क्या चुनें...डेट या इक्विटी?बाजार में स्थिरता के साथ सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, ऐसे में निवेशकों को अब यह भ्रम सता रहा है कि वह किस तरह के फंड में निवेश करें। क्या उन्हें बढ़िया रिटर्न के लिए डायवर्सिफाई इक्विटी फंड चुनना चाहिए या फिर सुरक्षित दांव के लिए डेट फंड के विकल्प तलाशने चाहिए। यह बात जगजाहिर है कि तेजी के बाजार में इक्विटी निवेश, निवेशकों को सबसे ज्यादा मुनाफा देता है। डेट फंड ब्याज दरों में गिरावट के हालात में बढि़या रिटर्न देते हैं।
मुद्रास्फीति दर वापसी का खौफ दिखा रही है, ऐसे में ब्याज दरों में आगे गिरावट नहीं आएगी।मौजूदा मैक्रोइकनॉमिक हालात में डेट फंड ने ऐतिहासिक रिटर्न से कमतर प्रदर्शन दिखा सकते हैं। डेट फंड में निवेश केवल तभी फायदेमंद है, जब निवेशक आर्थिक रिकवरी को लेकर कोई खास उम्मीदें नहीं रखता। आर्थिक रिकवरी के मामले में विश्लेषकों के बीच भारी मतभेद हैं। इस मुद्दे पर स्पष्टता होना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ही एसेट एलोकेशन तय होती है। आखिरकार, हर निवेशक जोखिम के खास स्तर पर पोर्टफोलियो से बेहतर रिटर्न की तलाश में रहता है। अगर इक्विटी बाजार वास्तव में बढि़या रिटर्न देने की तैयारी कर रहे हैं, तो वे निश्चित रूप से इसमें हिस्सा लेना चाहेंगे।
क्या हो रणनीति...मिडकैप और स्मॉलकैपएक बात जो निवेशकों को समझनी होगी, वह यह कि रिटर्न, जोखिम के साथ आता है। ऐसा जोखिम जो लंबी अवधि और चरणबद्ध निवेश रणनीति अपनाकर खत्म किया जा सकता है। लार्जकैप फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर होते हैं, जिन्हें लंबी अवधि का निवेश करना होता है और जो खरीदकर उसे बनाए रखने की रणनीति पर चलते हैं।जिन निवेशकों की जोखिम सहने की क्षमता ज्यादा होती है और जो स्टाइल फंड में निवेश को लेकर दिलचस्पी रखते हैं, उन्हें इक्विटी म्यूचुअल फंड को लेकन दो सूत्री रणनीति अपनानी चाहिए। पोर्टफोलियो का मुख्य अंश बढि़या डायवर्सिफिकेशन और अनुमान लगाने लायक म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाना चाहिए, जो आगे चलकर बेहतर बाजार रिटर्न देते हैं। ऐसे रिटर्न के लिए पोर्टफोलियो का एक अंश सेक्टर केंद्रित फंड में लगाया जाना चाहिए। लचीलापन रखने वाले या स्मॉलकैप फंड पर भी गौर किया जा सकता है। आम तौर पर छोटी और मझोली कंपनियां बढि़या रिटर्न पैदा करने की क्षमता रखते हैं।
अत्यधिक रिटर्न पाने के लिए क्या करें?ज्यादा से ज्यादा रिटर्न बटोरने के लिए निवेशकों को लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप के बीच संतुलन कायम करते हुए म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो तैयार करने की जरूरत होती है। ऐसा पोर्टफोलियो लार्जकैप इक्विटी की ओर जरूरत से ज्यादा झुका नहीं होना चाहिए और न ही ऐसे सेक्टर फंड पर केंदित होना चाहिए, जो मुनाफा तो काफी देते हैं, लेकिन साथ ही उनमें उथल-पुथल भी खूब होती है। उन्हें निश्चित रूप से मिडकैप और स्मॉल फंड में पैसा लगाना चाहिए। हालांकि, निवेश का अनुपात क्या और किस तरह होगा, यह निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता पर निर्भर करता है।
यह याद रखना जरूरी है कि कई अन्य पहलू हैं, जिन पर विचार किया जाना जरूरी है, इनमें यह देखना भी शामिल है कि क्या फंड ग्रोथ में विशेषज्ञता रखता है या वैल्यू में। बाजार के अलग-अलग कैप फंड के बारे में जानना बढ़िया कदम है, जो आपको यह बता देगा कि कौन सा फंड आपके पोर्टफोलियो और निवेश के स्टाइल से मेल खाता है।साभार शुभा गणेश जी

1 Comment:

  1. सुबोध said...
    पैसे को लेकर मंदी ने जो डर पैदा किया है. उसमें ऐसे सलाहें काम की साबित हो सकती हैं...बेहतर है इस पर जरुर कतरन पेश करती रहें...बहुत काम की साबित होती है

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