धरती के जैसे किसी और ग्रह की खोज अभी थमी नहीं है। एस्ट्रोनॉमर्स ने एक ऐसा नया ग्रह खोजा है जो धरती से महज छह गुना बड़ा है और जिस पर 75 फीसदी पानी है। वैज्ञानिक हबल टेलीस्कोप का सहारा लेकर इसकी और नजदीकी जांच पड़ताल करने की फिराक में हैं।
हालांकि, इस ग्रह का टेंपरेचर धरती पर मिलने वाले जीवन के अनुकूल नहीं है। अमेरिका के हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह नया ग्रह धरती से सिर्फ 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। प्रकाश द्वारा एक साल में तय की गई दूरी एक प्रकाश वर्ष कहलाती है। पानी से लबालब भरा यह ग्रह या वॉटर वर्ल्ड एक कम चमकदार सितारे के आसपास चक्कर काटता है। इसका एक चक्कर महज 13 लाख मील का है जिसे यह सिर्फ 38 घंटों में पूरा कर लेता है। वैज्ञानिक इसमें इसलिए दिलचस्पी ले रहे हैं क्यांेकि यह हमारे सोलरसिस्टम से बाहर पाए जाने वाले ग्रहों में सबसे ज्यादा धरती जैसा है। सेंटर के रिसर्चर जैकोरी बर्टा का कहना था, अपने काफी गर्म तापमान के बावजूद यह एक वॉटर र्वल्ड जैसा ज्यादा लगता है। जैकोरी ने ही इस ग्रह को खोजा है। उनका कहना है कि अब तक की जानकारी मंे आए तमाम एक्सोप्लेनेट से यह काफी छोटा, ठंडा और धरती जैसा है। यह ग्रह जिस तारे के आसपास चक्कर लगा रहा है उसका नाम जीजे1214 है। इसे एमअर्थ प्रोजेक्ट के तहत धरती पर स्थित दूरबीनों की एक सीरीज की मदद से खोजा गया है। वैसे ये दूरबीन या टेलीस्कोप शौकिया लोगों के इस्तेमाल वाले टेलीस्कोप से ज्यादा उन्नत नहीं हैं।
इस ग्रह को सुपरअर्थ का नाम भी दिया गया है क्योंकि इसका आकार धरती से तो बड़ा है लेकिन यूरेनस और नेपच्यून जैसे विशाल ग्रहों से छोटा है। लेकिन इसकी समस्या है इसकी सतह का बहुत हाई टेंपरेचर जोकि लगभग 200 डिग्री सेल्सियस है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह की सतह के अलावा भी कुछ है जो इसके पैरंट स्टार से आने वाली रोशनी को रोक रहा है। मुमकिन है यह इस ग्रह का वातावरण हो जोकि मुख्यत: हाईड्रोजन और हीलियम से बना हो। अब वैज्ञानिक सोच रहे हैं कि हबल टेलीस्कोप को इसकी ओर मोड़ दिया जाए ताकि पता चल सके कि अगर इस पर वातावरण है तो किस तरह का है।
हालांकि, इस ग्रह का टेंपरेचर धरती पर मिलने वाले जीवन के अनुकूल नहीं है। अमेरिका के हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह नया ग्रह धरती से सिर्फ 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। प्रकाश द्वारा एक साल में तय की गई दूरी एक प्रकाश वर्ष कहलाती है। पानी से लबालब भरा यह ग्रह या वॉटर वर्ल्ड एक कम चमकदार सितारे के आसपास चक्कर काटता है। इसका एक चक्कर महज 13 लाख मील का है जिसे यह सिर्फ 38 घंटों में पूरा कर लेता है। वैज्ञानिक इसमें इसलिए दिलचस्पी ले रहे हैं क्यांेकि यह हमारे सोलरसिस्टम से बाहर पाए जाने वाले ग्रहों में सबसे ज्यादा धरती जैसा है। सेंटर के रिसर्चर जैकोरी बर्टा का कहना था, अपने काफी गर्म तापमान के बावजूद यह एक वॉटर र्वल्ड जैसा ज्यादा लगता है। जैकोरी ने ही इस ग्रह को खोजा है। उनका कहना है कि अब तक की जानकारी मंे आए तमाम एक्सोप्लेनेट से यह काफी छोटा, ठंडा और धरती जैसा है। यह ग्रह जिस तारे के आसपास चक्कर लगा रहा है उसका नाम जीजे1214 है। इसे एमअर्थ प्रोजेक्ट के तहत धरती पर स्थित दूरबीनों की एक सीरीज की मदद से खोजा गया है। वैसे ये दूरबीन या टेलीस्कोप शौकिया लोगों के इस्तेमाल वाले टेलीस्कोप से ज्यादा उन्नत नहीं हैं।
इस ग्रह को सुपरअर्थ का नाम भी दिया गया है क्योंकि इसका आकार धरती से तो बड़ा है लेकिन यूरेनस और नेपच्यून जैसे विशाल ग्रहों से छोटा है। लेकिन इसकी समस्या है इसकी सतह का बहुत हाई टेंपरेचर जोकि लगभग 200 डिग्री सेल्सियस है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह की सतह के अलावा भी कुछ है जो इसके पैरंट स्टार से आने वाली रोशनी को रोक रहा है। मुमकिन है यह इस ग्रह का वातावरण हो जोकि मुख्यत: हाईड्रोजन और हीलियम से बना हो। अब वैज्ञानिक सोच रहे हैं कि हबल टेलीस्कोप को इसकी ओर मोड़ दिया जाए ताकि पता चल सके कि अगर इस पर वातावरण है तो किस तरह का है।
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जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।