देश के दक्षिण-पश्चिमी तट पर बसा कोचीन अपनी लोकेशन की वजह से देश के इतिहास में एक अलग ही जगह रखता है। केरल के इ स खूबसूरत शहर पर अरब, ब्रिटिश, चाइनीज, डच, पुर्तगाली वगैरह सभ्यताओं की छाप साफ नजर आती है। भू मध्य रेखा के पास होने के अलावा, समुद व पहाड़ियों के भी इसके करीब होने से यहां खूबसूरत नजारों के साथ अच्छे मौसम को भी एंजॉय किया जा सकता है।
क्या देखें
चाइनीज फिशिंग नेट्स ये खासतौर पर कोचीन में ही यूज होती हैं। माना जाता है कि चीन के शासक कुबलई खान के दौर के व्यापारी इन्हें यहां लाए थे। दिलचस्प बात यह है कि ये नेट्स बस कोचीन में ही मिलती हैं और चीन में नहीं। फोर्ट कोचीन और वायपीन के आसपास के पूरे क्षेत्र में इनका जाल देखा जा सकता है।
फोर्ट कोचीन बीच सूर्यास्त के समय इन बीचों पर टहलना और दूर से जहाजों को देखना एक यादगार अनुभव रहेगा। बीच के किनारे कई यूरोपियन स्टाइल के बंगले भी देखे जा सकते हैं। साथ ही, यहां ताजी मछली से बनी कई डिशेज का स्वाद भी चखा जा सकता है।
वास्को हाउस रोस स्ट्रीट पर बना वास्को हाउस देश के सबसे पुराने पुर्तगाली हाउसेज में से एक है और माना जाता है कि वास्को डि गामा यहां रहे थे।
डच पैलेस इसे डचों ने बनवाया था और 17वीं शताब्दी में उन्होंने इसमें कुछ बदलाव कर इसे कोचीन के राजा को दे दिया था। यहां रामायण और महाभारत से जुड़ीं तमाम पेंटिंग्स देखी जा सकती हैं।
बोलगट्टी पैलेस मेनलैंड से थोड़ी देर की बोट राइड पर बोलगट्टी आइलैंड पर स्थित है यह पैलेस, जिसे फिलहाल केरल टूरिज्म के होटल में बदल दिया गया है। गोल्फ कोर्स और बेहतरीन नजारों वाला यह पैलेस एक पॉप्युलर पिकनिक स्पॉट है।
हिल पैलेस 19वीं सदी के कोचीन के राजा द्वारा बनवाए गए इस महल को फिलहाल एक म्यूजियम में बदल दिया गया है, जहां शाही परिवार की तमाम चीजों को रखा गया है।
पल्लिपुरम यह बेहद पुराने यूरोपियन फोर्ट्स में से एक है, जिन्हें पुर्तगालों ने 1503 में बनवाया था।
मंगलवन बर्ड सेंचुरी शहर के मध्य में बनी इस सेंचुरी में पक्षियों की कई प्रजातियों को देखा जा सकता है।
केरल म्यूजियम केरल के कल्चर, इतिहास, पेंटिंग्स, मशहूर हस्तियों के बारे में जानने के लिए यह म्यूजियम बेस्ट जगह है।
चेरई बीच तैराकी का मजा देने वाला यह बीच मेनलैंड से हटकर व्यपीन नाम के छोटे आइलैंड के पास है।
मरीन ड्राइव बैकवॉटर की वजह से बना यह कोस्टल पाथवे दोपहर और शाम का वक्त बिताने के लिए बेस्ट है। यहां नावों, टैंकर्स, पैसिंजर बोट्स फिशिंग बोट्स के नजारे खूब देखे जा सकते हैं।
एलिफेंट सेंचुरी दुनिया में अपनी तरह की अनूठी से सेंचुरी में आप हाथियों को करीब से देखने व जानने का मौका आपको मिलेगा। यह गुरुवयूर मंदिर के पास स्थित है।
धामिर्क स्थल
सेंट फ्रांसेस चर्च यूरोपियंस द्वारा बनवाया गया यह देश का सबसे पुराना चर्च है। अपनी तीसरी विजिट के दौरान बीमार होने से वास्को डि गामा का मृत्यु केरल में हुई थी और तब उन्हें इसी चर्च में दफनाया गया था।
गुरुवयूर यहां के इस मशहूर श्री कृष्णा टेंपल में हर साल 10 मिलियन से भी ज्यादा तीर्थ यात्री आती हैं। कहा जाता है कि जातिवाद से हटकर सभी के लिए अपनी द्वार खोलने वाला यह पहला मंदिर है।
ज्यू सायनागॉज डच पैलेस के पास 1568 में बनी यह बिल्डिंग चाइनीज और बेल्जियन चीजों से सजी है, जहां कोचीन के पुराने समय को सहज ही महसूस किया जा सकता है।
त्रिचूर केरल की कल्चरल कैपिटल कहलाने वाले त्रिचूर में भगवान शिव को समर्पित एक शानदार मंदिर है।
सैंटा क्रूज बेसिलिका फोर्ट कोचीन में बनी इस चर्च को पहले 1505 में पुर्तगालों ने बनवाया था और 1558 में इसे केथेड्रेल का नाम दिया गया। ब्रिटिश शासकों ने इसे 1795 में नष्ट कर दिया था। मौजूदा स्वरूप 1905 का बना है, जिसे बेसिलिका का स्टेटस पाप जॉन पॉल 2 ने 1984 में दिया था।
चेरामन मस्जिद लगभग 629 एडी में बनी इस मस्जिद को देश में बनी पहली मस्जिद माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इसमें हिंदू आर्ट और आकिर्टेक्चर का प्रभाव नजर आता है।
जैन मंदिर यहां का धर्मनाथ जैन मंदिर 100 से भी पुराना है और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
त्रिक्ककारा मंदिर कोचीन से 10 किलोमीटर दूर बने इस मंदिर की शान ओणम के त्योहार के दौरान देखते ही बनती है। यहां भगवान विष्णु को वामन के रूप में पूजा जाता है।
क्या करें बोट राइड इर्नाकुलम को फोर्ट कोचीन और मेट्टनचेरी से अलग करने वाली बैकवॉटर लाइन पर आपको तमाम छोटे व मध्यम साइज के आइलैंड मिलेंगे। यह राइड आपको एक अलग तरह का यादगार अनुभव देगी।
बीच वॉक सुबह और शाम को यहां की सुकून भरी बीच वॉक का एक अलग ही मजा है।
आयुर्वेद मसाज छुट्टियों में यहां की आयुर्वेद मसाज करवा कर आप निश्चित रूप से तरोताजा हो जाएंगे।
जाने का बेहतरीन समय : अक्टूबर से मार्च

कहां रुकें: ठहरने के लिए यहां आपको तमाम बड़े और बजट होटल मिल जाएंगे। फिर यहां ट्रीहाउस और हाउस बोट में ठहरने की व्यवस्था भी है, जो आपको एक अलग रोमांच देगी।
कैसे घूमें: कोचीन का लोकल बस नेटवर्क अच्छा है और आराम से उस पर घूम सकते हैं। इसके अलावा, थोड़ी दूरी को ऑटोरिक्शा के जरिए पूरा किया जा सकता है, तो लंबी दूर के लिए टैक्सी लेना ठीक रहेगा।
कैसे पहुंचे: कोचीन हवाई, रेल और सड़क मार्ग से तमाम शहरों से जुड़ा है, इसलिए यहां पहुंचने में आपको खास परेशानी नहीं होगी।
साभार : मेधा चावला बतरा

2 Comments:

  1. विनोद कुमार पांडेय said...
    Shalini ji,
    bahut khubsurat tarike sa aapne kochin ki visheshata blog par ptstut kiya...padh kar ichcha jaagrit hua ghumane ki..

    bahut badhiya jaankari bhari prstuti..Thank You..
    संजय भास्‍कर said...
    बहुत सुन्दर रचना ।
    ढेर सारी शुभकामनायें.

    SANJAY BHASKAR
    TATA INDICOM
    HARYANA
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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