रूठने मनाने का सिलसिला पुराना है..

यही शायद रिश्तो में मिठास भरता है...

प्यार और लड़ाई का रिश्ता पुराना है..

यही तो सबको करीब लाता है...

रिश्तो में कड़वाहट आम बात है..

लेकिन उनमें मिठास भरीए तो बात है...

रूठने मनाने का सिलसिला पुराना है..

जिदंगी


क्या कहूं जिदंगी भी क्या चीज़ होती है...

पल में खूबसुरत तो पल में बदरंग होती है..

क्या कहूं जिदंगी भी क्या चीज़ होती है..

कभी मासुम तो कभी होश उड़ा देती है..

क्या कहूं कि जिदंगी भी क्या चीज़ होती है..

कभी बहुत कुछ दे देती है...तो कभी सब कुछ ले लेती है...

क्या कहूं जिदगी भी क्या चीज़ होती है..


दुनिया में हर 10 सेकंड में एक मौत होती है डायबीटीज से। जी हां , नाम बेशक शुगर है लेकिन यह बीमारी धीमे जहर की तरह शरीर को खोखला करती है। गौर करनेवाली बात यह है कि दुनिया का हर 5 वां डायबीटीज मरीज भारतीय है। यही वजह है कि भारत डायबीटिक कैपिटल कहलाता है। लेकिन लाइफस्टाइल में सुधारकर इस बीमारी को खुद से दूर रखा जा सकता है। डायबीटीज से कैसे बचा जा सकता है , एक्सपर्ट्स से बात करके बता रही हैं प्रियंका सिंह :
डायबीटीज क्या है ?

डायबीटीज या शुगर लाइफस्टाइल संबंधी या वंशानुगत बीमारी है। जब पैंक्रियाज नामक ग्लैंड शरीर में इंसुलिन बनाना कम कर देता है या बंद कर देता है , तो यह बीमारी हो जाती है। इंसुलिन ब्लड में ग्लूकोज को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसकी मदद के बिना सेल्स शुगर ( ग्लूकोज ) को एनर्जी के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाते और यह बढ़ा हुआ शुगर लेवल डायबीटीज के रूप में सामने आता है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 10-15 साल लग जाते हैं। वैसे , 45-50 फीसदी मरीज वे होते हैं , जिनके परिवार में पहले से किसी को डायबीटीज रही हो।
डायबीटीज कितनी तरह की होती है ?
डायबीटीज को मुख्यत : दो वर्गों में बांटा जा सकता है : टाइप 1 या इंसुलिन आधारित डायबीटीज : इसमें इंसुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। ऐसा न करने पर मरीज बेहोश हो सकता है और कभी - कभी कोमा में भी चला जाता है। यह 3 से 25 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।
टाइप टू या बिना इंसुलिन आधारित डायबीटीज : इसमें इंसुलिन कम मात्रा में बनता है या पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। इस तरह की डायबीटीज आमतौर पर व्यस्कों में ही पाई जाती है और इंसुलिन आधारित डायबीटीज की तुलना में कम गंभीर होती है। डायबीटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटिगरी में आते हैं। एक्सरसाइज , बैलेंस्ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। डायबीटीज है तो किस MS">डॉक्टर के पास जाना चाहिए ? डायबीटीज का इलाज एंडोक्रिनॉलजिस्ट करते हैं। वैसे किसी भी ट्रेंड एमडी से डायबीटीज का इलाज कराया जा सकता है। अगर वह अपने नाम के आगे डायबीटॉजलिस्ट लिखता है तो और अच्छा है।
क्या वायरस के इन्फेक्शन से भी डायबीटीज की आशंका होती है ?

कुछ परिस्थितियों में वायरस का इन्फेक्शन भी डायबीटीज की वजह होता है। राइनो वायरस का इन्फेक्शन होने पर ये पैंक्रियाज ग्लैंड में मौजूद बीटा सेल्स को नष्ट कर देते हैं। वायरस से लड़ने के लिए शरीर में पैदा हुए एंटीबॉडीज भी पैंक्रियाज पर अटैक करके बीटा सेल्स पर बुरा असर डालते हैं। नतीजतन , इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या कम हो जाता है।
डायबीटीज से कौन - कौन सी दिक्कतें आती हैं ?

कमजोरी , हाथ - पैरों का कांपना , सुनने में दिक्कत , कंधे में दर्द या जाम हो जाना। इसके अलावा मसूड़ों में सूजन , आंखों से कम दिखने लगना , याददाश्त कम होने जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।
क्या कुछ दवाएं भी बुरा असर डालती हैं ?

मूत्रवर्धक , हाई बीपी स्टेरॉयड , कार्टीजोन , स्किन की बीमारियों की दवाएं और गर्भ - निरोधक दवाएं लगातार 6 महीने से ज्यादा वक्त तक लेते रहने से पैंक्रियाज के काम करने पर बुरा असर पड़ता है। इससे इंसुलिन बनना कम हो जाता है और डायबीटीज की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा , दिल की बीमारी होने या पैंक्रियाज ग्लैंड में सूजन होने पर डायबीटीज होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
क्यों हो जाती है शुगर की बीमारी ?

खानदानी बीमारी : अगर परिवार में किसी को डायबीटीज रही हो तो आशंका बढ़ जाती है। उम्र : कभी भी हो सकती है , पर 80 फीसदी मामलों में 50 साल के बाद होती है। गलत खानपान : कम प्रोटीन , कम फाइबर वाली और तली - भुनी चीजें और जंक फूड खाना। मोटापा : बीएमआई 25 से ज्यादा हो , कमर का घेरा महिलाओं में 35 इंच और पुरुषों में 40 इंच से ज्यादा हो। सेडेंटरी लाइफस्टाइल : लगातार एक ही जगह बैठकर काम करना और एक्सरसाइज न करना। स्ट्रेस : ज्यादा तनाव में रहना और पूरा आराम न करना। बीपी : कम उम्र में हाई बीपी , हार्ट प्रॉब्लम या खून में कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा होना। दवाएं : हाई बीपी , जोड़ों के दर्द आदि में दिए जानेवाले स्टेरॉयड , कार्टीजोन , स्किन की बीमारियों की दवाएं और गर्भ - निरोधक दवाएं प्रेग्नेंसी : महिला को प्रेग्नेंसी के वक्त शुगर रही हो या बच्चा बेहद मोटा पैदा हुआ हो। शुगर की जांच के लिए कौन - कौन से टेस्ट कराने चाहिए ?
25 साल की उम्र में साल में एक बार ब्लड शुगर टेस्ट करा लें। शुगर लेवल थोड़ा भी ज्यादा आता है या फैमिली हिस्ट्री है तो ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट जरूर कराएं। जिनकी फैमिली हिस्ट्री है , वे तीन महीने में जांच कराएं। प्रेग्नेंसी के दौरान डायबीटीज होने पर बच्चे को इस बीमारी की कितनी आशंका होती है ? ऐसे में बच्चे को यह बीमारी होने के 27 फीसदी चांस होते हैं। ऐसी 40 फीसदी मांओं को ऐहतियात न बरतने पर चार साल के अंदर डायबीटीज हो जाती है। बच्चों को इस बीमारी से दूर रखने के लिए मोटापे से बचाएं।


देश के दक्षिण-पश्चिमी तट पर बसा कोचीन अपनी लोकेशन की वजह से देश के इतिहास में एक अलग ही जगह रखता है। केरल के इ स खूबसूरत शहर पर अरब, ब्रिटिश, चाइनीज, डच, पुर्तगाली वगैरह सभ्यताओं की छाप साफ नजर आती है। भू मध्य रेखा के पास होने के अलावा, समुद व पहाड़ियों के भी इसके करीब होने से यहां खूबसूरत नजारों के साथ अच्छे मौसम को भी एंजॉय किया जा सकता है।
क्या देखें
चाइनीज फिशिंग नेट्स ये खासतौर पर कोचीन में ही यूज होती हैं। माना जाता है कि चीन के शासक कुबलई खान के दौर के व्यापारी इन्हें यहां लाए थे। दिलचस्प बात यह है कि ये नेट्स बस कोचीन में ही मिलती हैं और चीन में नहीं। फोर्ट कोचीन और वायपीन के आसपास के पूरे क्षेत्र में इनका जाल देखा जा सकता है।
फोर्ट कोचीन बीच सूर्यास्त के समय इन बीचों पर टहलना और दूर से जहाजों को देखना एक यादगार अनुभव रहेगा। बीच के किनारे कई यूरोपियन स्टाइल के बंगले भी देखे जा सकते हैं। साथ ही, यहां ताजी मछली से बनी कई डिशेज का स्वाद भी चखा जा सकता है।
वास्को हाउस रोस स्ट्रीट पर बना वास्को हाउस देश के सबसे पुराने पुर्तगाली हाउसेज में से एक है और माना जाता है कि वास्को डि गामा यहां रहे थे।
डच पैलेस इसे डचों ने बनवाया था और 17वीं शताब्दी में उन्होंने इसमें कुछ बदलाव कर इसे कोचीन के राजा को दे दिया था। यहां रामायण और महाभारत से जुड़ीं तमाम पेंटिंग्स देखी जा सकती हैं।
बोलगट्टी पैलेस मेनलैंड से थोड़ी देर की बोट राइड पर बोलगट्टी आइलैंड पर स्थित है यह पैलेस, जिसे फिलहाल केरल टूरिज्म के होटल में बदल दिया गया है। गोल्फ कोर्स और बेहतरीन नजारों वाला यह पैलेस एक पॉप्युलर पिकनिक स्पॉट है।
हिल पैलेस 19वीं सदी के कोचीन के राजा द्वारा बनवाए गए इस महल को फिलहाल एक म्यूजियम में बदल दिया गया है, जहां शाही परिवार की तमाम चीजों को रखा गया है।
पल्लिपुरम यह बेहद पुराने यूरोपियन फोर्ट्स में से एक है, जिन्हें पुर्तगालों ने 1503 में बनवाया था।
मंगलवन बर्ड सेंचुरी शहर के मध्य में बनी इस सेंचुरी में पक्षियों की कई प्रजातियों को देखा जा सकता है।
केरल म्यूजियम केरल के कल्चर, इतिहास, पेंटिंग्स, मशहूर हस्तियों के बारे में जानने के लिए यह म्यूजियम बेस्ट जगह है।
चेरई बीच तैराकी का मजा देने वाला यह बीच मेनलैंड से हटकर व्यपीन नाम के छोटे आइलैंड के पास है।
मरीन ड्राइव बैकवॉटर की वजह से बना यह कोस्टल पाथवे दोपहर और शाम का वक्त बिताने के लिए बेस्ट है। यहां नावों, टैंकर्स, पैसिंजर बोट्स फिशिंग बोट्स के नजारे खूब देखे जा सकते हैं।
एलिफेंट सेंचुरी दुनिया में अपनी तरह की अनूठी से सेंचुरी में आप हाथियों को करीब से देखने व जानने का मौका आपको मिलेगा। यह गुरुवयूर मंदिर के पास स्थित है।
धामिर्क स्थल
सेंट फ्रांसेस चर्च यूरोपियंस द्वारा बनवाया गया यह देश का सबसे पुराना चर्च है। अपनी तीसरी विजिट के दौरान बीमार होने से वास्को डि गामा का मृत्यु केरल में हुई थी और तब उन्हें इसी चर्च में दफनाया गया था।
गुरुवयूर यहां के इस मशहूर श्री कृष्णा टेंपल में हर साल 10 मिलियन से भी ज्यादा तीर्थ यात्री आती हैं। कहा जाता है कि जातिवाद से हटकर सभी के लिए अपनी द्वार खोलने वाला यह पहला मंदिर है।
ज्यू सायनागॉज डच पैलेस के पास 1568 में बनी यह बिल्डिंग चाइनीज और बेल्जियन चीजों से सजी है, जहां कोचीन के पुराने समय को सहज ही महसूस किया जा सकता है।
त्रिचूर केरल की कल्चरल कैपिटल कहलाने वाले त्रिचूर में भगवान शिव को समर्पित एक शानदार मंदिर है।
सैंटा क्रूज बेसिलिका फोर्ट कोचीन में बनी इस चर्च को पहले 1505 में पुर्तगालों ने बनवाया था और 1558 में इसे केथेड्रेल का नाम दिया गया। ब्रिटिश शासकों ने इसे 1795 में नष्ट कर दिया था। मौजूदा स्वरूप 1905 का बना है, जिसे बेसिलिका का स्टेटस पाप जॉन पॉल 2 ने 1984 में दिया था।
चेरामन मस्जिद लगभग 629 एडी में बनी इस मस्जिद को देश में बनी पहली मस्जिद माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इसमें हिंदू आर्ट और आकिर्टेक्चर का प्रभाव नजर आता है।
जैन मंदिर यहां का धर्मनाथ जैन मंदिर 100 से भी पुराना है और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
त्रिक्ककारा मंदिर कोचीन से 10 किलोमीटर दूर बने इस मंदिर की शान ओणम के त्योहार के दौरान देखते ही बनती है। यहां भगवान विष्णु को वामन के रूप में पूजा जाता है।
क्या करें बोट राइड इर्नाकुलम को फोर्ट कोचीन और मेट्टनचेरी से अलग करने वाली बैकवॉटर लाइन पर आपको तमाम छोटे व मध्यम साइज के आइलैंड मिलेंगे। यह राइड आपको एक अलग तरह का यादगार अनुभव देगी।
बीच वॉक सुबह और शाम को यहां की सुकून भरी बीच वॉक का एक अलग ही मजा है।
आयुर्वेद मसाज छुट्टियों में यहां की आयुर्वेद मसाज करवा कर आप निश्चित रूप से तरोताजा हो जाएंगे।
जाने का बेहतरीन समय : अक्टूबर से मार्च

कहां रुकें: ठहरने के लिए यहां आपको तमाम बड़े और बजट होटल मिल जाएंगे। फिर यहां ट्रीहाउस और हाउस बोट में ठहरने की व्यवस्था भी है, जो आपको एक अलग रोमांच देगी।
कैसे घूमें: कोचीन का लोकल बस नेटवर्क अच्छा है और आराम से उस पर घूम सकते हैं। इसके अलावा, थोड़ी दूरी को ऑटोरिक्शा के जरिए पूरा किया जा सकता है, तो लंबी दूर के लिए टैक्सी लेना ठीक रहेगा।
कैसे पहुंचे: कोचीन हवाई, रेल और सड़क मार्ग से तमाम शहरों से जुड़ा है, इसलिए यहां पहुंचने में आपको खास परेशानी नहीं होगी।
साभार : मेधा चावला बतरा

त्योहार


त्योहार
जिंदगी के रास्तों पर सजी दुकानों से हो गए हैं।
समान से लेकर दुकान तक
सबकुछ बिकाऊ है यहां।
बेमानी सी लगती हैं त्योहारों की ये दुकानें।
खुशियों से लेकर परम्पराओं तक
सबकुछ सेल में सजा है।
पैसों से चंद मिनटों में सबकुछ खरीद लेने की
कुछ जिदों के आगे
फिलहाल मेरे एहसासों की जेबें खाली है ।
शालिनी राय तारीख २६ सितम्बर 2009


त्योहारी सीजन में हमारे यहां चांदी के सिक्के देने का काफी प्रचलन है। मगर इस बार आपको गिफ्ट के तौर पर अगर 'चांदी के नोट' मिलें, तो हैरान न हों। गिफ्ट बाजार में बदलाव लाने के प्रयास में सोना-चांदी का कारोबार करने वाली कंपनियों ने इस बार चांदी के सिक्कों के साथ चांदी के नोट बाजार में पेश करने का फैसला किया है। इसका आगाज सरकारी कंपनी एमएमटीसी ने किया है।
चांदी के नोट 20, 50 और 100 रुपये के शेप के बनाए गए हैं। इसमें असली नोटों की तुलना में बस अंतर यह है कि इसमें आराध्य देवी-देवताओं की तस्वीर बनी हुई हैं। फिलहाल चांदी के नोटों को 20 से लेकर 100 ग्राम की रेंज में बनाया गया है। इनकी कीमत 700 से 3800 रुपये रखी गई है।

एमएमटीसी के अधिकारियों का कहना है कि इस बार सोने-चांदी के जितने गिफ्ट आइटम बाजार में पेश किए गए हैं, उनमें सबसे अधिक डिमांड चांदी के नोटों की है। लोग काफी दिलचस्पी के साथ इसकी खरीदारी कर रहे हैं। बेशक प्राइस रेंज में यह चांदी की सिक्कों की तुलना में कुछ ज्यादा है, मगर लुक और साइज के लिहाज से यह सिक्कों से ज्यादा बड़ी है। यही कारण है कि इसकी लागत बढ़ जाती है।
चांदी के नोटों में लोगों की रुचि को देखते हुए जूलर्स ने इसको कम प्राइस रेंज में बाजार में उतारने का मन बनाया है। अगले कुछ दिनों में 5 से 10 ग्राम के चांदी के नोट भी बाजार में उतारने की योजना बनाई गई है। कमोडिटी बाजार की सर्वे एजंसी विनायक इंक के प्रमुख विजय सिंह का कहना है कि भारतीय ग्राहक भी अब हर चीज में बदलाव चाहते हैं। एक लंबे समय से सिक्कों का प्रचलन त्योहारी सीजन में रहा है। चांदी या सोने की खरीदारी की त्योहारी सीजन में परंपरा रही है। सिक्कों की जगह अगर चांदी के नोट बाजार में आ रहे हैं, तो बदलाव के तौर पर इसका स्वागत होना तय है।
कारोबारियों का कहना है कि चांदी के नोटों की कीमतों में और कमी आ सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसमें चांदी की कितनी शुद्धता होती है। आम तौर पर चांदी-999 के रेंज को पूर्ण शुद्ध माना जाता है। इसमें चांदी की शुद्धता 91 पर्सेंट की होती है। लोगों में चांदी के नोटों के प्रति दिलचस्पी को देखते हुए आम आदमी तक चांदी के नोट पहुंचाने के लिए इसकी शुद्धता को थोड़ा कम करके इसकी कीमत को भी कम किया जा सकता है।


क्या आप भी अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके काम की है। एक नई ग्रीन कॉफी बनाने वालों रिसर्चरों ने दावा किया है कि इसको ब्रेकफास्ट से पहले पीने पर डाइट चार्ट में बिना कोई बदलाव किए ही एक महीने में 2 किलोग्राम तक वजन कम किया जा सकता है।
रिसर्चरों का दावा है कि रोज हरी कॉफी पीने से अतिरिक्त चर्बी से छुटकारा पाया जा सकता है। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया है कि हरी कॉफी का क्लोरोजेनिक एसिड आहार नली में शुगर के अवशोषण को घटाता है और फैट के खत्म होने की प्रक्रिया को तेज करता है। वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया कि जिन्होंने रोज़ एक कप हरी कॉफी पी, उनका दो सप्ताह में वजन करीब डेढ़ किलो और एक महीने में दो किलो कम हो गया।
ब्रिटिश अखबार डेली मेल ने वैज्ञिनक लॉरेंट फ्रेसनेल के हवाले से कहा, 'कॉफी हरी चाय के समान है। इसके कच्चे और बिना भुने स्वरूप में मौजूद तत्व पाचन बढ़ाते हैं और वजन कम करने में मदद करते हैं। दुर्भाग्य से यह तत्व भूनने के दौरान नष्ट हो जाते हैं इसलिए नियमित तौर पर पी जाने वाली कॉफी में नहीं मिलते।' शोध के परिणाम जरनल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में छपे हैं।


घर एक सपना होता है...
बन जाये तो अपना होता है...
बन के टूट जाए तो बेगाना होता है...
घर एक सपना होता है...
घर अपनो के बीच का आगंन होता है..
बच्चो की किलकारियों से गूजता सपना होता है...
घर एक सपना होता है...
पापा मम्मी चाचा चाची से अपना होता है...
रिश्तों के मजबूत धागों का गवाह होता है...
घर एक सपना होता है...
शालिनी राय


अगर आप एनसीआर में अपने घर का सपना साकार करना चाहते हैं तो आपके पास एक बढ़िया मौका है। नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) साउथ दिल्ली के घिटोरनी में अफोर्डेबल हाउसिंग का एक प्रोजेक्ट अगले साल जनवरी में ला रहा है। इसमें पहले चरण में दो से तीन हजार मकान बनाए जाएंगे।
घिटोरनी प्रोजेक्ट सभी के लिए ओपन रहेगा। मकान का अलॉटमेंट लॉटरी सिस्टम से होगा। जमीन को लेकर पैदा हुए गतिरोध के बाद हाई कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट पर ओके सिग्नल दे दिया है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने भी सहमति जता दी है। उम्मीद है कि सभी प्रशासनिक अनिवार्यताएं एक-दो महीने में पूरी हो जाएंगी।
एनबीसीसी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अरूप रॉय चौधरी ने एनबीटी को बताया कि गुड़गांव में हीरो होंडा चौक के पास सेक्टर-37 में भी पांच हजार मकान बनाए जाएंगे। यह प्रोजेक्ट इसी साल दीपावली के आसपास अक्टूबर में लॉन्च किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को सरकारी कर्मचारियों और पब्लिक सेक्टर कर्मियों की जरूरत को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। दो बेडरूम का मकान 20 से 25 लाख रुपये और तीन बेडरूम का घर 30 से 35 लाख रुपये के बीच होगा। लोन की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
इसके अलावा, दिल्ली बॉर्डर के पास यूपी में लोनी-बागपत हाइवे पर खेकड़ा क्षेत्र में विभिन्न कैटिगरी के घर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ये मकान सात लाख 25 हजार रुपये से लेकर 17 लाख 35 हजार रुपये के होंगे। इन मकानों का सुपर बिल्टअप एरिया 493 वर्ग फुट से लेकर 1100 वर्ग फुट तक होगा। एक बेडरूम, ड्रॉइंग-डाइनिंग, किचन और टॉयलेट वाले घर की कीमत सात लाख 25 हजार रुपये होगी। दो बेडरूम वाला मकान 10 लाख 35 हजार रुपये और तीन बेडरूम वाला घर 17 लाख 80 हजार रुपये में मिल सकेगा। रिटायर्ड केन्द्रीय कर्मचारियों, सरकारी व पब्लिक सेक्टर कर्मचारियों को पांच प्रतिशत की छूट मिलेगी। मकान डेढ़-दो साल में बनकर तैयार हो जाएंगे। इनके लिए अप्लाई करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
एनबीसीसी एनसीआर के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्टों के प्लान तैयार कर रहा है। कोलकाता में ऐसा प्रोजेक्ट फाइनल स्टेज पर है। पटना और कोच्चि में जल्द प्रोजेक्ट शुरू होंगे। इसके लिए राज्य सरकारों से जमीन मांगी गई है। प्राइवेट स्तर पर जमीन खरीदने की भी योजना है। एनबीसीसी के ये मकान क्वॉलिटी और कीमत के मामले में खरे उतरेंगे।
घिटोरनी, साउथ दिल्ली
मकान : फर्स्ट फेज में 2000-3000 लॉन्चिंग : जनवरी में कोई भी कर सकेगा अप्लाई
गुड़गांव, सेक्टर-37
मकान : 5000 लॉन्चिंग : अक्टूबर में टू बेडरूम : 20-25 लाख रु. थ्री बेडरूम : 30-35 लाख रु.
खेकड़ा, लोनी-बागपत हाइवे
वन बेडरूम : 7 लाख 25 हजार रु. टू बेडरूम : 10 लाख 35 हजार रु. थ्री बेडरूम : 17 लाख 80 हजार रु. रिटायर्ड कर्मियों को 5 पर्सेंट छूट डेढ़-दो साल में तैयार होंगे अप्लाई करने की प्रक्रिया शुरू

साभार विभावसु तिवारी


आइये आपको एक कहानी सुनाते है....एक बच्चा जब दुनिया में कदम रखने को तैयार था ..बच्चे ने भगवान से कहा कि कल आप हमें नीचे धरती पर भेजने वाले है...वहां मैं कैसे रहूंगा..तो भगवान ने कहा सब परीयों में से मैने एक परी तुम्हारे लिए पसंद करके नीचे भेज दी है...और वो तुम्हारा नीचे इंतज़ार कर रही है....वो तुम्हारा वहां क्याल रखेगी..तब बच्चे ने पूछा कि मैं तो यहां बस गाने सुनता हूं .. खेलता हूं...और खुश रहता हूं...वहां कैसे सुनुंगा। तो भगवान ने कहा कि वहां जो परी है..वो तुम्हें गाने सुनायेगी...और खुश भी रखेगी...फिर बच्चे ने सवाल किया कि लेकिन मैं वहां उनकी भाषा कैसे समझूंगा...तो भगवान ने कहा कि वहां जो परी है..वो तुम्हें सब सिखा देगी...तब बच्चे ने कहा लेकिन मैं तब क्या करूंगा..जब आपसे बात करनी होगी..तो भगवान ने कहा कि वो तुम्हारे हाथ जोड़ कर मुझसे बात करना भी सिखा देगी..तब बच्चे ने कहा मैने सुना है..वहां बहुत बुरे लोग भी है....उनसे मुझे कौन बचाएंगा..तो भगवान ने कहाकि परी तुम्हें सबसे बचाके रखेगी...तुम्हारा बहुत ध्यान रखेगी...तब बच्चे ने कहा लेकिन मैं तभी भी बहुत दुखी रहूंगा..क्योकि आपको नहीं देख पाऊंगा..तो भगवान ने कहा कि परी तुम्हें फिर से वापस मेरे पास और नजदीक रहने के भी तरीके बतांएगी....फिर जब बच्चे के एकदम जाने का वक्त हो गया...बच्चे ने भगवान से पूछा कि अच्छा मुझे उसका नाम तो बता दिजिए..तो भगवान ने कहा नाम तो नहीं बता सकता लेकिन तुम उसे मां कहोगे...तो ये वो परी जो भगवान ने हमारे लिए धरती पर भेजी है....और हमें उसकी हमेशा इज्जत और प्यार करना चाहिए...

प्यार


प्यार को समझने की कोशिश में लगी रही...
लेकिन वो हमेशा एक पहेली बन कर मिलती रही..

जब लगता कि एक छोर तो पूरा हुआ,

तभी फिर नए छोर के साथ मिलती रही..

और ये सिलसिला लंबा होता गया...

जब भी लगा कि बूझ लिया

तो फिर से एक नये रंग में खड़ी मिली..

आखिर कब होगा ये सिलसिला पूरा

पूछा .तो कहने लगी कि यही तो प्यार है..

जो तुम्हें हमेशा मिलती रही...


शालिनी राय १९ सितंबर

जिन्दगी


मैंने निखारने की कोशिश की
वो बिखरती चली गई..
मैंने रंग भरने की कोशिश की
वो बदरंग हो गई...
मैंने जब उसे संभाला...
उसे सहारा दिया..
वो बेसहारा हो गई...
मैंने बहुत कोशिश की,
फिर थक गई
तो उसने अपने आगोश में बैठा लिया...
और जिन्दगी बन गई...
शालिनी राय १९ सितंबर


अगर आप इतिहास में झांकने और खूबसूरत नजारों को देखने की हसरत रखते हैं, तो आंध्र प्रदेश का वारंगल आपके लिए एक आइडल स्पॉट हो सकता है। जानते हैं इसके बारे में : इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए देश में देखने लायक जगहों की कमी नहीं है। आंध्र प्रदेश का चौथा बड़ा शहर वारंगल भी इन्हीं में से एक है, जहां आप ऐतिहासिक मंदिरों व किलों में जाकर बीते समय को करीब से महसूस कर सकते हैं। इनमें से कई जगहें तो तीसरी शताब्दी में बनी हैं।
क्या देखें :
वारंगल फोर्ट 13वीं शताब्दी का यह किला हनमकोन्डा से 12 किलोमीटर दूरी पर है और यहां देखने लायक सबसे दिलचस्प जगह है। इसके अवशेष बीते समय की तमाम कहानियां सुनाने को बेताब नजर आते हैं।
हजार खंभों का टेंपल यह मंदिर कैकत्य आर्किटेक्चर व स्कल्प्चर का बेहतरीन उदाहरण है। इसके अंदर बनी रुदा देवी को 1163 में बनाया गया बताया जाता है। यह चौलकयन आर्किटेक्चर में बनी सितारे के आकार बनी श्राइन है।
भद्र काली मंदिर हनमकोन्डा और वारंगल के बीच स्थित एक पहाड़ी की चोटी पर बना यह मंदिर काली मां की पत्थर की मूर्ति के लिए मशहूर है। इसी के पास बने प्लैनेटोरियम और म्यूजिकल गार्डन भी लोगों के आकर्षण का केन्द हैं।
जैन मंदिर दो हजार साल पुराने इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर में तीर्थंकारों की खूबसूरत मूर्तियां लगी हैं, तो इस पर हुआ काम भी देखने लायक है।
कोलनुपाक कोलनुपाक वारांगल व हैदराबाद के बीच स्थित है। यह जगह 11वीं शताब्दी में कल्याणी चौलक्यास की दूसरी राजधानी हुआ करती थी। उस दौरान यह गांव जैन धर्म के लोगों में काफी मशहूर था और इसकी अहमियत आज भी बरकरार है।
श्री वीरनारायण मंदिर चौलक्यन अंदाज में यह मंदिर 1104 में बनाया गया था।
पाखल लेक वारंगल से 50 किलोमीटर दूर बनी यह लेक 30 स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है। इस लेक को कैकत्य राजा, गणपतिदेव ने 1213 में कृष्णा नदी के हिस्से से बनवाया था।
रामप्पा मंदिर इसे रामलिंगेश्वर मंदिर भी कहा जाता है और यह वारंगल से 70 किलोमीटर दूर पलमपत गांव में स्थित है। 1213 में बना यह खूबसूरत मंदिर कैकत्य राजधानी के भव्य इतिहास की गवाही देता है।
कोलनुपका म्यूजियम कोलनुपका तब चर्चा में आया था, जब कल्याणी चौल्कयों ने 11वीं शताब्दी में इसे अपनी दूसरी राजधानी बनाया था। उस समय की तमाम चीजें एक म्यूजियम में सहेज कर रखी गई हैं, जो वाकई देखने लायक हैं।
कब जाएं : अक्टूबर से मार्च का समय वारंगल जाने के लिए बेहतरीन है।
कैसे जाएं : हैदराबाद से वारंगल की दूरी 140 किलोमीटर है और यह निकटतम एयरपोर्ट है। वारंगल सभी मुख्य शहरों से रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा है।





आप खुद को फिट रखने के लिए हजारों रुपये फिटनेस क्लब की मेंबरशिप या फिर पर्सनल ट्रेनर रखने में बर्बाद कर देते हैं। आप चाहें तो घर में ही सिंपल वर्क आउट करके खुद को फिट रख सकते हैं। घर में आप प्राइवेसी और अपनी सुविधा के मुताबिक वर्क आउट कर सकते हैं। अगर आपका मन अकेले एक्सरसाइज करने का है, तो भी घर में वर्क आउट करना बेस्ट ऑप्शन है। यही नहीं, जब आपका मन हो तो आप अपने दोस्त को भी एक्सरसाइज के लिए बुला सकते हैं।
आप घर में एक्सरसाइज प्रोग्राम शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। यहां हम आपको कुछ सिंपल वर्क आउट बता रहे हैं, जिन्हें आप घर में फॉलो कर सकते हैं।
सीढ़ी चढ़ना आपके घर में सीढ़ियां तो होंगी ही। ऐसे में आप सीढि़यों पर चढ़ने व उतरने जैसा वर्क आउट कर सकते हैं। यह बहुत अच्छी फिजिकल एक्टिविटी है। आप अपना एक्सरसाइज पहली सीढ़ी से शुरू करें। पहली सीढ़ी पर चढ़ेंगे फिर वापस उतर जाएं। ऐसे करीब 10 बार करें। उसके बाद दो सीढ़ी ऊपर चढ़े और फिर वापस उतर जाएं। इस स्टेप को भी 10 बार करें। अगर आप रोजाना ये स्टेप करते हैं, तो आपकी फैट जरूर कम होगी। अगर सीढ़ी चढ़ते समय आपका सांस फूलने या हांफने लगा है, तो यह एक्सरसाइज धीरे-धीरे शुरू करें। मसलन आप शुरुआत तीन सीढ़ी से करें और हफ्ते व महीने के साथ इसे बढ़ाते जाएं।
लाउंड्री लिफ्ट्स अगर आप रोजाना कपड़ों से भरा टब या बाल्टी उठाते हैं, तो यह आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह वर्कआउट आपकी बाजू की अच्छी एक्सरसाइज करता है। आप कपड़ों से भरे टब को अपने सिर पर रखें, फिर उसे नीचे उतारें। यह स्टेप तीन बार करें। इससे आपके शोल्डर, अपर आर्म्स और बैक मसल्स की एक्सरसाइज होगी। वहीं आप अपनी बैक की फैट कम करने के लिए भी लाउंड्री लिफ्ट्स कर सकते हैं। इसके लिए आप टब को चेस्ट तक ऊपर उठाएं और फिर इसे नीचे रख दें। ऐसा आप तीन से चार बार करें।
कमर्शल ब्रेक एक्सरसाइज अगर आप अपना खाली वक्त टीवी देखकर बिताते हैं, तो आप कमर्शल ब्रेक एक्सरसाइज कर सकते हैं। आपके सीरियल के बीच जैसे ही ऐड आए, आप तुरंत खड़े हो जाएं और एक्सरसाइज करने लगें। आप एक्सरसाइज में जंपिंग, पुश-अप्स, उछलना-कूदना कुछ भी कर सकते हैं, ताकि आपकी हार्ट बीट्स बढ़े। फिर जैसे ही आपका शो शुरू हो जाए, आप आराम से बैठ जाएं।
रोलिंग चेयर एक्सरसाइज क्या आप अपना ज्यादातर वक्त ऑफिस में गुजारते हैं और आपकी चेयर में रोलिंग व्हील लगे हैं, तो आप ऑफिस में ही आर्म्स एक्सरसाइज कर सकते हैं। आप बेहतर बाइसेप्स के लिए यह एक्सरसाइज कर सकते हैं। आप दोनों हाथों से टेबल को पकड़ लें और फिर अपनी चेयर को आगे व पीछे करें।
मल्टीटास्किंग एंजॉय करें सबकी लाइफ बहुत बिजी है, ऐसे में वर्क आउट के लिए खासतौर पर समय निकाल पाना मुश्किल है। तो बेहतर है कि आप फिट रहने के लिए मल्टी टास्क का फंडा फॉलो करें। अगर सिंक में बहुत सारे बर्तन पड़े हैं, तो में तमाम काम करते हुए उन्हें उनकी जगह पर रखें। इससे आपका काम और वर्क आउट दोनों हो जाएगा। इसी तरह आप ऑफिस में मल्टी भी एक साथ कई तरह के काम कर सकते हैं। बहरहाल, अगर आप इन सिंपल स्टेप्स को फॉलो करेंगे, तो हमेशा फिट रहेंगे। बस एक बार इन्हें शुरू करके देखें।


दिल को हमेशा जवां रखने का बस थोड़ा अलर्ट रहने की जरूरत है। सिर्फ कुछ रुटीन टेस्ट आपके दिल का ताजा हाल को बयां कर देंगे। इनमें कुछ वॉर्निंग साइन दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और सेकंड लाइन टेस्ट और इलाज के लिए बात करें।
दिल्ली हार्ट ऐंड लंग इंस्टिट्यूट के चेयरमैन डॉ. के. के. सेठी कहते हैं कि दिल का हाल जानने का सबसे आसान तरीका है रिस्क प्रोफाइलिंग, जिसमें कुछ सामान्य से ब्लड टेस्ट कराने होते हैं। मसलन ब्लड शुगर लेवल (खाली पेट और खाने के दो घंटे बाद) और कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल। इसके अलावा कमर की चौड़ाई व ब्लड प्रेशर की रीडिंग कराएं। इनका स्तर अगर सामान्य से ऊपर जा चुका है तो समझिए कि दिल के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। ये प्राइमरी टेस्ट रूटीन जांच का हिस्सा होते हैं, जिन्हें 21 की उम्र के बाद हर तीन साल और 30 के बाद हर साल जरूर कराना चाहिए। जिनका डायबीटीज, हाई बीपी या दिल की बीमारी की फैमिली हिस्ट्री है उन्हें हर छह महीने में ये टेस्ट कराने चाहिए।
डॉ. सेठी का कहना है कि प्राइमरी टेस्ट में कोई दिक्कत आती है तो आमतौर पर लाइफस्टाइल और डाइट मैनेजमेंट से उसे कंट्रोल कर लिया जाता है। अगर मामला इससे ऊपर का है तो डॉक्टर हाई सेंसेटिव सीआरपी इन्फ्लेमेशन (आर्टरी में सूजन का पता लगाने के लिए) करते हैं, जिसके कारण भविष्य में हार्ट अटैक आ सकता है। इसके अलावा सीटी स्कैन करते हैं, जिसमें हार्ट की इमेज लेने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ हार्ट में कैल्शियम की स्कोरिंग करते हैं। इसकी स्कोरिंग जीरो हो तो बहुत अच्छा है और 50 से ऊपर होने का मतलब है दिल की गंभीर समस्या।
आईएमटी (इंडिमा मीडिया थिकनेस), जिसमें ब्रेन को ब्लड सप्लाई करने वाली गर्दन की नस का अल्ट्रासाउंड करते हैं इसमें आर्टरी लाइन की थिकनेस बढ़ने का मतलब है नस में कोलेस्ट्रॉल का जमा होना। रॉकलैंड हॉस्पिटल के सीनियर काडिर्योलॉजिस्ट डॉ. ए. के. सूद का कहना है कि इस स्थिति में इलाज से दिल को सुरक्षित रखा जा सकता है। लाइफ स्टाइल में बदलाव के चलते दिक्कतें तेजी से बढ़ रही हैं, ऐसे में हर उम्र के लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है।

हेल्थ टिप
80 का फॉर्म्युला (डॉ. के. के. अग्रवाल)
- अगर दिल को 80 साल की उम्र से ज्यादा समय तक जवां रखना है तो फास्टिंग शुगर, पेट की चौड़ाई, ब्लड शुगर लेवल, बैड कोलेस्ट्रॉल और दिल की धड़कन का लेवल 80 से नीचे रखें।
ब्लड प्रेशर टेस्ट
- कैटिगरी उम्र अपर बीपी लोअर बीपी
- नॉर्मल एडल्ट 130 से नीचे 85 से नीचे
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट - इसमें दो टेस्ट अहम हैं।
1. लिपिड प्रोफाइल
एलडीएल (बैड) कोलेस्ट्रॉल एचडीएल (गुड कोलेस्ट्रॉल)
- फैमिली हिस्ट्री हो तो पुरुषों में 45 और महिलाओं में
- 70 से नीचे वरना 100 से 55 से ज्यादा होना चाहिए।
नीचे रखें
2. फास्टिंग ट्राई ग्लिसराइड कोलेस्ट्रॉल
125 नॉर्मल
कमर की चौड़ाई
पुरुषों में महिलाओं में
36 इंच से कम 32 इंच से कम
ब्लड शुगर लेवल
90 से ऊपर पर शुरू हो जाती है हार्ट प्रॉब्लम


क्या चुनें...डेट या इक्विटी?बाजार में स्थिरता के साथ सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, ऐसे में निवेशकों को अब यह भ्रम सता रहा है कि वह किस तरह के फंड में निवेश करें। क्या उन्हें बढ़िया रिटर्न के लिए डायवर्सिफाई इक्विटी फंड चुनना चाहिए या फिर सुरक्षित दांव के लिए डेट फंड के विकल्प तलाशने चाहिए। यह बात जगजाहिर है कि तेजी के बाजार में इक्विटी निवेश, निवेशकों को सबसे ज्यादा मुनाफा देता है। डेट फंड ब्याज दरों में गिरावट के हालात में बढि़या रिटर्न देते हैं।
मुद्रास्फीति दर वापसी का खौफ दिखा रही है, ऐसे में ब्याज दरों में आगे गिरावट नहीं आएगी।मौजूदा मैक्रोइकनॉमिक हालात में डेट फंड ने ऐतिहासिक रिटर्न से कमतर प्रदर्शन दिखा सकते हैं। डेट फंड में निवेश केवल तभी फायदेमंद है, जब निवेशक आर्थिक रिकवरी को लेकर कोई खास उम्मीदें नहीं रखता। आर्थिक रिकवरी के मामले में विश्लेषकों के बीच भारी मतभेद हैं। इस मुद्दे पर स्पष्टता होना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ही एसेट एलोकेशन तय होती है। आखिरकार, हर निवेशक जोखिम के खास स्तर पर पोर्टफोलियो से बेहतर रिटर्न की तलाश में रहता है। अगर इक्विटी बाजार वास्तव में बढि़या रिटर्न देने की तैयारी कर रहे हैं, तो वे निश्चित रूप से इसमें हिस्सा लेना चाहेंगे।
क्या हो रणनीति...मिडकैप और स्मॉलकैपएक बात जो निवेशकों को समझनी होगी, वह यह कि रिटर्न, जोखिम के साथ आता है। ऐसा जोखिम जो लंबी अवधि और चरणबद्ध निवेश रणनीति अपनाकर खत्म किया जा सकता है। लार्जकैप फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर होते हैं, जिन्हें लंबी अवधि का निवेश करना होता है और जो खरीदकर उसे बनाए रखने की रणनीति पर चलते हैं।जिन निवेशकों की जोखिम सहने की क्षमता ज्यादा होती है और जो स्टाइल फंड में निवेश को लेकर दिलचस्पी रखते हैं, उन्हें इक्विटी म्यूचुअल फंड को लेकन दो सूत्री रणनीति अपनानी चाहिए। पोर्टफोलियो का मुख्य अंश बढि़या डायवर्सिफिकेशन और अनुमान लगाने लायक म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाना चाहिए, जो आगे चलकर बेहतर बाजार रिटर्न देते हैं। ऐसे रिटर्न के लिए पोर्टफोलियो का एक अंश सेक्टर केंद्रित फंड में लगाया जाना चाहिए। लचीलापन रखने वाले या स्मॉलकैप फंड पर भी गौर किया जा सकता है। आम तौर पर छोटी और मझोली कंपनियां बढि़या रिटर्न पैदा करने की क्षमता रखते हैं।
अत्यधिक रिटर्न पाने के लिए क्या करें?ज्यादा से ज्यादा रिटर्न बटोरने के लिए निवेशकों को लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप के बीच संतुलन कायम करते हुए म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो तैयार करने की जरूरत होती है। ऐसा पोर्टफोलियो लार्जकैप इक्विटी की ओर जरूरत से ज्यादा झुका नहीं होना चाहिए और न ही ऐसे सेक्टर फंड पर केंदित होना चाहिए, जो मुनाफा तो काफी देते हैं, लेकिन साथ ही उनमें उथल-पुथल भी खूब होती है। उन्हें निश्चित रूप से मिडकैप और स्मॉल फंड में पैसा लगाना चाहिए। हालांकि, निवेश का अनुपात क्या और किस तरह होगा, यह निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता पर निर्भर करता है।
यह याद रखना जरूरी है कि कई अन्य पहलू हैं, जिन पर विचार किया जाना जरूरी है, इनमें यह देखना भी शामिल है कि क्या फंड ग्रोथ में विशेषज्ञता रखता है या वैल्यू में। बाजार के अलग-अलग कैप फंड के बारे में जानना बढ़िया कदम है, जो आपको यह बता देगा कि कौन सा फंड आपके पोर्टफोलियो और निवेश के स्टाइल से मेल खाता है।साभार शुभा गणेश जी


एक तरफ तो सरकार अपने खर्चे में कटौती की बात करती है, लाख दलीले पेश करती है.... सभी चीजों पर से धीरे धीरे सबसीडी भी हटा रही है...वहीं दूसरी तरफ खुद सरकार के मंत्रियों के खर्चे है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहे है...नेता तो ऐसे हमारे पैसे पर ऐश कर रहे है...कि कहना ही क्या...नए सांसदों का होटेल में ठहरने का ही बिल साढ़े तीन करोड़ से ऊपर है। दो मंत्रियों एस. एम. कृ ष्णा और उनके जूनियर शशि थरूर हाल ही में फाइव स्टार होटेल से हटे हैं। और नए सांसदों की तो जैसे लॉटरी निकल आयी है.... पिछले तीन महीने से सम्राट होटेल में उनके ठहरने का खर्चा 3 करोड़ 71 लाख रुपए बैठा है। और यह बिल सरकार के सिर गया है। इस बिल का भुगतान शहरी विकास मंत्रालय करेगी। सुभाष चन्द अग्रवाल द्वारा दाखिल की गई एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी गई है। 74 एमपी मई से जुलाई तक सम्राट होटेल में ठहरे थे। वैसे इस होटल में पर नाइट सुपर डीलक्स या डीलक्स सुइट का किराया 9000-8000 रुपए है। पर इन्हें 6000 रुपए की दर से दिया गया। लोक सभा हाउस कमेटी के अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल ने बताया: चूंकि पुराने लोगों द्वारा फ्लैट आदि खाली करने में कुछ वक्त लग जाता है। फिर उस खाली फ्लैट की मरम्मत, चूना आदि कराने में कुछ टाइम लग जाता है। इसलिए नए सांसदों को होटेल में ठहराया गया। तो कुल मिलाकर इनके कहने का मतलब ये है..कि हम मेहनत से कमाएं और फिर अपनी गाढ़ी कमाई से अपने परिवार का पेट पालने के साथ इनके ऐशोआराम को भी झेले..आखिर हम कर भी क्या सकते है...आखिर ये हमारे नेता जी जो है...

बुंदेलखंड इन दिनों सूखे की चपेट में है। हर तरफ सूखे पड़े खेत, पेड़-पौधे, नदियां और तालाब मानों मेघ से बरसने की गुहार लगा रहे हों। इसी बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा के प्रेम सिंह ने खेती करते हुए एक मिसाल कायम की है। उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग की नौकरी छोड़कर खेती को अपनाया। 1989 से वे खेती के साथ तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं।
श्री सिंह कहते हैं, ‘मैंने कुछ नया नहीं किया। यह सारा पारंपरिक ज्ञान का कमाल है। जिसे हम भूलते जा रहे हैं। जरूरत है इसे याद रखने की।’प्रेम सिंह ने खेती करना 1987 से प्रारंभ किया। उन्होंने रासायनिक खेती से शुरूआत की। दो साल के बाद ही उन्हें लगा कि इस तरह बात नहीं बनेगी। अगले साल ही उन्होंने जैविक खाद का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उन्हें रासायनिक खेती किसी साजिश की तरह लगती है। वे कहते हैं, ‘ऐसा लगता है जैसे हमारी परंपरा से हमें अलग करने की कोई साजिश रची जा रही हो। हमें आत्मनिर्भर की जगह, किसी और पर निर्भर बनाया जा रहा हो। प्रेम सिंह ने आत्मनिर्भर होने के लिए ही अपने खेतों में रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल किया। बीजों के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए अपना बीज बैंक बनाया। जिसमें तकरीबन पचास किस्म के फल-सब्जी-अनाज के बीज उपलब्ध हैं। उन्होंने खेती में कम से कम पानी खर्च करने की पध्दति को भी अपनाया। 1989 में जब उन्होंने जैविक खाद के साथ खेती की शुरूआत की तो उस वक्त बुंदेलखंड में फूलों की खेती को कोई किसान आर्थिक लाभ की वस्तु नहीं मानता था। इसके बावजूद सिंह ने उस समय फूलों की खेती की। उस वक्त प्रयोग के तौर पर की गई इस खेती से उन्हें 18,000 हजार रुपए का फायदा हुआ। इस तरह उत्साह बढ़ा और उन्होंने फूल के साथ फल भी लगाए। सिंह कहते हैं, ‘फल से उन्हें अनाज की अपेक्षा बीस गुना अधिक आमदनी हुई।’
पानी को कम मात्र में खर्च करके खेती करने के उनके हुनर की चर्चा करने पर वे कहते हैं, ‘पानी की जरूरत जड़ों को नहीं होती, पत्तों को होती है। और आमतौर पर हम पानी जड़ों में ही डालते हैं। जबकि पत्ते अपने लिए पानी वातावरण से बटोरते हैं।’ वे आगे कहते हैं, ‘यदि पौधों के साथ लगाई जाने वाली क्यारियों को जड़ों से जरा दूर रखें और क्यारियों में पानी दें तो जड़ें पानी लेने के लिए आगे बढ़ेंगी। जडें ज़ितने बड़े क्षेत्र में फैलेगा, पेड़ उतना ही बड़ा और घना होगा।’
आज से दस साल पहले तक गेहूं की एक किस्म ‘कठिया’ को बुंदेलखंड के लोग खाना तो क्या देखना तक पसंद नहीं करते थे। उसकी खेती को प्रेम सिंह ने अपने यहां प्रोत्साहित किया। कठिया की एक खूबी यह है कि इसमें रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करने पर इसकी फसल सूख जाएगी। इसे अधिक पानी की जरूरत भी नहीं होती। जबकि यह साधारण गेहूं से अधिक पौष्टिक होता है। बकौल प्रेम सिंह, ‘कठिया की खेती को प्रोत्साहित करने की वजह से मुझे ‘स्लो फूड’ नाम की एक संस्था ने अपनी बात दुनिया भर के किसानों के सामने रखने के लिए कनाडा और जर्मनी लेकर गई। जहां आए तमाम विद्वान मेरी बात से सहमत हुए।’ वे ‘गांव’ ब्रांड नाम के साथ अचार, मुरब्बा, शर्बत, दलिया आदि बना रहे हैं। जिसे देश में ही नहीं, देश के बाहर भी पसंद किया जा रहा है..

सौजन्य आशीष कुमार


डिजिटल कैमरे हो या मोबाइल खरीदने के टाइम पर हमारे मन में कई तरह के ढेरों सवाल आते हैं। इन्ही सवालों को काफी हद तक महसुस कर हम बताना चाहेंगे इनसे जुड़े कुछ खास बातें...कि ब्रैंड अहम है लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि आप जो प्रॉडक्ट ले रहे हैं उसमें फीचर क्या हैं।

डिजिटल कैमरे में आपको देखना चाहिए कि मेगा पिक्सल कितना है, पिक्चर क्वॉलिटी अच्छी चाहिए, तो ऑप्टिक जूम जितना ज्यादा हो, उतना बढ़िया। निकिल के बजाय बैटरी लिथियम आयन होगी, तो दाम थोड़े ज्यादा होंगे। इसके अलावा आप अलग-अलग कैमरों के डिस्प्ले स्क्रीन के साइज की भी तुलना कीजिए। दरअसल, हर कैमरे में फीचर सभी होते हैं, लेकिन एक प्राइस रेंज पर आपको क्या-क्या और कितना मिलता है, यह जरूर चेक करना चाहिए। जहां तक ब्रैंड्स की बात है, तो सोनी की ब्रैंड वैल्यू ज्यादा है इसलिए हो सकता है कि ज्यादा दाम पर औरों से कम फीचर मिलें। इसी तरह कोडक वैल्यू फॉर मनी रेंज के लिए मशहूर है और आपको कम प्राइस में भी मैक्सिमम मिल सकता है। किसी भी ब्रैंड में यह जरूर पता लगाएं कि वॉरंटी कितने वक्त की है और उसका आफ्टर सेल सर्विस नेटवर्क कैसा है। क्योंकि कैमरा खरीदने के बाद ये बेहद काम आते हैं।

वहीं मोबाइल बाजार में बढ़ते कंपटीशन के साथ 5000 रुपये की प्राइस रेंज में ग्राहक ज्यादा से ज्यादा फीचर मांग रहा है। यही वजह है कि बढ़िया ब्रैंड के अलावा कई नई कंपनियां भी इस रेंज में अपने हैंडसेट ला रही हैं। इंटेक्स, सेजम और स्पाइस ने इस प्राइस रेंज में कई फीचर वाले हैंडसेटों की नई रेंज पेश की है। ब्रैंड वैल्यू के हिसाब से चलें तो नोकिया सुपरनोवा सीरीज का 7210 काफी पसंद किया जा रहा है, जिसमें दो मेगापिक्सल कैमरा, दो जीबी तक एक्सपेंडेबल मेमॉरी, ब्लूटूथ, एफएम और म्यूजिक प्लेयर जैसे बढ़िया फीचर हैं। इसी तरह 5130 एक्सप्रेस म्यूजिक फोन भी हिट है, जिसमें ये सभी तमाम फीचर और ज्यादा बेहतर म्यूजिक प्लेयर है। थोड़ा ज्यादा प्राइस में रफ ऐंड टफ सैमसंग मरीन है, जिसमें मेमॉरी 8 जीबी तक बढ़ा सकते हैं, लेकिन कैमरा 1.3 मेगापिक्सल ही है। सैमसंग मेट्रो और एलजी जीएम200 अपने मल्टीपल फीचर की वजह से आपको लंबी विकल्प लिस्ट देते हैं। नोकिया 5800 बेहद कामयाब म्यूजिक फोन है, खासकर उनके लिए जो टचस्क्रीन के शौकीन हैं। फोन की म्यूजिक क्वॉलिटी और बैटरी बैकअप जबर्दस्त रहा है। यूजर फीडबैक में हमें अभी तक कोई बड़ी शिकायत नहीं मिली है। हां, टचस्क्रीन पर लोगों को एसएमएस टाइप करने में जरूर थोड़ी दिक्कत आई है। अगर आप एसएमएस जंकी नहीं है तो चलेगा क्योंकि टचस्क्रीन पर टाइप करने में थोड़े वक्त में प्रैक्टिस हो जाती है। कैमरा 3.15 मेगापिक्सल है, लेकिन कुछ लोगों को पिक्चर क्वॉलिटी उम्मीद के मुताबिक नहीं लगी हैं। इन मामूली शिकायतों को छोड़ दें तो लोगों को इसका एक्सपीरियंस गजब का लगा है, कई लोग तो इसे कम दाम में आई-फोन का विकल्प भी मानने लगे हैं। पिछले दिनों इसके दाम भी घटे हैं।

सौजन्य राम गोपाल नवभारत टाइम्स


होंडा सीअल कार्स इंडिया लिमिटेड (HSCI) ने मंगलवार को नई दिल्ली में नई होंडा सिविक लॉन्च की। नई होंडा सिविक को नई एडवांस्ड टेक्नॉलॉजी के साथ लॉन्च किया गया है। यह तीन वेरिएंट में मिलेगी।


वित्तीय सुस्ती के दौरान कर्ज की मांग बढ़ाने के लिए बैंक सितंबर के बाद से ब्याज दरों में लगातार कमी कर रहे थे, लेकिन अब अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों को देखते हुए बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के संकेत दे रहे हैं। बैंकरों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ब्याज दरें अपने निचले स्तर से उबर चुकी हैं। बैंकरों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ आने वाले महीनों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।
फिक्की-आईबीए की ओर से आयोजित एक सेमिनार के दौरान आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर ने कहा, 'मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ब्याज दरें अपने निचले स्तर से ऊपर उठ गई हैं। इसके बाद धीरे-धीरे ब्याज दरें बढ़ेंगी। अब कर्ज लेने की रफ्तार बढ़ने के साथ ब्याज दरों में इजाफा होगा।'
बिल्डरों द्वारा मकान के दामों में कमी करने से होम लोन बाजार में मांग फिर बढ़ी है। हालांकि, जिन क्षेत्रों में कीमतें कम नहीं हुई हैं, वहां मांग में अब भी कमी बरकरार है।
आईडीबीआई बैंक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर योगेश अग्रवाल ने भी कहा कि ब्याज दरें अपने निचले स्तर से निकल चुकी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि दिवाली के बाद ब्याज दरों में तेजी आ सकती है।
बस दिवाली तक की देर..फिर बढ़ेंगी ब्याज दरें 'ब्याज दरें बॉटम आउट हो चुकी हैं। ...दिवाली के बाद ब्याज दरों में तेजी आनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि बाजार में मौजूद चुनौतियों के बावजूद दूसरी तिमाही में आईडीबीआई बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन(एनआईएम) पर कोई दबाव नहीं देखा गया है।
एचडीएफसी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर आदित्य पुरी का भी यही कहना है कि बैंक के एनआईएम पर किसी तरह का दबाव नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि बाजार की चुनौतीपूर्ण हालत के बाद भी दूसरी तिमाही में बैंक की ट्रेजरी आय पर किसी तरह का कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ने वाला है।


लोन कई तरह के होते है..हम पहले ही इस बारे में बात कर चुके है....आज हम पर्सनल लोन के बारे में बात कर रहे है....पसर्नल लोन क्या है...इसे लेने के टाइम किस बात का ध्यान रखना चाहिए...इससे और लोन से छुटकारा पाने के बारे में यहां हम आपको जानकारी दे रहे हैं।
संपत्तियों का इस्तेमाल करें- पर्सनल लोन कई तरह के होते हैं और इनकी शर्तें और स्त्रोत भी अलग-अलग होते हैं। अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन या सिग्नेचर लोन के लिए आमतौर पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है क्योंकि इनमें देनदार के लिए जोखिम अधिक होता है। अगर आपने पर्सनल लोन लिया है और आपके पास घर, कार, जीवन बीमा पॉलिसी, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी), आरबीआई बॉन्ड, सोने के जेवर, बैंक एफडी, डिबेंचर और म्यूचुअल जैसी संपत्तियां मौजूद हैं तो आप इनका इस्तेमाल पर्सनल लोन से निजात पाने के लिए कर सकते हैं। अगर आप इन संपत्तियों के बदले बैंक से कर्ज लेते हैं तो ब्याज की दर कम होगी। इसके अलावा आपके पास कर्ज को एक साथ मिलाने का विकल्प भी मौजूद है। डेलॉइट इंडिया के डायरेक्टर (कंसल्टिंग), मोनीष शाह ने बताया, 'इसमें आपके सभी कर्ज एक लेनदार के पास मिला दिए जाते हैं और आपको केवल एक मासिक किस्त देनी होती है जो लंबी अवधि में आमतौर पर सस्ती पड़ती है।' इसके अलावा आप कर्ज कम करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। आप क्रेडिट की अवधि का चतुराई से इस्तेमाल कर जिंदगी कुछ आसान बना सकते हैं। अगर आप वेतनभोगी हैं तो अपनी कंपनी से एडवांस लेकर भी कर्ज का बोझ कम किया जा सकता है, लेकिन ये दोनों विकल्प हमेशा काम नहीं आते। अगर आप होम लोन का भुगतान कर रहे हैं तो सस्ता कर्ज लेने का एक और जरिया मौजूदा कर्ज पर टॉप अप लोन लेने का है।

डिफॉल्ट से बचें- अगर आपने पर्सनल लोन की किस्त चुकाने में डिफॉल्ट किया है और यह आपकी पहली चूक है तो आपके लिए पहला कदम बैंक से बातचीत कर समाधान निकालने का होगा। प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) के एसोसिएट डायरेक्टर रॉबिन रॉय का कहना है, 'अगर डिफॉल्ट के पीछे नौकरी का जाना या स्वास्थ्य से जुड़े कारण हैं तो बैंक आमतौर पर केवल लंबित रकम पर पेनल्टी लगाता है जो लगभग दो फीसदी की होती है।' इसके अलावा आपके पास लोन को सिक्योर्ड लोन (घर और कार जैसी संपत्तियों के बदले) में तब्दील कराने का विकल्प भी है। आप बैंक से बात कर सिक्योर्ड लोन ले सकते हैं और इसकी मासिक किस्त कम रखी जा सकती है। सिक्योर्ड लोन लेते समय इसकी अवधि और ब्याज दर पर जरूर ध्यान दें। फाइनेंशियल प्लानर्स का कहना है कि पर्सनल लोन को किसी अन्य कर्ज में तब्दील कराते समय यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि अगर आप इस कर्ज को लेकर डिफॉल्ट करते हैं तो आपकी संपत्ति बैंक जब्त कर सकता है और इसके बाद आपकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। रॉय का कहना है, 'आपको किसी आपात स्थिति या एकमुश्त रकम की जरूरत पड़ने पर परेशानी हो सकती है क्योंकि आपके पास गिरवी रखने के लिए संपत्ति नहीं बचेगी।' इसे देखते हुए सिक्योर्ड लोन लेना तभी समझदारी होगी जब आप अपनी मासिक आमदनी से इसकी किस्त का भुगतान करने की क्षमता रखते हों।
अंतिम रास्ता-
-पर्सनल फाइनेंस के जानकारों का कहना है कि पर्सनल लोन का विकल्प तभी इस्तेमाल करना चाहिए जब आपके पास संपत्तियां मौजूद न हों और आपके पास किस्त के भुगतान की क्षमता हो। बंगलुरु की श्री सिडविन फाइनेंशियल सर्विसेस एंड इनवेस्टमेंट के डायरेक्टर और सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर (सीएफपी), बी श्रीनिवासन के अनुसार, 'पर्सनल लोन का जरिया आपात जरूरत के समय लघु अवधि के उपाय के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए।' पर्सनल लोन लेने वाले ज्यादातर लोग नौकरीपेशा होते हैं और उन्हें कर्ज की जरूरत के लिए सबसे पहले उस बैंक से संपर्क करना चाहिए जहां उनका वेतन क्रेडिट होता है। श्रीनिवासन ने कहा, 'बैंक के पास आपका पिछला ट्रैक रिकॉर्ड मौजूद होता है और वह आपको कर्ज देने में कुछ उदारता बरत सकता है।' फाइनेंशियल प्लानर्स मानते हैं कि पर्सनल लोन के मुकाबले क्रेडिट कार्ड पर लोन लेने में ज्यादा जोखिम होता है। क्रेडिट कार्ड पर बहुत सा खर्च बिना जरूरत के भी किया जाता है और इससे आप पर कर्ज और ब्याज का बोझ काफी बढ़ सकता है। वेल्थकेयर सिक्योरिटीज के निदेशक मुकेश गुप्ता की सलाह है, 'क्रेडिट कार्ड पर उधार लेने के मुकाबले पर्सनल लोन सस्ता होता है। अगर आपके क्रेडिट कार्ड पर बकाया राशि काफी बढ़ गई है और इस पर ब्याज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है तो आप इसे चुकाने के लिए पर्सनल लोन ले सकते हैं।'
ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल का इस्तेमाल करें -
पर्सनल लोन की बेहतर डील के लिए आप अपनालोन और बैंकबाजार जैसे ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल पर जा सकते हैं। रॉय ने कहा, 'आपको ईएमआई और अन्य शुल्कों के आधार पर उस रकम की तुलना करनी चाहिए जो आप लोन की पूरी अवधि में चुकाएंगे। इसके अलावा आप ब्याज दर को लेकर बैंक से मोलभाव भी कर सकते हैं।' फाइनेंशियल एडवाइजर्स का कहना है कि पर्सनल लोन लेते समय फ्लैट ब्याज दरों के झांसे में नहीं आना चाहिए। बहुत से मामलों में यह सस्ती दर लग सकती है लेकिन बाद में यह काफी महंगी साबित होती है।


सुदूर उत्तर पूर्व राज्य मिजोरम के एक छोटे से समुदाय ने एक मिसाल कायम कर यह सिद्ध कर दिया है कि मानव एकता, संकल्प और अथक प्रयास से क्या कुछ नहीं किया जा सकता। भले ही यह मामला केवल एक मुट्ठीभर चावल से खाद्य बैंक बनाने का ही क्यों न हो। इस पहल की शुरुआत वैसे तो ब्रिटिश शासनकाल में शुरू की गई थी, लेकिन अपने सकारात्मक प्रभाव और लोकप्रियता के कारण आज मिजोरम में इसे सामुदायिक खाद्य बैंक के अभियान का नाम दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र नशा और अपराध कार्यालय के इस अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसके इतिहास की जानकारी देते हुए बताया बात वर्ष 1914 की है, जब राज्य में महिलाओं के एक समूह ने चर्च की सामाजिक सेवा में चंदा देने की अपनी असमर्थता को दूर करने के लिए एक अनूठी सूझबूझ दिखाई और अपने समूह के सभी सदस्यों से एक-एक मुट्ठी चावल एकत्र करना शुरू कर दिया।

इस प्रकार से जो चावल एकत्र हुआ, उसे स्थानीय बाजार में बेच दिया गया और जो कमाई हुई उसे चर्च में दान कर दिया। वर्ष 1914 में इस प्रकार से एकत्र किए गए चावलों को बेचकर केवल 80 रुपए इकट्ठा हुए थे और उसके 89 साल के बाद वर्ष 2003 के दौरान इसी प्रकार से एकत्र किए गए चावलों को बेचने पर चार लाख रुपए मिले।

अधिकारी ने बताया इस अभियान की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि आज मिजोरम के सभी परिवारों में से करीबन 86 प्रतिशत लोग इस अभियान में भाग ले रहे हैं और इसे कामयाब और यादगार बनाने में लगे हुए हैं। आज हर परिवार के पास एक दान पात्र है, जिसमें एक-एक मुट्ठी चावल एकत्र किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र नशा और अपराध कार्यालय ने इस अभियान में सामुदायिक भागीदारी से प्रभावित होकर सप्ताह में एक बार मुट्ठी भर चावल एकत्र करने की योजना बनाई और इस चावल की बिक्री से जमा की गई धनराशि से नशीली दवाओं के सेवन की आदी महिलाओं की सहायता की जाएगी।

यह कार्यक्रम मिजोरम के अजवाल, कोलासिन और चंफाई जिलों में संयुक्त राष्ट्र नशा और अपराध कार्यालय की क्षमता निर्माण और चेतना की समन्वित एचआईवी एड्स अनुक्रिया की परियोजना है, जो आज शहरी और देहाती दोनों इलाकों में चलाई जा रही है।

इस योजना के विस्तार कार्यक्रम के तहत अब तक 279 युवा महिलाओं को इस तरह से प्रशिक्षित किया गया है कि वे आगे चलकर लोगों को प्रशिक्षित कर सकें और सामुदायिक खाद्य बैंक के बारे में चेतना का प्रसार कर सकें। इसके परिणामस्वरूप 70 गाँवों से 147 क्विंटल चावल एकत्र किया गया और इसे बेचकर सभी कार्यकर्ताओं से मिलाकर कुल दो लाख रुपए की राशि जमा की गई। यह पूरी धनराशि अकाल के दौरान राहत का कार्य चलाने के लिए मिजोरम सरकार को भेंट की गई।


तमाम डाइट बुक्स को देखकर डाइट के मामले में अच्छा-खासा कंफ्यूजन हो जाता है। एक किताब कहती है कि कार्बोहाइड्रेट्स लो, तो दूसरी कहती है कि इन्हें नहीं खाना चाहिए। जानते हैं, डाइट से जुड़े कुछ ऐसे ही सच-झूठ...
ये हैं झूठ फैट वाली कैलरीज आपको मोटा कर देती हैं, जबकि प्रोटीन के साथ ली गईं कैलरीज से वजन कम होता है। ऐसा कतई नहीं है और कैलरी लेने का मतलब कैलरी गेन करना ही होता है। हालांकि फैट के साथ ली गईं कैलरीज ज्यादा नुकसान करती हैं। दरअसल, एक ग्राम फैट लेने का अर्थ है नौ कैलरीज गेन करना। इस वजह से फैट वाली चीजें खाने से प्रोटीन वाली चीजों से वजन ज्यादा बढ़ता है।
कम लें डेरी प्रडक्ट्स - कम फैट वाले डेरी प्रडक्ट्स न सिर्फ आपकी जेब पर सस्ते पड़ेंगे, बल्कि आपको बेहतर न्यूट्रिशन भी देंगे। अगर लेक्टोस को लेकर आप संवेदनशील नहीं हैं, तो कम फैट वाले डेयरी प्रडक्ट्स आपके लिए बेस्ट हैं। स्टडीज बताती हैं कि जो महिलाएं डेरी फूड से ही कैल्शियम लेती हैं, बिना एक्सर्साइज किए दो साल में वे बॉडी वेट व फैट कम कर सकती हैं। वैसे, लो-फैट स्नैक्स के जरिए भी वजन कम किया जा सता है। हालांकि कई लो-फैट फूड में फ्लवेर पूरा न होने से उनमें एक्स्ट्रा शुगर मिला दी जाती है। यही वजह है लो-फैट और नॉर्मल फैट स्नैक्स में कैलरीज का अंतर बेहद कम मिलता है।



सलाद का फंडा अक्सर हमें लगता है कि सलाद खाने से हम एक्स्ट्रा कैलरीज लेने से बच जाएंगे। डाइटिंग के दौरान यह भले ही स्मार्ट ऑप्शन लगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है। अमूमन डाइटिंग करने वाले को लगता है कि पत्तागोभी के बेस पर तैयार जो भी सलाद वह खा रहा है, उससे कैलरीज कम होंगी। लेकिन इस दौरान लोग यह भूल जाते हैं कि इस पर की गई ऑइली ड्रेसिंग से भी तो कैलरीज मिल रही हैं। फिर यह भी देखने वाली बात है कि सलाद में हरी सब्जियां वगैरह किस कॉम्बिनेशन व अमाउंट में रखी गई हैं। पत्ता गोभी खाने से कैलरीज बर्न होती हैं और ग्रेपफ्रूट व सेलरी के साथ भी ऐसा ही है। अगर सलाद में ये तीनों चीजें ही खाई जाएं, तो वजन पक्के तौर पर कम होगा। हालांकि ऐसा करना हमें बीमार भी कर सकता है, क्योंकि तब डाइट से प्रोटीन व फैट्स नदारद रहेंगे।



शुगर काउंट्स मोटापा ज्यादा चीनी लेने की वजह से होता है। वैसे, चीनी और फैट्स दोनों ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। मोटे होने की कॉमन वजहें ज्यादा खाना और एक्सर्साइज न करना है। ऐसे में कहा जाता है कि केला, अंगूर, गाजर व चुकंदर खाने से बचना चाहिए। जबकि सच यह है कि केले में 18 ग्राम शुगर व 70 कैलरीज, आधे कप अंगूर में 7 ग्राम शुगर व 110 कैलरीज, आधे कप गाजर में 5 ग्राम शुगर व 25 कैलरीज और इतने ही चुकंदर में 4.5 ग्राम शुगर व 35 कैलरीज होती हैं। इसके अलावा, इनमें फाइबर, कैरोटिनॉएड्स, पोटैशियम और फोलेट की भी खासी अमाउंट होती है।


अगर आप अभी से अपने दांतों का ख्याल रखें, तो भविष्य में महंगे डेंटल ट्रीटमंट नहीं लेने पड़ेंगे। इसके लिए जहां रेग्युलर तौर पर डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है, वहीं दांतों की देखभाल भी बेहद जरूरी है। अगर घर पर ही छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखा जाए, तो आपकी मुस्कान हमेशा बनी रहेगी। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ टिप्स...
खूब पानी पीजिए । यह एक नेचरल माउथवॉश है, जो कॉफी, सोडा और रेड वाइन पीने के बाद मुंह में रह गए उनके अवशेषों का साफ कर देता है।
अपने खाने में ढेर सारे फल और सब्जियां शामिल करें। सेब, गाजर, खीरा, ककड़ी और अजवाइन जैसी चीजें आपके मुंह को नेचरली साफ रखती हैं। इन्हें खाने के दौरान दांतों के बीच अटकी गंदगी अपने आप साफ हो जाती है।
डिनर के बाद चीज का एक टुकड़ा खाएं। इससे आपके मुंह को जरूरी नेचरल एसिड मिलेंगे।
शुगर फ्री च्यूइंग गम चबाएं। इससे लार बनने की प्रक्रिया में तेजी आती है और दांतों के बीच फंसी गंदगी भी निकल जाती है।
एसिडिक ड्रिंक लेने के बाद कभी भी ब्रश करना ना भूलें, लेकिन ओरेंज जूस पीने के बाद कम से कम 20 मिनट तक ब्रश ना करें। इससे दांतों पर इलेमल का कवर चढ़ने में मदद मिलती है।
ब्रश करने के बाद दांतों को हाइड्रोजन परऑक्साइड मिले पानी से धोने से जहां बैक्टीरिया साफ हो जाते हैं, वहीं दांतों पर सफेदी भी आ जाती है। लेकिन इसे पीना कतई नहीं चाहिए। चाहे तो कभी कभार बेकिंग सोडा से ब्रश किया जा सकता है।
पानी के अलावा और कुछ भी पीते हुए स्ट्रॉ का इस्तेमाल कीजिए। भले ही आपको कॉफी या रेड वाइन पीते हुए स्ट्रा इस्तेमाल करना अजीब लगे, लेकिन इस तरह से आप अपने प्यारे से सफेद दांतों और इन हानिकारक ड्रिंक के बीच डायरेक्ट कनेक्शन का अवॉइड कर सकते हैं। हमेशा सॉफ्ट टूथब्रश इस्तेमाल करें। अगर आपका टूथब्रश कड़ा हो गया है, तो उसे इस्तेमाल करने से पहले गर्म पानी में डाल लें।
जीभ को साफ करना बेहद जरूरी है। इससे न सिर्फ सांस की बदबू दूर करने में मदद मिलती है, बल्कि जीभ पर गंदगी की वजह से पैदा होने वाले बैक्टीरिया से भी बचाव किया जा सकता है। ज्यादातर डेंटल प्रफेशनल्स का मानना है कि रोजाना ब्रश नहीं करना और दांतों को सही तरीके से नहीं धोने की वजह से दांतों की तमाम बीमारियां होती हैं।
ज्यादा शुगर का इस्तेमाल करने से बचें। इससे बैक्टीरिया को पनपने में मदद मिलती है, जो दांतों को कमजोर करता है। मुट्ठी भर बिस्किट या एक टॉफी दोनों ही चीजें बैक्टीरिया को बराबर ताकत देती हैं। इसलिए फ्रेश फ्रूट, नट और गाजर जैसी चीजें खाने पर ध्यान दें, जिससे आपके दांतों को नुकसान ना पहुंचे।
रोजाना ब्रश करें और नियमित तौर पर डेटिंस्ट के पास दांत चेक कराते रहें। भले ही एक बार को आपको ऐसा लगेगा कि मेरा काफी खर्च हो रहा है, लेकिन इससे आप भविष्य में दांतों पर होने वाले बड़े खर्च से बच जाएंगे।


पेट्रोलियम मंत्रालय अगले 5 सालों में रसोई गैस के करीब 5 करोड़ नए कनेक्शन देने जा रहा है। इसके लिए बड़ी संख्या में नए रसोई गैस डिस्ट्रीब्यूटरशिप दिए जाएंगे। यह डिस्ट्रीब्यूटरशिप आम आदमी, यानी आपको भी मिल सकती है। खास बात यह है कि डिस्ट्रीब्यूटरशिप देने में युवाओं और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इस बारे में संबंधित नीति-नियमों में बदलाव कर उसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार सरकार को नए एलजीपी डिस्ट्रीब्यूटरशिप देने की योजना का खुलासा अगस्त के अंतिम माह में किया जाना था। मगर यूपीए सरकार के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के कई सीनियर नेताओं ने इसके प्रारूप पर सवाल उठाया। कई नेताओं ने पेट्रोलियम राज्यमंत्री जतिन प्रसाद, जो इस प्रोजेक्ट को देख रहे हैं, उनको पत्र लिखकर साफ तौर पर कहा कि रसोई गैस की कालाबाजारी को अगर रोकनी है, तो बेहतर होगा कि रसोई गैस के नए वितरक नौजवानों और स्थानीय लोगों को बनाया जाएगा। जिनके पास मौजूदा समय में डिस्ट्रीब्यूटरशिप है, उनको और उनके संबंधियों को इसे न दिया जाए। डिस्ट्रीब्यूटरशिप देने की प्रक्रिया को पारदशीर् बनाया जाए, ताकि लोगों को पता चल सके कि इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गई है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने इन बातों को मान लिया है। अब नए सिरे से इसके लिए नीति-नियम बनाए गए हैं। संभावना है कि नए डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए आवेदन मंगाने की घोषणा इस माह सितंबर में कर दी जाएगी। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस बार रसोई गैस की डिस्ट्रीब्यूटरशिप का आकार छोटा रखा जाएगा। एक डिस्ट्रीब्यूटर पर 1000 से ज्यादा रसोई गैस सिलिंडरों की सप्लाई का भार नहीं डाला जाएगा। सप्लाई की संख्या कम होगी तो कम जगह और इनवेस्टमेंट की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में, आम आदमी के लिए डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए आवेदन देने में परेशानी नहीं होगी।
रसोई गैस की डिस्ट्रीब्यूटरशिप शहरों के साथ-साथ गांवों में भी बढ़ाई जाएगी। तेल कंपनियों की एक्सपर्ट कमिटी इस बारे में सवेर् कर रही है कि किन-किन जगहों पर नए डिस्ट्रीब्यूटरशिप देने की जरूरत है। फिलहाल एक हजार स्थानों की पहचान कर ली गई है। आवेदन करने वालों की पहले मार्किंग की जाएगी और बाद में लॉटरी द्वारा लकी विजेताओं के नामों की घोषणा की जाएगी। लकी ड्रॉ लोगों के सामने निकाला जाएगा।
पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा का कहना है कि हम चाहते हैं कि रसोई गैस ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास पहुंचे। हम शहरों के गरीब लोगों के लिए एक और घोषणा करने वाले हैं। जो लोग राशन की दुकानों में केरोसिन लेते हैं, अगर वे रसोई गैस का कनेक्शन लेंगे, तो उन्हें तेल कंपनियों की तरफ से चूल्हा मुफ्त में दिया जाएगा।
इधर उत्तर प्रदेश के सांसद संजय सिंह चौहान का कहना है कि हमने जतिन प्रसाद को पत्र लिखकर कहा है कि डिस्ट्रीब्यूटरशिप लकी ड्रॉ के जरिए मत दें। आवेदन की जांच का जिम्मा एक्सपर्ट कमिटी को दे दें और उन्हीं को अंतिम फैसला करने दें। उम्मीद है कि उनकी यह बात भी मान ली जाएगी।


आप रोजाना अपनी किचन में घंटों बिताती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि वहां कई ऐसी खुशबूदार चीजें हैं, जो आपके मूड को फ्रेश रखती हैं? परफ्यूमिस्ट किरण रंगा बता रही हैं आपकी किचन में मौजूद खुशबूदार चीजों के बारे में-

सेब
राज सुबह एक सेब जरूर खाएं। यह आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होने इसकी खुशबू भी आपके मूड को फ्रेश बनाती है। वैसे संतरे, अंगूर व नीबू की खट्टी स्मेल भी माइंड को रिफ्रेश करती है। सुबह एक गिलास पानी में इन फ्रूट्स की एक स्लाइस डालकर पीएं। भीनी-भीनी खुशबू वाला यह पानी आपको नई ताजगी से भर देगा।

अदरक अगर आप अच्छा फील नहीं कर रहे हैं या थके हैं या फिर तनाव में हैं और इससे बाहर आने के लिए आपको एनर्जी चाहिए, तो अदरक का एक टुकड़ा चूसें। ज्यादा गर्मी की वजह से उबकाई या जी मिचलने की समस्या होने पर भी अदरक फायदेमंद है। इससे आपको तुरंत आराम मिलेगा। डाइजेस्टिव प्रॉब्लम होने पर आप लेमन टी में अदरक डालकर पीएं।

तुलसी तनाव को दूर करने में तुलसी खासी मददगार है। इसके अलावा, यह ध्यान और याददाश्त भी तेज करती है। टमैटो सैंडविच में तुलसी के पत्ते डालने से आप फ्रेश महसूस करेंगे।

दालचीनी दालचीनी की तेज गंध सभी को बहुत अच्छी लगती है। चाय बनाते समय तुलसी के साथ दालचीनी डाल कर पीएं। इसकी तेज खुशबू से आपको एनर्जी मिलेगी।
कॉफी बीन्स इस बात से सभी वाकिफ हैं कि अरोमा आपको फ्रेश करने के साथ थकान भी दूर करता है। अगर आप कुछ डिफरेंट फ्रेगनेंस ट्राई करना चाहते हैं, तो कॉफी बीन्स बहुत अच्छा ऑप्शन है। इनकी खुशबू से आपको एनर्जी मिलेगी। इसके अलावा, प्याज की स्मेल से सिर में दर्द होने पर तुरंत कॉफी की खुशबू सूंघे। आपको अच्छा फील होगा।

चाय अगर आपका मूड ठीक नहीं है, तो आप एक कप चाय पीकर उसे ठीक कर सकते हैं। अक्सर लोग पार्टी वगैरह में ओवर ईटिंग कर लेते हैं। ऐसी सिचुएशन में आप एक कप ग्रीन टी पीना फायदेमंद रहेगा। इससे आपको तुरंत आराम मिलेगा और आप रिलैक्स फील करेंगे।

छोटी इलायची छोटी इलायची में मौजूद टरपाइनल एसिटेट और सिनेऑल जैसे तत्वों के कारण इसमें मीठापन व तीखी स्मैल आती है। ये स्मैल आपके माइंड को उत्तेजित करती है। वैसे भी, आपने देखा होगा कि आपकी नाक गर्म बिरयानी की खुशबू तुरंत भांप लेती है। दरअसल, छोटी इलायची की खुशबू आपके माइंड को अलर्ट करती है।

लौंग लौंग में इयूजेनॉल और इयुजनाइल तत्व होते हैं, तो हमारे माइंड को उत्तेजित करने के साथ एनर्जी भी देते हैं। यही वजह है कि लौंग कोल्ड, फ्लू व थकान में बहुत फायदेमंद है। अगर आपकी नाक में खून जम गया है, तो आप थोड़ी मात्रा में लौंग खा लें। इससे आपको आराम मिलेगा। इसके अलावा, दांत दर्द में लौंग का तेल बेहद फायदेमंद होता है।


अक्सर देखने में आता है कि लोग बच्चों की हेल्थ की वजह से पेट्स को पालने से इनकार कर देते हैं, लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी के मुताबिक पेट्स का साथ बच्चों की हेल्थ के लिए अच्छा होता है।
अभी तक घर में पेट्स पालने वाले इसी बात को लेकर परेशान रहते थे कि इससे उनके बच्चे की हेल्थ पर खराब असर पड़ सकता है। लेकिन इस स्टडी ने उनके तमाम कंफ्यूजन दूर कर दिए हैं। इस स्टडी में घर में पेट्स होने से बच्चों की हेल्थ पर होने वाले तमाम इफेक्ट्स का अध्ययन किया गया है।
पशु प्रेमियों के लिए इस स्टडी में अच्छी खबर यह है कि घर में पेट्स रखने से बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। अगर आप छह साल की उम्र तक के किसी डॉगी को अपने घर में रखते हैं, तो उसके कॉन्टैक्ट में आने वाले बच्चे को फीवर और अस्थमा होने की शिकायत कम होती है। इसी तरह कम उम्र के बिल्ली के कॉन्टैक्ट में रहने से बच्चों को ग्रास पोलन एलर्जी होने के चांस कम हो जाते हैं। रिसर्च में पालतू जानवरों को बच्चों के लिए फायदेमंद बताने के लिए गांवों में रहने वाले लोगों के बच्चों पर उनका इफेक्ट बताया गया है। सभी जानते हैं कि किसानों के बच्चे रोजाना अपने घरों में रहने वाले पालतू जानवरों के संपर्क में आते हैं। बचपन से जानवरों के संपर्क में आने से उन बच्चों का इम्यून सिस्टम इतना मजबूत हो जाता है कि उन्हें अस्थमा और फीवर जैसी बीमारियां नहीं होती। इससे साबित होता है कि जानवरों का साथ बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत करता है।
तो उम्मीद है कि अगली बार जब आपको किसी पेट्स को घर लाने का मौका मिलेगा, तो आप सिर्फ बच्चों की हेल्थ की वजह से उन्हें इनकार नहीं करेंगे।


ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जिन्हें ऑफिस में बैठे हुए भी उबासी आती रहती है। अक्सर लोग इस परेशानी को दूर करने के लिए कॉफी के सिप लेते हैं, लेकिन यह परमानंट सल्यूशन नहीं है। यहां कॉफी की चुस्कियां खत्म हुई नहीं कि उधर दोबारा उबासी आनी शुरू हो जाती है। खास बात यह है कि अब पहले से ज्यादा नींद आने लगती है। साथ ही बार-बार कॉफी पीने से बॉडी के डिहाइड्रेशन सिस्टम पर भी इफेक्ट पड़ता है। थोड़ी-बहुत देर की बात अलग है, लेकिन कॉफी के सहारे आप पूरे दिन नींद से छुटकारा नहीं पा सकते।
अवॉइड स्वीट अगर आप नींद की झपकी से बचना चाहते हैं, तो किसी भी तरह की मिठाइयों से दूर रहें। सिंपल कार्बोहाइड्रेट वाले शुगर जैसे फूड हमारी बॉडी बड़ी तेजी से एब्जॉर्व किए जाते हैं। बॉडी में अचानक शुगर जाने से एनर्जी लेवल में भी बढ़ोतरी महसूस होती है, लेकिन शुगर से डील करने के लिए इंसुलिन रिलीस करनी पड़ती है। इसी वजह से हम थकान महसूस करते हैं। भले ही शुगर से एनर्जी लेवल बढ़ जाता है, लेकिन रिसर्च में सामने आया है कि नींद की परेशानी दूर करने के लिए यह बेहतर तरीका नहीं है। साथ ही ज्यादा शुगर वाले 'हेल्थ' ड्रिंक भी अवॉइड करने चाहिए।
बनिए वॉटर बेबी अगर दिन के वक्त नींद आ रही है, तो इसकी वजह बॉडी का डिहाइड्रेट होना होती है। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी जरूर पीएं, ताकि बॉडी को हाइड्रेट रखा जा सके।
कुछ खाइए अगर आपको भूख लगी है, तो उस वक्त फ्रूट प्लेट आपके बेहतरीन ऑप्शन हो सकती है। फलों में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिस वजह से शुगर के मुकाबले इन्हें खाने के बाद आपको ज्यादा देर तक भूख नहीं लगेगी। साथ ही बॉडी में कम कैलोरी जाएगी। अगर आप चाहें, तो मुट्ठी भर ड्राईफ्रूट भी खा सकते हैं, जिनसे बॉडी को काफी प्रोटीन मिलता है। काजू, बादाम और अखरोट का मिक्सचर आइडियल है।
लेकिन कम खाइये अगर आप हैवी फूड लेते हैं, तो आपको नींद की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हैवी मील के बाद उसे पचाने के लिए आपके पेट को ब्लड फ्लो बढ़ाना पड़ता है। इस वजह से दिमाग तक कम ब्लड पहुंच पाता है और नींद आने लगती है। इसलिए एक बार में ज्यादा खाने की बजाय अपने खाने का छोटे-छोटे चार या पांच हिस्सों में बांटिए। हालांकि इसके लिए अपनी डाइट में चेंज करने की जरूरत नहीं है। कोशिश कीजिए कि ज्यादा प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट लें। जैसे कि अगर आप लंच में तीन रोटी खाते हैं, तो एक कम करके उसकी बजाय ज्यादा सब्जी खाएं। अगर आप चावल खाते हैं, तो उसमें ज्यादा दाल मिलाएं। मेन परपज आपके हैवी मील को तोड़कर स्मॉल मील बनाना है। ध्यान रखें कि अगर रात को आप अच्छी तरह नहीं सो पाएं हैं, तो भी दिन में एसिडिटी और नींद आने की परेशानी हो सकती है। इसलिए खाने-पीने का ध्यान रखें।


कर चुकाने से बचा नहीं जा सकता है और इसका भुगतान करना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है। पर आप मेहनत की गाढ़ी कमाई बचा सकते हैं और अतिरिक्त कर का भुगतान करने से बच सकते हैं। हर व्यक्ति कर छूट क्लेम करना चाहता है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि कर चुकाते वक्त पैसा बचाना सभी की वित्तीय प्राथमिकताओं की सूची में शीर्ष पर होता है। लेकिन आय कर कानून की जटिलताओं पर गौर करने के बाद कितने ऐसे लोग होंगे जो इन छूट के बारे में वास्तव में जानकारी रखते हों या उनका पूरा फायदा उठाते हों। निश्चित रूप से आप इनमें से कुछ को नजरअंदाज कर बैठे हों। आइए, कर छूट का फायदा देने वाले ऐसे कुछ बिंदुओं पर गौर करें जिन्हें आम तौर पर नजरअंदाज किया जाता है-
होम स्वीट होम आपका मकान केवल सिर ढकने के लिए छत ही नहीं देता बल्कि कर से बचने का रास्ता भी मुहैया कराता है। अगर आप किराए के अपार्टमेंट में रहते हैं और वेतनभोगी हैं तो हाउस रेंट एलाउंस क्लेम कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं है तो आप कुल आमदनी के 10 फीसदी से ज्यादा बतौर किराए चुकाने पर कर छूट क्लेम कर सकते हैं। हालांकि इस मामले में कुछ शर्तें होती हैं।
अगर आप अपने मकान में रहते हैं तो किसी भी वित्तीय संस्थान से मिलने वाले लोन पर चुकाए गए ब्याज पर कर छूट ले सकते हैं। कई लोग इस रकम को केवल 150000 रुपये तक सीमित मान लेते हैं। हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि ऐसा प्रॉपर्टी के निजी इस्तेमाल के मामले में होता है और जहां मामला प्रॉपर्टी किराए पर देने की बात होती है, उसमें ऐसा नहीं होता।
परोपकार का फायदा दान पर भी कर छूट मिलती है। अगर हम उन्हें चेक के माध्यम ये भुगतान करते हैं तो ज्यादा लंबे वक्त तक याद रखते हैं लेकिन अगर नकद दान देते हैं तो कुछ ही वक्त में भुला बैठते हैं। यह जरूरी है कि धर्मार्थ दान देते वक्त अपनी भी मदद की जाए। कहा भी जाता है कि चैरिटी सबसे पहले घर से शुरू होती है। हमें सिर्फ इतना करना है कि कर छूट के तहत आने वाले दान में दिए गए पैसे की रसीद भर चाहिए। और हमें वह जगह नहीं भूलनी चाहिए जहां ऐसी रसीद रखी जाती हैं।
शिक्षा आज कर शिक्षा का खर्च आसमान छू रहा है जिससे वित्तीय बोझ भी बढ़ रहा है। इस सिलसिले में आप अपने पुत्र या पत्नी की उच्च शिक्षा के लिए लोन ले सकते हैं और ऐसे लोन पर दिया जाने वाला ब्याज का भुगतान आपको कर छूट उपलब्ध कराएगा।
सेहत ही धन है मेडिकल इंश्योरेंस पर भी कर छूट मिलती है। हालांकि यह 15000 रुपये जैसी छोटी रकम पर मिलती है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है। मां-बाप के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर 15000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है। इसके अलावा अगर आपने किसी ऐसे व्यक्ति के मेडिकल खर्च का बोझ उठाया है, जो आप पर निर्भर है तो आपको 40000 से लेकर 75000 रुपये तक की रकम पर छूट मिल सकती है।
दूसरे बिंदू जीवन बीमा प्रीमियम, डेफर्ड एन्युटी, प्रॉविडेंट फंड में जमा पैसे, ट्यूशन फीस, हाउस लोन कर छूट के एक लाख रुपये के दायरे में आते हैं।


टाटा टेलिसर्विसेज ने मोबाइल सेवा क्षेत्र में 1 सितंबर 2009 यानी मंगलवार को ऐसी घंटी बजा दी , जिसे 'क्रांतिकारी' और 'खेल की तस्वीर बदलने' वाला करार दिया जा रहा है। कंपनी ने टेलिफोन कॉल के लिए शुल्क वसूलने के पारंपरिक तरीके, पल्स सिस्टम को छोड़ने का फैसला किया है। इसके बजाय वह अपने ग्राहकों से प्रति कॉल आधार पर फीस वसूलेगी। वैसे यहां आपको यह बता दें कि ऐसा दुनिया में संभवत: पहली बार किया जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि टाटा टेलीसर्विसेज की कॉल पर प्रति मिनट आधार पर शुल्क नहीं लिया जाएगा। केवल टाटा टेलीसर्विसेज के सीडीएमए ग्राहकों के लिए उपलब्ध इन अवधि मुक्त कॉल के मामले में स्थानीय कॉल के लिए 1 रुपये और हर एसटीडी कॉल के लिए 3 रुपये का भुगतान करना होगा।
आसान शब्दों में कहें, तो स्थानीय कॉल के लिए सिर्फ 1 रुपया चुकाना होगा, भले ग्राहक दो घंटे तक क्यों न बात करे। ठीक इसी तरह, किसी भी नेटवर्क पर की जाने वाली एसटीडी कॉल के लिए 3 रुपए देने होंगे, भले कॉल की मियाद कितनी भी क्यों न हो। कंपनी के एमडी अनिल सरदाना ने कहा, 'इसमें कुछ भी फांसने जैसा या कोई छिपा हुआ शुल्क नहीं है। हम कभी अपने वादे से नहीं पलटे हैं और हमारे कारोबारी मॉडल में ग्राहकों का सम्मान और भरोसा जीतना शामिल है। टाटा समूह ऐसे ही काम करता है। भारतीय दूरसंचार ग्राहकों के लिए यह ऐतिहासिक किफायती कदम है।'
उन्होंने कहा, 'यह पेशकश स्थानीय और एसटीडी, दोनों तरह की कॉल के लिए है और यही बात इसे खास बनाती है। यही वजह है कि यह भारतीय दूरसंचार प्राइसिंग मॉडल को पूरी तरह बदलने का माद्दा रखता है।' किसी भी मोबाइल ऑपरेटर के पल्स और प्रति मिनट बिलिंग सिस्टम से अलग होने का भी यह पहला मामला है और टाटा के कार्यकारी अधिकारियों का कहना है कि यह अवधारणा दुनिया में अपनी तरह की पहली कोशिश है। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया भर में दूसरे ऑपरेटर भले खास घंटों (रात दस बजे के बाद या सप्ताहांत में) या फिर चुनिंदा फोन नम्बरों के बीच फ्री टॉक टाइम की सुविधा मुहैया कराते हैं, लेकिन किसी भी ऑपरेटर के पूरी तरह 'प्रति कॉल आधारित बिलिंग सिस्टम' अपनाने का यह पहला मामला है।
ग्राहकों की संख्या के आधार पर देश की छठी सबसे बड़ी सेल्युलर कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज सीडीएमए प्लेटफॉर्म में 3.8 लाख यूजर रखती है, जिनमें से 92 फीसदी प्री-पेड सेवा इस्तेमाल करते हैं। मौजूदा ग्राहक 96 रुपए का वन टाइम रिचार्ज वाउचर खरीदकर नई टैरिफ स्कीम का फायदा उठा सकते हैं। जो ग्राहक इस नए टैरिफ ढांचे का विकल्प चुनेंगे, उनसे 1 रुपये प्रतिदिन का फ्लैट रेंटल वसूला जाएगा।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि वह जल्द ही अपने पोस्ट-पेड ग्राहकों के लिए भी इसी तरह की योजना शुरू करेंगे। प्रति कॉल के हिसाब से भुगतान करने की स्कीम कंपनी के जीएसएम ग्राहकों के लिए नहीं है। ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल (जीएसएम) टेक्नोलॉजी स्टैंडर्ड पर कंपनी के करीब 50 लाख ग्राहक हैं।


शॉपिंग का चस्का तो सभी को होता है, लेकिन बिजी शेड्यूल के चलते बहुत से लोगों को मार्किट जाने का वक्त नहीं मिल पाता। इसी वजह से तमाम लोग ऑनलाइन शॉपिंग करने लगे हैं। बाजार तो फिर भी हफ्ते में एक दिन बंद रहता है, लेकिन नेट पर शॉपिंग सातों दिनों के 24 घंटों में किसी भी टाइम की जा सकती है। माउस के एक क्लिक से आप ट्रेन या एयरलाइंस के टिकट और किसी अनजान शहर में होटल बुक करवा सकते हैं, दोस्तों को बुके भेज सकते हैं या फैशनेबल आइटम खरीद सकते हैं। वैसे, शॉपिंग आप किसी भी चीज की करें, लेकिन इस मामले में सावधानी जरूर बरतें।
ऑनलाइन डीलर आजकल कोई भी किसी के नाम से ऑनलाइन शॉप सेटअप कर सकता है, इसीलिए नेट पर शॉपिंग से पहले ऑनलाइन डीलर का पता व फोन नंबर कंफर्म कर लें, ताकि बाद में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर किसी ई-मेल या पॉपअप मेसेज में आप से किसी तरह की फाइनैंशल इंफर्मेशन मांगी जाती है, तो इसे इग्नोर कर दें। कोई भी सामान खरीदने से पहले डीलर का ट्रैक रेकॉर्ड जरूर चेक करें। आपने जिन कंपनियों का नाम नहीं सुना है, उनसे सामान बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए।
क्वॉलिटी और कॉस्ट किसी भी सामान को ऑनलाइन खरीदने से पहले तमाम साइट्स चेक करें और इसके बाद ही डील फाइनल करें। बजट को ध्यान में रखते हुए सामान की कीमत के साथ डिलिवरी चार्ज भी जोड़ लें। कहीं ऐसा न हो कि सस्ते के चक्कर में आप महंगे के फेर में पड़ जाएं। और हां, किसी भी हालात में कैश बिल्कुल न भेजें।
क्रेडिट कार्ड से पेमंट अगर ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान पेमंट आप क्रेडिट कार्ड से करते हैं, तो आपका ट्रांजेक्शन फेयर क्रेडिट बिलिंग एक्ट के तहत आ जाता है। इससे विवादित मामले निपटाने में काफी मदद मिलती है। कंस्यूमर प्रॉटेक्शन के लिहाज से भी यह निहायत जरूरी है।
पर्सनल इंफर्मेशन नहीं अगर आप किसी कंपनी की वेबसाइट पर विजिट करते हैं, तो हो सकता है कि आपकी कंप्यूटर स्क्रीन पर पॉपअप मेसेज आ जाए। इसमें खरीदार की पर्सनल इंफर्मेशन लेने के लिए बॉक्स बने होते हैं। मशहूर कंपनियां पॉपअप स्क्रीन से कोई जानकारी लेने में दिलचस्पी नहीं रखतीं। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए आप अपने कंप्यूटर पर पॉपअप ब्लॉकिंग सॉफ्टवेयर लोड कर सकते हैं।
डॉक्युमेंटेशन जरूरी ऑनलाइन ऑर्डर प्रॉसेस पूरा होने के बाद आपको या तो फाइनल कन्फर्मेशन पेज मिलता है या फिर ई-मेल के जरिए सूचना मिलती है। इसे प्रिंट करके संभाल कर रखना बहुत जरूरी है। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर यह आपकी काफी मदद करेगी। इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड स्टेटमंट को भी ध्यान से देखना बहुत जरूरी है, ताकि ऑनलाइन खरीदारी के बहाने आपकी स्टेटमंट में अनाप-शनाप चार्ज न जोड़ दिए जाएं।
टर्म्स ऑफ द डील अगर नेट से शॉपिंग के बाद आप किसी आइटम से संतुष्ट नहीं हैं, तो उसे रिटर्न करने के बाद आपको कितना रिफंड मिलेगा, यह जानना भी बहुत जरूरी है। यह पता लगाना भी आपकी समझदारी मानी जाएगी कि अगर आप कोई आइटम कंपनी को रिटर्न करते हैं, तो उसका शिपिंग चार्ज या री-स्टॉकिंग फीस का खर्च किसे भुगतना होगा। अगर सामान की डिलिवरी की कोई डेट फाइनल नहीं है, तो फेडरल ट्रेड कमिशन (एफटीसी) के नियम के अनुसार सामान की डिलिवरी ऑर्डर डेट के 30 दिन के अंतर तक हो जानी चाहिए।


जो देखने में बहुत ही करीब लगता है उसी के बारे में सोचो तो फासला निकले....ये कही हुई लाइनें अपने आपमें अपने ही वजूद को हिलाने वाली है... ऐसा क्यों होता है....कि आप जिसको अपने सबसे करीब मानते है..वो ही आपसे सबसे दूरी पर होता है....आप जिससे दुनिया से बचाते हो वो ही आपको दुनिया के बीच लाकर खड़ा कर देता है....क्यो ऐसा होता है...जो भी हो ये बहुत दर्द देने वाला होता है...क्यों वो रिश्तें जिन्हें हम जितनी मजबूती से बाधंते है....वो उतनी ही आसानी से टोटने वाले होते है..क्यो रिश्तों के बीच दुनियादारी हमेशा भारी पड़ती है....कुछ काम कुछ सवाल हमेशा क्यो अधुरे से मन में रह जाते है...क्या वाकई रिश्ते इतने कमजोर और अनसुलझे से होते है...ये चन्द सवाल क्यों हमेशा दिलों दिमाग को झकझोर देने वाले होते है...


भारत में त्योहारों की इतनी समृद्घ परंपरा है कि एक धर्म के त्योहार को दूसरे धर्म के लोग भी खुशी-खुशी मनाते हैं, लेकिन दीवाली जैन और सिख धर्म में और भी कुछ परंपराओ के चलते बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइये जानते हैं इससे जुड़े कुछ अहम तथ्य...
जैन धर्म में दीवाली - जैन धर्म में दीवाली को बड़ा महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामी को 527 बीसी में दीवाली के दिन ही मोक्ष प्राप्त हुआ था। इसके अलावा महावीर स्वामी के प्रमुख गणधर गौतम स्वामी को भी इसी दिन कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जैन ग्रंथों के मुताबिक महावीर स्वामी ने दीवाली से पहली रात को आधी रात के वक्त आखिरी बार उपदेश दिया था। भगवान द्वारा दिए गए इस आखिरी उपदेश को 'उत्तराध्यान सूत्र' के नाम से जाना जाता है। उस वक्त वहां मौजूद लोगों ने भगवान को मोक्ष होने की खुशी में रोशनी की और खुशियां मनाई। इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने निर्णय लिया कि महावीर स्वामी के ज्ञान को यहां जल रहे दीपकों के प्रकाश की तरह लोगों में फैलाया जाएगा। बस तभी से इस पर्व का नाम दीपावली या दीवाली पड़ गया। दीवाली को जैन धर्म में पर्यूषण पर्व के बाद सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। जैन धर्म में दीवाली को विशेष रूप से त्याग और तपस्या के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जैन धर्म के अनुयायी इस त्योहार को तीन दिनों तक एंजॉय किया जाता है। इन दिनों लोग भगवान महावीर के त्याग-तपस्या को याद करके उनके जैसा बनने की कामना करते हैं और उनके आखिरी उपदेश 'उत्तराध्यायन सूत्र' का पाठ करते हैं। खास दीवाली वाले दिन सुबह-सुबह सभी जैन मंदिरों में भगवान महावीर की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। भगवान के मोक्ष जाने की खुशी में सभी लोग अपने घरों और दुकानों को विभिन्न तरह लाइटों से सजाते हैं।
सिख धर्म में दीवाली - दीवाली वाले दिन सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी को मुगल बादशाह जहांगीर की कैद से मुक्ति मिली थी। मुगल बादशाह जहांगीर ने गुरु हरगोविंद सिंह जी की बढ़ती शक्ति से घबरा कर उन्हें और उनके 52 साथियों को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया हुआ था। देश भर के लोगों द्वारा हरगोविंद सिंह जी को छोड़ने की अपील पर जहांगीर ने सन् 1619 ईसवीं में गुरु को दीवाली वाले दिन मुक्त किया था। कैद से मुक्त होते ही गुरु अमृतसर पहुंचे और वहां विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया। गुरु की माता ने सभी लोगों उनके रिहा होने की खुशी में मिठाई बांटी और चारों ओर दीप जलाए गए। इसी वजह से सिख धर्म में दीवाली को 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा अमृतसर के प्रसिद्घ स्वर्ण मंदिर की नींव सन् 1577 में दीवाली के दिन ही रखी गई थी। सिख धर्म में दीवाली के त्योहार को तीन दिन तक एंजॉय किया जाता है। दीवाली के दिन में अमृतसर में विशेष समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं। इस दिन लोग सुबह-सुबह पवित्र सरोवर में डुबकी लगाते हैं और स्वर्ण मंदिर के दर्शन करते हैं।

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