातचीत जारी रखें। आपसी मतभेद को मनभेद न बनने दें। 3. जितना हो सके सुनें। इससे हम ज्यादा-से-ज्यादा सीखेंगे और कम-से-कम चीजें मिस करेंगे। साथ ही, आपस में तकरार होने के चांस भी कम होंगे। 4. जब सामनेवाले का पारा हाई तो चुप रह जाना ही बेहतर है, चाहे सामनेवाला गलत ही क्यों न हो। बाद में जरूर अपनी बात को कायदे से सही शब्दों में सामने रखें। मन में बातों को दबाकर रखना भी सही नहीं है। 5. दूसरों पर अपनी पसंद-नापसंद न थोपें। जब खुद हम हमेशा दूसरों के मुताबिक नहीं चल सकते तो दूसरों से यह उम्मीद भी बेकार है। अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को बदलने की कोशिश से रिश्तों में खटास के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।<br />सेहत 1. हम पैसे कमाने की खातिर अपनी सेहत को नजरअंदाज करते जाते हैं और बाद में सेहत ठीक करने की कोशिश में बेतहाशा पैसे खर्च करते हैं। पर अक्सर इसमें नाकाम रहते हैं। सेहत को अपनी प्राथमिकताओं में रखें। 2. रोजाना आधे घंटे की सैर या एक्सरसाइज जरूर करें। योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन कर पाएं तो तन-मन दोनों दुरुस्त रहेंगे। 3. कुछ लोग खाने के लिए जीते हैं तो कुछ जीने के लिए खाते हैं। हमें इन दोनों के बीच का रास्ता निकालना चाहिए। खाने में मन न मारें। कुछ भी खा सकते हैं लेकिन लिमिट में। खाना सेहतमंद हो, यह जरूर ध्यान रखना चाहिए। 4. आराम करें। हफ्ते में कम-से-कम कुछ घंटे ऐसे हों, जब हम दिल-दिमाग से तनावरहित होकर सिर्फ और सिर्फ आराम करें। ये चंद घंटे हमारी जिंदगी में रौनक और जोश लौटा देंगे। जिन लोगों से प्यार करते हैं, जिनका साथ पसंद करते हैं, उनके साथ वक्त बिताएं। 5. शराब, तंबाकू, गुटके जैसी चीजों से दूर रखें। अगर कुछ बुरी आदतें हैं तो उन्हें छोड़ने की कोशिश करें। बुरी आदतों को छुड़ाना मुश्किल हो सकता है लेकिन नामुमकिन नहीं।<br />करियर 1. भेड़चाल में न चलें, न ही दूसरों को मोटी कमाई करते देख उसी दिशा में बढ़ने लगें। हमें कामयाबी उसी फील्ड में मिलती है, जिसमें महारत हासिल है और जिसे हम एंजॉय करते हैं। 2. अपने सबसे बड़े शौक को प्रफेशन के रूप में चुनें। कोई काम न करें, जिसमें दिलचस्पी न हो। मनपसंद काम चुनने से हम उसे एंजॉय करेंगे। इससे काम से होनेवाला स्ट्रेस आपसे दूर रहेगा। 3. अगर हम अपने काम में सौ फीसदी देते हैं तो हमारी कामयाबी तय है क्योंकि माकेर्ट में ऐसे लोग बहुत कम हैं। छोटे-से-छोटे काम में भी अपना दिल, दिमाग और ताकत लगा दें। 4. जो भी काम करें, उसमें अपनी छाप छोड़ें। काम सभी लोग करते हैं, लेकिन कुछ लोग उसके लिए जाने जाते हैं। लीक से हटकर काम करें। लीक पर चलेंगे तो वहीं पहुंचेंगे, जहां दूसरे लोग उस रास्ते पर चलकर पहुंचे हैं। 5. जिंदगी के आखिरी लम्हे तक सीखते रहें। जानकारी ही हमारी असली ताकत है। अपने फील्ड के बारे में खुद को अपडेट करते रहें। चाहे इंटरनेट से करें या प्रफेशन से जुड़ी नई किताबें पढ़ें।<br />मनी मंत्रा 1. पैसे से खुशियां नहीं खरीदी जा सकतीं लेकिन इससे जिंदगी आसान हो जाती है और बहुत-सी तकलीफें दूर हो सकती हैं। इसलिए फाइनैंशल सिक्युरिटी जरूरी है। 2. जितनी चादर हो, उतने पैर पसारने चाहिए, अब यह फंडा बदल गया है। अब पैर सिकोड़ने के बजाय चादर बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, लेकिन इतना जोर न लगाएं कि चादर फट जाए। 3. इनकम बढ़ाने के लिए एक ही सोर्स पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। कम-से-कम दो सोर्स होने चाहिए। अगर एक में दिक्कत हो तो दूसरा चलता रहे। लेकिन नया सोर्स बनने पर ही पुराने को छोड़ने की सोचें। 4. बचत को लेकर संतुलित नजरिया अपनाएं। बचत इतनी ज्यादा न करें कि आनेवाले कल को संवारने के चक्कर में अपने आज में तकलीफें उठाएं। न ही इतना ज्यादा खर्च करें कि आज की मौज-मस्ती के चक्कर में आनेवाले कल का ध्यान ही न रखें। 5. पैसे को मैनेज करें न कि पैसा आपको मैनेज करे। यानी अंधाधुंध पैसे कमाने के चक्कर में जिंदगी की बुनियादी खुशियों से दूर न हो जाएं। साथ ही, फटाफट पैसे कमाने के चक्कर में न पड़ें। ऐसे में अक्सर आदमी धोखा खाता है।<br />टाइम मैनेजमेंट 1. प्राथमिकता तय करें। ऐसा करते हुए हमेशा ध्यान रखें कि महत्वपूर्ण काम क्या है। कई बार हम लोग अर्जेन्ट और अहम काम के बीच फर्क नहीं कर पाते। अजेर्ंट काम (चाहे कम जरूरी ही क्यों न हो) अक्सर इस लिस्ट में ऊपर आ जाता है, जबकि अहम काम पीछे छूट जाता है। मसलन, अगर दांत का इलाज करना है तो हम अक्सर उसे टालते रहते हैं, जबकि वह बेहद जरूरी है पर अक्सर अजेंर्ट नहीं होता। 2. सही वक्त पर फैसले करना बेहद जरूरी है। किसी फैसले को लंबे वक्त तक टालने से बेहतर है, आर-पार करना। इससे स्थिति साफ हो जाती है। किसी फैसले को टालना कई बार उस फैसले को लेने से कहीं ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है। 3. रोजाना सुबह उठकर उस दिन के कामों की लिस्ट बना लें। वक्त कम होने पर इनमें से गैरजरूरी को हटा दें, कम जरूरी को टाल दें और हो सके तो कामों को दूसरों को बांट दें, लेकिन उन पर थोपें नहीं। 4. लंबे वक्त से अटके पड़े काम के लिए रोजाना 10 मिनट का वक्त तय करें। इसी तरह ज्यादा वक्त खाने वाले कामों को भी छोटे-छोटे हिस्से में बांट लें और रोजाना थोड़ा-थोड़ा वक्त उसमें लगाएं। इससे देर से ही सही, काम पूरा हो जाएगा। 5. गौर करें कि हम अपना वक्त कैसे बिताते हैं। इसके लिए एक डायरी रखें और उसमें तीन दिन तक अपना रुटीन लिखें। इससे आप आसानी से पता लगा सकेंगे कि किस काम में आपका वक्त जाया हो रहा है।<br />लाइफ के टिप्स - कभी खुशी और सुकून के पलों को कैनवस पर उतारने की सोची है। सबसे पहले मन में पेड़ के नीचे आराम से बैठकर नेचर को निहारते शख्स की इमेज मन में आती है। जाहिर है, जिंदगी की भागदौड़ के बीच कुछ वक्त अपने लिए निकालना बेहद जरूरी है। - अपनी जिंदगी को एक विस्तृत तस्वीर के रूप में देखें। सोचें कि हमारी जिंदगी के अलग-अलग क्षेत्र आपस में किस तरह जुड़ें हैं और पहचानें कि अगर एक में बदलाव होगा, तो दूसरों पर उसका क्या असर दिखेगा। - आज में जीएं। वर्तमान क्षण और आसपास की खूबसूरती को जीएं। अगर यह स्वीकार कर लें कि बदलाव शाश्वत है तो वर्तमान में जीने में मदद मिलती है। - अहम होना अच्छा है लेकिन अच्छा होना ज्यादा अहम है। - सफलता का कोई मंत्र नहीं है। यह कड़ी मेहनत, सही मौकों पर सही फैसले और तकदीर के मेलजोल से मिलती है। - कुछ लोग उन चीजों को देखते हैं, जो हैं और पूछे हैं क्यों, जबकि कुछ लोग ऐसी चीजों का सपना देखते हैं, जो कभी नहीं थीं और पूछते हैं - क्यों नहीं? - नया हमें लुभाता है लेकिन हम बदलाव से बचते हैं। नयापन लाने के लिए हमेशा बदलाव को तैयार रहना होगा।<br /></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-7573739206043573922009-10-05T02:37:00.000-07:002009-10-05T02:54:30.419-07:00प्यार<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCmSKY7nGjW7M5o6mZ_jaLhaXkCcOvR7UAgKswY16kCGXahKKKgnSvBotNtlfVLd0mFE9S-C3EOnHY9Rfl2C7S3mtKF6AHGkKRBySBHBtkyj8YqLLPb6zeHFvCPaiP4grOKCRGUFZ7i8k/s1600-h/untitled+2.bmp"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5389052049707697698" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCmSKY7nGjW7M5o6mZ_jaLhaXkCcOvR7UAgKswY16kCGXahKKKgnSvBotNtlfVLd0mFE9S-C3EOnHY9Rfl2C7S3mtKF6AHGkKRBySBHBtkyj8YqLLPb6zeHFvCPaiP4grOKCRGUFZ7i8k/s320/untitled+2.bmp" border="0" /></a><br /><div>प्यार से प्यारा होता है प्यार</div><br /><div>कभी रेशम तो कभी सख्त होता है प्यार</div><br /><div><span class="">कभी शरारती तो कभी मां की छाया होता है..प्यार</span></div><br /><div><span class="">प्यार से प्यारा होता है...प्यार</span></div><br /><div><span class="">कभी डॉट तो कभी ममता का पिटारा होता है..प्यार</span></div><br /><div><span class="">अलग अलग रंग से रंगा होता है..प्यार</span></div><br /><div><span class="">कई रिश्तों की छाप होता है....प्यार</span></div><br /><div><span class="">प्यार से प्यारा होता है...प्यार</span></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-71423645764464131092009-10-05T01:58:00.000-07:002009-10-05T02:14:25.792-07:00अब चेक के बदले भी एटीएम मशीन करेगी नोटों बारिश ....<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgU92JrD_2Uo0eSfcF_XsdcJX6iTTx5N1G1Sm2L0vTuMXPZ0YUKopB0eNzuvVYrQ7op-e0s58T_rzxi0YYWMtoOILCDaDTImJIQBiFBuVXDlwTOlTs87s1EnddxUiwiaIKw6EzT9b91FrI/s1600-h/atm-machine-small.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5389041679954352178" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 400px; CURSOR: hand; HEIGHT: 312px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgU92JrD_2Uo0eSfcF_XsdcJX6iTTx5N1G1Sm2L0vTuMXPZ0YUKopB0eNzuvVYrQ7op-e0s58T_rzxi0YYWMtoOILCDaDTImJIQBiFBuVXDlwTOlTs87s1EnddxUiwiaIKw6EzT9b91FrI/s400/atm-machine-small.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">क्या आपको तुरंत नकदी की जरूरत है और एकाउंट खाली है। क्लाइंट से चेक तो मिला है, लेकिन रात के वक्त जरूरत पड़ने पर उसका कोई फायदा नहीं? या फिर डेबिट कार्ड खोने के बाद आपको अपने बच्चे के जन्मदिन समारोह के लिए आयोजक को तुरंत पैसा देना है? जेब खाली और चिंताएं इतनी। लेकिन जल्द ही ये दिक्कतें दूर होने वाली हैं।<br />भारत में कुछ बैंक ऐसी टेक्नोलॉजी का परीक्षण कर रहे हैं, जिससे एटीएम में चेक डालकर तुरंत नकदी हासिल की जा सकेगी...</span><br />एटीएम बनेगा सीटीएम..सीटीएम क्या है?उत्तरी अमेरिका और यूरोप में चेक ट्रंकेटिंग मशीन (सीटीएम) का काफी इस्तेमाल होता है, जो विशेष एटीएम मशीन के अंदर रहती है। सीटीएम, एक ऐसा यंत्र है, जो तुरंत चेक वेरिफिकेशन और क्लियरेंस करती है। अमेरिका की एनसीआर कॉर्प. और डाईबॉल्ड इंक जैसी एटीएम बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की नजरें अब भारत के कुछ बैंकों पर टिक गई हैं।<br />भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), आईडीबीआई और आईएनजी वैश्य जैसे कुछ बैंकों ने ऐसे एटीएम में दिलचस्पी जताई है। बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक ने भी इस कदम का स्वागत किया है। आरबीआई का कहना है कि यह ग्राहकों के लिए काफी बढि़या रहेगा।तो नकदी ऐसे भी ग्रहण करेगी एटीएम एनसीआर इंडिया के एमडी प्रदीप सेन ने कहा कि कंपनी बीते महीने से भारत में बैंकों को सीटीएम-एटीएम दिखा रही है। उन्होंने कहा, 'हम नई एटीएम मशीन भी लॉन्च करेंगे, जिसमें आप नोटों का बंडल इंसर्ट कर सकेंगे, वह भी किसी भी क्रम में।<br />एटीएम आपके नोट का अध्ययन करेगी और एकाउंट में रकम तुरंत क्रेडिट कर दी जाएगी।' फिलहाल एटीएम में रकम डिपॉजिट करने के लिए नकदी को एक लिफाफे में डालना पड़ता है। यह 24 घंटे में जाकर खाते में क्रेडिट होती है। देश में 48,000 से ज्यादा एटीएम सेंटर हैं, जो तीन शीर्ष एटीएम निर्माता कंपनियों (एनसीआर, डाईबॉल्ड और जर्मनी की विनकॉर निक्सडॉर्फ) के हैं। कैसे काम करेगी सीटीएम -एटीएमसीटीएम-एटीएम इंसर्ट किए जाने वाले चेक को स्कैन करती है और उसकी डिजिटल इमेज बनाती है। यह डिजिटल चेक इमेज क्लियरेंस के लिए इलेक्ट्रॉनिक आधार पर इसे जारी करने वाले बैंक के आईटी नेटवर्क पर भेजी जाती है।कुछ पलों में आपके खाते में रकम क्रेडिट कर दी जाती है, जिसे डेबिट कार्ड के जरिए तुरंत निकाला जा सकता है। या अगर आप अपना डेबिट कार्ड कहीं खो बैठते हैं या रखकर भूल जाते हैं, तो दोस्त को चेक जारी कर नकदी का संकट खत्म किया जा सकता है। आरबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि बैंकों को इंटर और इंटरा बैंक उद्देश्यों के लिए सीटीएम (चेक ट्रंकेटिंग मशीन) के इस्तेमाल की इजाजत पहले से दी गई है।<br />साभार हरसिमरन सिंह/ अमन ढल </em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-77952540733311114902009-10-01T00:38:00.000-07:002009-10-01T00:55:57.621-07:00जब बीपी हो जाए हाई...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHOy02VSxgZfVEADiY1DpziHwY6nJfQqIOlLsUmNuMDNX1JvFj_nacP3W87yiDvZeFHA6CKPSXY46f2THhX3qzdiET9t6kgCu0XKjczMKNveH3q8BjfKtBgSMVf_A2fBOH9zl56ZKA4Qo/s1600-h/high-blood-pressure-anxiety.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5387537044158191058" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 285px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHOy02VSxgZfVEADiY1DpziHwY6nJfQqIOlLsUmNuMDNX1JvFj_nacP3W87yiDvZeFHA6CKPSXY46f2THhX3qzdiET9t6kgCu0XKjczMKNveH3q8BjfKtBgSMVf_A2fBOH9zl56ZKA4Qo/s400/high-blood-pressure-anxiety.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><span style="color:#ff0000;">गलत खानपान , स्ट्रेस और गड़बड़ लाइफस्टाइल के चलते आजकल बड़ी तादाद में लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान हैं। अगर वक्त रहते कंट्रोल न किया जाए तो हाई बीपी कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। हाई बीपी एक ' साइलंट डिज़ीज ' है यानी ज्यादातर लोगों में इसका कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। ऐसे में जब तक बीपी की जांच न हो , तब तक उन्हें पता ही नहीं लग पाता।</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#33cc00;">कब समझें कि हाई बीपी के शिकार हो गए हैं</span> - जब भी बीपी छह महीने तक लगातार 85 से ज्यादा रहे। कभी - कभी स्ट्रेस या किसी और वजह से बीपी 85 से ऊपर हो सकता है , लेकिन फिक्र की बात तब है जब लगातार छह महीने तक ऐसा हो। 50 साल से ज्यादा उम्र वालों का बीपी कुछ ज्यादा होना नॉर्मल है पर अपर बीपी 139 और लोअर बीपी 89 से ज्यादा न हो। वैसे 55 साल के बाद अक्सर यह देखने में आता है कि नीचे का बीपी तो तकरीबन नॉर्मल आता है , पर ऊपर का बीपी ज्यादा आता है। यानी ज़रूरी नहीं कि अपर बीपी और लोअर बीपी की माप एक ही कैटिगरी में आए। ऐसे में आप खुद को ज्यादा गंभीर कैटिगरी में मानें। मसलन , अगर किसी का अपर बीपी 160 है और लोअर बीपी 80 तो वह हाइपरटेंशन स्टेज -2 कैटिगरी में है। अगर किसी का अपर बीपी 120 है और लोअर 95 तो वह हाइपरटेंशन स्टेज -1 कैटिगरी में है। </em></div><br /><div><em><span style="color:#33cc00;"><strong>जब बीपी हो जाए हाई ...</strong></span><br />1. <span style="color:#009900;">स्टेस करें कंट्रोल</span> : स्ट्रेस कंट्रोल करने के लिए चिंता , तनाव और गुस्से से बचें। हर वक्त जल्दबाजी में न रहें। शांत और खुश रहें।<br />आराम : दिन भर काम के दौरान बीच - बीच में थोड़ी देर के लिए रिलैक्स जरूर हो लें।<br /><span style="color:#009900;">नींद</span> : हाई बीपी की शिकायत जिन लोगों को है उन्हें कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। रात को सोते समय सिर उत्तर दिशा में न रखें। सिरहाना बहुत मोटा और सख्त न हो।<br /><span style="color:#009900;">म्यूज़िक</span> : सॉफ्ट या क्लासिकल म्यूज़िक ( शास्त्रीय संगीत ) सुनें। रोज करीब आधे घंटे तक क्लासिकल म्यूज़िक सुनने से हाई बीपी घटता है। ऐसा चार हफ्ते तक लगातार करने पर आपको बीपी में कमी मिलेगी।<br /><span style="color:#009900;">मेडिटेशन</span> : हमारा मन हर वक्त कुछ न कुछ सोचता रहता है। ध्यान यानी मेडिटेशन के समय मन को किसी एक विषय पर फोकस किया जाता है। जैसे - सांस के आने - जाने पर , किसी आवाज पर या फिर किसी मंत्र पर। किसी से मेडिटेशन सीख लें। रोज दिन में दो बार 20 मिनट तक मेडिटेशन करने से हाई बीपी कंट्रोल होता है।<br />2. <span style="color:#009900;">बढ़ाएं शारीरिक मेहनत </span>: ब्लड प्रेशर नॉर्मल रखने का सबसे आसान तरीका है रेग्युलर एक्सरसाइज। रोज आधे घंटे की एक्सरसाइज से शरीर के अंदर नाइट्रिक ऑक्साइड एक्टिवेट होता है , जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। सैर करना , लिफ्ट की जगह सीढि़यों का इस्तेमाल और घर के काम खुद करना काफी फायदेमंद है।<br />3. <span style="color:#009900;">घटाएं वजन</span> : मोटापा हाई बीपी की खास वजह होता है , उसे घटाएं।<br />4. <span style="color:#009900;">छोड़ें स्मोकिंग व ड्रिंकिंग </span>: सिगरेट , शराब और गुटखा बिल्कुल छोड़ दें तो अच्छा है , नहीं तो कम ज़रूर कर दें।<br />5. <span style="color:#009900;">ठीक करें खानपान</span> : पोटैशियम वाली चीजें ज़रूर लें। पोटैशियम दूध और फल - सब्जियों में पाया जाता है। छाछ , दही , केला , किशमिश , खजूर , आलू , बींस , गाजर , पालक , शकरकंद और टमाटर ले सकते हैं। लंबी लौकी का जूस , संतरे का जूस , गाजर और पालक का मिक्स्ड जूस , खीरा , पुदीने की चटनी खासतौर पर फायदेमंद है। सुबह पपीता लें। तरबूज खाते वक्त हल्का नमक व काली मिर्च डालकर खाएं। हां , जो लोग हाई बीपी के साथ - साथ किडनी की बीमारी से भी परेशान हैं , वे ज्यादा पोटैशियम वाली चीजें कम खाएं , मसलन - केला , संतरा , किशमिश , खजूर , खूबानी , गाजर जूस , बींस , सोयाबीन , मसूर की दाल , पालक , आलू।<br /><span style="color:#009900;">कैल्शियम वाली चीजें</span> : लो फैट दूध व दूध से बनी चीजें , दही , छाछ।<br /><span style="color:#009900;">मैग्नीशियम वाली चीजें</span> : सरसों जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां , साबुत अनाज , फल , गहरे हरे पत्तों वाली सब्जियां , घीया और पिस्ता , अखरोट , बादाम , काजू जैसे ड्राई फ्रूट्स , बींस , मटर , सोयाबीन का आटा , चॉकलेट व कोको पाउडर में मैग्नीशियम होता है। ब्राउन ब्रेड में सफेद रिफाइंड या प्रॉसेस्ड आटे के ब्रेड के मुकाबले ज्यादा मैग्नीशियम होता है। धनिया , सूखी सरसों , सौंफ , जीरा आदि कुछ मसालों में भी यह पाया जाता है।<br /><span style="color:#009900;">मूत्रवर्धक चीजें</span> : बीपी बढ़ने पर मूत्र की मात्रा बढ़ाएं तो अच्छा होता है। इसके लिए ठंडी व पेशाब लाने वाली चीजें जैसे खीरा , छाछ , नारियल पानी , गाजर का रस , सेब , पपीता , अनार , तरबूज , खरबूजा और हरी सब्जियां या इनका जूस लें। जो सब्जियां बेलों पर उगती हैं , वे मूत्र लाने में सहायक होती है , उनका इस्तेमाल करें। नारियल पानी भी फायदेमंद है।<br /><span style="color:#009900;">साबुत अनाज</span> : गेहूं पिसवाएं तो चोकर रहने दें। चना कम लें। जौ व जई का इस्तेमाल करें। अंकुरित अनाज भी बेहतर रहता है।<br /><span style="color:#009900;">ड्राई फ्रूट्स</span> : दो अखरोट की गिरियां और बादाम की छह गिरियां रात को भिगोकर सुबह खाएं। गमिर्यों में भी भीगे बादाम खाने में हर्ज नहीं।<br /><span style="color:#009900;">कम लें नमक</span> : दिन भर में ढाई ग्राम सोडियम यानी 6 ग्राम या एक चम्मच से ज्यादा नमक न लें। यहां तक कि सेंधा नमक भी कम लें। सिर्फ नमक की मात्रा घटाने से ही हाई बीपी कम हो जाता है। ब्रेड में भी नमक होता है। सोडियम भी कम लें। इन चीजों में सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है , इनसे बचें। जैसे - मट्ठी , नमकीन , भुजिया , दालमोठ , पराठा , पूरी , चाट - पकौड़ी और फ्रेंच फ्राइज , पॉपकॉर्न , नमकीन काजू , आलू चिप्स , नमकीन मक्खन , प्रोसेस्ड फूड , डिब्बाबंद अचार - मुरब्बे , टमेटो व सोया सॉस , बिस्कुट , केक , पेस्ट्री , वड़ा , डोसा , उत्तपम , आइसक्रीम।<br /><span style="color:#009900;">फैट</span> : खाने में एक महीने में घी - तेल - मक्खन तीनों को मिलाकर सिर्फ आधा किलो से ज्यादा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए , यानी एक दिन में 15 ग्राम से ज्यादा नहीं। छोले - भठूरे , समोसे , पकौड़े आदि तली - भुनी चीजें खाने से बीपी बढ़ता है। खाना बनाने में सरसों , मूंगफली व सूरजमुखी का तेल और कॉर्न ऑयल का इस्तेमाल अच्छा रहता है। ऑलिव ऑयल यानी जैतून के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।<br /><span style="color:#ff0000;">इनके अलावा वे चीजें भी कम लें जो पेशाब कम लाती हैं जैसे तीखे मिर्च - मसाले वाली चीजें। चीनी , चाय , कॉफी , कोला , नॉनवेज खाना और पेनकिलर दवाएं भी कम लें।</span></em></div><br /><div><em><span style="color:#ff0000;"><span style="color:#666666;">साभार नरेश तनेजा और नीतू सिंह</span> </span></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6899053808268059491.post-39603480668510090412009-09-30T23:27:00.000-07:002009-09-30T23:30:03.677-07:00रिश्ता पुराना है..<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguqnVi-PzpGnH0eHEx_eXTcNJXuCOnZLufyXosNAopLFNaJx1DdkPwnUKwBZZg4tlPu1nnXmJjgbA13KPJU-_IGgOof0RrQzHbHAhLBWmFUxIW5HhmesDOdRoBOPRKHKrM_K4XxUqtETE/s1600-h/Picture+001.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5387514961392296018" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 300px; CURSOR: hand; HEIGHT: 395px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguqnVi-PzpGnH0eHEx_eXTcNJXuCOnZLufyXosNAopLFNaJx1DdkPwnUKwBZZg4tlPu1nnXmJjgbA13KPJU-_IGgOof0RrQzHbHAhLBWmFUxIW5HhmesDOdRoBOPRKHKrM_K4XxUqtETE/s400/Picture+001.jpg" border="0" /></a><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">रूठने मनाने का सिलसिला पुराना है..</span></strong></em></div><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">यही शायद रिश्तो में मिठास भरता है... </span></strong></em></div><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">प्यार और लड़ाई का रिश्ता पुराना है..</span></strong></em></div><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">यही तो सबको करीब लाता है...</span></strong></em></div><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">रिश्तो में कड़वाहट आम बात है..</span></strong></em></div><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">लेकिन उनमें मिठास भरीए तो बात है...</span></strong></em></div><br /><div><em><strong><span style="color:#ff0000;">रूठने मनाने का सिलसिला पुराना है..</span></strong></em></div>shalini raihttp://www.blogger.com/profile/16166249400882752000noreply@blogger.com1