मंदी के कारण दुनिया भर में नौकरियों पर असर पड़ा है
पिछले वर्ष के आख़िरी तीन महीनों यानी अक्तूबर से दिसंबर के बीच भारत में पाँच लाख लोगों का रोज़गार छिन गया. ये आँकड़ा केंद्रीय श्रम मंत्रालय का है और वो भी सिर्फ़ संगठित क्षेत्रों से मिली सूचनाओं के आधार पर. इनमें गुजरात के हीरा कारोबारियों के यहाँ काम करने वाले दिहाड़ी मज़दूर शामिल नहीं हैं. ना ही सिर्फ़ एक साल पहले तक गुलजार नज़र आने वाले कर्नाटक में बेल्लारी के लौह खनन उद्योगों में रोज़गार गँवाने वालों की गिनती है. बेल्लारी के खदानों से कभी पाँच हज़ार ट्रकों की आवाजाही होती थी लेकिन वैश्विक मंदी से मिटी माँग के कारण ये संख्या पाँच सौ रह गई. मतलब साफ है ट्रक चालक, क्लीनर और मज़दूर भी बेरोज़गार हुए होंगे. ख़ैर अगर सिर्फ़ संगठित क्षेत्रों को ही लें तो पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से उभरते आउटसोर्सिंग उद्योग, मैनुफैक्चरिंग और अन्य निर्यात आधारित क्षेत्रों में भारी रोज़गार के अवसर पैदा हुए. लाखों की संख्या में युवाओं को रोज़गार मिले. प्रबंधन, आईटी, बीमा जैसे क्षेत्रों में युवाओं को भारी भरकम तनख़्वाह मिली. इसी के साथ भारतीय युवा वर्ग के सपनों की उड़ान शुरु हुई. लेकिन मंदी की मार ने मानों इस रफ़्तार को चारों ओर थाम दिया है. निजी क्षेत्र में छँटनी की तलवार लटक रही है. कभी बोनस और सेवा शर्तों में बढोत्तरी की आस रखने वाले युवा रोज़ाना धड़कते दिल से दफ़्तरों में क़दम रख रहे हैं. सपनों की उड़ान पर विराम
मंदी का सबसे ज़्यादा असर उन कंपनियों पर पड़ा है जो अब तक निर्यात पर आश्रित रहे हैं क्योंकि विदेशों से नए ऑर्डर या तो बंद हो गए हैं या काफी कम हो गए हैं. ऐसे में अपनों से दूर रह कर वेतन पर आश्रित लेकिन बचत की प्रवृत्ति से दूर हो चुके लोगों की नौकरी जाने का मतलब है पूरे परिवार पर असर. इन्हीं में से एक हैं अजय शर्मा जिन्हें हाल ही में नौकरी से हाथ धोना पड़ा. वो पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं और निकाले जाने से पहले एक अमरीकी आईटी कंपनी के भारत स्थित कार्यालय में काम करते थे. किन हालात में अजय की नौकरी गई, उनकी ज़िंदगी पर इसका क्या असर हुआ है और भविष्य तलाशने की उनकी जद्दोजहद को हम अलग-अलग किश्तों मेंआप तक पहुंचा रहे हैं.


दिल्ली की सड़को पर फटे व मैले कुचैले कपड़े पहने भिखारी देख कभी यह मत सोचिएगा कि यह कोई अनपड़ होगा..हो सकता है...आपसे भीख मांगने वाला आपसे भी ज्यादा पढ़ा लिखा हो...भिखारियों पर किए गये एक सर्वेक्षण में दिल्ली में २६ भिखारी स्नातक तथा चार स्नातकोत्तर निकले... करीब दो दर्जन भिखारियों ने स्वीकार किया कि उनकी कमाई २०० से ५०० रूपये प्रतिदिन है...यह जानकारी केन्द्रीय सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता राज्य मंत्री डी नेपोलियन ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में दी...


भारत में पूर्ण सूर्यग्रहण के मौक़े पर पर्यटकों को लुभाने की कोशिश जोर शोर से की जा रही है.
हालांकि भारत में पूर्ण सूर्यग्रहण केवल कुछ मिनट के लिए ही दिखाई देगा लेकिन पर्यटन कंपनियों ने इस मौक़े को भुनाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है.
गुजरात सरकार ने 22 जुलाई को पड़ने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण को पर्यटन के एक बड़े उत्सव के तौर पर मनाने का फ़ैसला किया है.
इसी तरह बिहार के पटना के पास तरेगना गाँव में सूर्यग्रहण पर पर्यटकों का जमावड़ा होगा.
टूर आपरेटर्स ने सूर्यग्रहण को दिखाने के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था की है जो इस दौरान एक शहर से दूसरे शहर उड़ान भरेंगी.
इसमें खिड़की वाली सीटों के लिए विशेष क़ीमत वसूली जा रही है.
दरअसल नासा के अनुसार भारत में ये सूर्य ग्रहण सुबह 5 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 40 मिनट तक देखा जा सकेगा.
लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण सुबह 6.26 से 6.30 तक चलेगा जिसमें सूर्य पूरी तरह छुप जाएगा.
भारत में पूर्ण सूर्यग्रहण भोपाल, सूरत, दार्जलिंग, वाराणसी और पटना के आसपास देखा जा सकेगा.
लेकिन दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर, अहमदाबाद, कोलकाता और चेन्नई में आंशिक सूर्यग्रहण ही देखा जा सकेगा.
गुजरात के पर्यटन सचिव किशोर राव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गुजरात सरकार 22 जुलाई को सूरत में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि सूर्यग्रहण को देखने के लिए लगभग पाँच हज़ार पर्यटक सूरत में जुटेंगे.
सूर्यग्रहण भारत के पश्चिमी क्षेत्र से शुरू होगा और फिर पूर्वी भारत, बर्मा, जापान और चीन के छोटे द्वीपों की तरफ बढ़ेगा.

दोनों देशों के बीच अहम समझौते हुए अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों बीच तीन प्रमुख समझौते हुए हैं.ये समझौते रक्षा, परमाणु सहयोग और अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्रों में हुए हैं. दोनों देशों के बीच सबसे महत्वपूर्ण समझौता रक्षा क्षेत्र में हुआ है. इसके तहत अमरीकी रक्षा तकनीक और उपकरणों के आयात का रास्ता साफ़ होगा.
एंड यूजर मानीटरिंग समझौते के बाद अमेरिका भारत को संवेदनशील सैन्य तकनीक बेच सकेगा और दोनों देशों के बीच और अधिक सामरिक और रणनीतिक सहयोग का रास्ता साफ हो जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी खेमा इस समझौते के तहत सालाना निरीक्षण की जिद छोड़ने के लिए राजी हो गया है. इस समझौते से अमरीका की प्रतिरक्षा कंपनियों को करोड़ो का व्यापार करने का मौका मिलेगा.
इन परियोजनाओं से रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और बिजली की कमी भी दूर होगी. दोनों देशों ने टेक्निकल सेफगार्ड समझौता भी किया है जिसके तहत भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अमरीकी उपकरण प्राप्त कर सकेगा.
भारत और अमरीका के बीच रक्षा संबंधों को मज़बूत बनाने पर सहमति बनी है. दोनों देशों ने आतंकवाद का मिल कर मुक़ाबला करने की प्रतिबद्धता जताई है.
इन समझौतों पर दिल्ली में अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने हस्ताक्षर किए.

हिलेरी ने मनमहोन सिंह को अमरीका आने का न्यौता सौंपा है
इसके बाद साझा प्रेस कॉंफ़्रेंस में भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि हिलेरी क्लिंटन भारत से पहले से परिचित रही हैं जिससे द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा मिली है.
उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच असैनिक परमाणु समझौते, जलवायु परिवर्तन, परमाणु अप्रसार और अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर चर्चा हुई.”
दोनों देशों के बीच तीन अहम समझौते हुए हैं. पहला समझौता विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के संबंध में है.
आतंकवाद
अमरीकी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन के साथ बातचीत में आतंकवाद के ख़तरों पर साझा प्रयासों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की.
उन्होंने कहा, “ मैं दोनों देशों के बीच मज़बूत संबंध बनाने के लिए आई हूं. राष्ट्रपति ओबामा और मेरा विश्वास है कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध 21 वीं सदी के लिए ज़रूरी है.”
हम पाकिस्तान के साथ दोस्ताना संबंध चाहते हैं. मुंबई हमलों ने समग्र वार्ता को पीछे धकेल दिया. तब से अब तक राजनीतिक संवाद कायम हुआ है. संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान हम पाकिस्तान के विदेश मंत्री से फिर मिलेंगे
एसएम कृष्णा
हिलेरी का कहना था, “हमने सभी अहम मुद्दों पर चर्चा की. कुछ मुद्दों पर अलग-अलग विचार है. लेकिन मेरा विश्वास है कि असहमतियों को दूर किया जा सकता है.”
अमरीकी विदेश मंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति ओबामा की ओर से उन्हें 24 नवंबर को अमरीका आने का न्यौता दिया.
पाकिस्तान के साथ संबंधों पर एसएम कृष्णा ने कहा, “हम पाकिस्तान के साथ दोस्ताना संबंध चाहते हैं. मुंबई हमलों ने समग्र वार्ता को पीछे धकेल दिया. तब से अब तक राजनीतिक संवाद कायम हुआ है. संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान हम पाकिस्तान के विदेश मंत्री से फिर मिलेंगे.”

एनआईएस पटियाला, एथलीटों का ट्रेनिंग हब. यहां कई कैम्प चल रहे है... इनमें पुरूष बॉक्सिंग कैम्प भी है..१६ जुलाई को सेलेक्शन ट्रायल था...इससे देखने के लिए बॉक्सिंग से जुड़े बहुत से लोगों के साथ-साथ मीडिया के लोग भी मौजूद थे...इन लोगो की आवभगत (चाय,पानी आदि सर्व करने में) लगी थी.. दो लड़किया.. इनमें से एक लड़की थी..विश्व चैंपियनशिप की कांस्य विजेता रेनू गोंरा... और पूछने पर पता चला कि कि आज उसके पास कोई नौकरी नहीं है..इसलिए उसने एनआईएस से एक साल का कोचिंग कोर्स कर लिया...जिससे उसे खेल का थोड़ा नॉलेज हो जाए और हो सकता है...कोई जॉब भी मिल जाएं...और फिर बताती है... कि सर जो कहते है...करना पड़ता है...सर ने यहां चाय पानी पिलाने में हमारी डयूटी लगाई थी...और वही हम कर रहे है...उसका कहना है,,कि वो सीनियर है..तो उनकी बात तो माननी ही पडे़गी...और इतना ही नहीं ये सबके जूठे कप गिलास भी माजती है... तो ये सचाई है....हमारे देश की ...

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देशवासियों को आश्वस्त किया है...कि आतंकवाद के खिलाफ हरसंभव कार्रवाई करने के पाकिस्तान के आश्वासन के बाद ही भारत ने समग्र वार्ता प्रक्रिया को आतंकवाद के मुद्दे से अलग रखने पर सहमति जताई है...हालाकि विपक्ष में बैठा भाजपा इस बयान से संतुष्ट नही है..भाजपा का आरोप है..कि आतंकवाद को समग्र वार्ता प्रक्रिया से न जोड़ा जाना देश के साथ विश्वासघात है...और सरकार ने ये कदम अंतरराष्ट्रीय दवाब में उठाया है...डॉ सिंह ने लोकसभा में शुक्रवार को दिए गए वक्तव्य में कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ गिलानी ने उन्हें भरोसा दिलाया है...कि उनका देश आतंकवाद के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगा... और मुंबई हमलों के दोषियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा....
संयुक्त बयान पर उठे सवाल क्योंनबंर एक- आतंकियों पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर बरोसा किया जा सकता है?पाकिस्तान अभी भी जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद को लेकर दुलमुल है...नबंर दो- संयुक्त बयान से आतंकवाद अलग क्यों?अरसे से पाकिस्तान ये मानता रहा है... कु वो आतंकवाद का उपयोग कश्मीर को जीतने में कर रही है...और फिर नागरिक सरकार ऐसा सोच सकती है....पर क्या इससे सेना भी सहमत है?नबंर तीन- अगर मुंबई की तरह एक और हमला होता है?भारत सिर्फ ये उम्मीद ही तो कर सकता है... कि पाकिस्तान इन समूहों पर शिकंजा कसेगा...क्या एक उम्मीद भर पर फैसला सही होगा?

Blogger Templates by Blog Forum