घर एक सपना


घर एक सपना होता है...
बन जाये तो अपना होता है...
बन के टूट जाए तो बेगाना होता है...
घर एक सपना होता है...
घर अपनो के बीच का आगंन होता है..
बच्चो की किलकारियों से गूजता सपना होता है...
घर एक सपना होता है...
पापा मम्मी चाचा चाची से अपना होता है...
रिश्तों के मजबूत धागों का गवाह होता है...
घर एक सपना होता है...
शालिनी राय

6 Comments:

  1. Vipin Behari Goyal said...
    बन जाये तो अपना होता है...बन के टूट जाए तो बेगाना होता है
    Vipin Behari Goyal said...
    bahoot khoob kaha aapne
    सुबोध said...
    घर चाहरदीवारी नहीं होती वो सिर्फ ईंट पत्थर का ढांचा नहीं होता...तमाम सुख दुख का साझा वो आंगन होता है जहां मां बाप भाई सभी का प्यार मिलता है. दिल से लिखी कविता तारीफ के काबिल
    ओम आर्य said...
    bahut hi sundar post ......jisame dil ke bhaw hai .....dil se likhi kawita
    RAJIV MAHESHWARI said...
    खूबसूरत भावाभिव्यक्ति।

    बहुत ही सुक्ष्म अनुभुतियों को आपने सुंदर तरीके से इस रचना में पिरो दिया है. बहुत शुभकामनाएं.
    संजय भास्‍कर said...
    अच्छी रचना है

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