दुनिया में हर 10 सेकंड में एक मौत होती है डायबीटीज से। जी हां , नाम बेशक शुगर है लेकिन यह बीमारी धीमे जहर की तरह शरीर को खोखला करती है। गौर करनेवाली बात यह है कि दुनिया का हर 5 वां डायबीटीज मरीज भारतीय है। यही वजह है कि भारत डायबीटिक कैपिटल कहलाता है। लेकिन लाइफस्टाइल में सुधारकर इस बीमारी को खुद से दूर रखा जा सकता है। डायबीटीज से कैसे बचा जा सकता है , एक्सपर्ट्स से बात करके बता रही हैं प्रियंका सिंह :
डायबीटीज क्या है ?
डायबीटीज क्या है ?
डायबीटीज या शुगर लाइफस्टाइल संबंधी या वंशानुगत बीमारी है। जब पैंक्रियाज नामक ग्लैंड शरीर में इंसुलिन बनाना कम कर देता है या बंद कर देता है , तो यह बीमारी हो जाती है। इंसुलिन ब्लड में ग्लूकोज को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसकी मदद के बिना सेल्स शुगर ( ग्लूकोज ) को एनर्जी के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाते और यह बढ़ा हुआ शुगर लेवल डायबीटीज के रूप में सामने आता है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 10-15 साल लग जाते हैं। वैसे , 45-50 फीसदी मरीज वे होते हैं , जिनके परिवार में पहले से किसी को डायबीटीज रही हो।
डायबीटीज कितनी तरह की होती है ?
डायबीटीज को मुख्यत : दो वर्गों में बांटा जा सकता है : टाइप 1 या इंसुलिन आधारित डायबीटीज : इसमें इंसुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। ऐसा न करने पर मरीज बेहोश हो सकता है और कभी - कभी कोमा में भी चला जाता है। यह 3 से 25 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।
टाइप टू या बिना इंसुलिन आधारित डायबीटीज : इसमें इंसुलिन कम मात्रा में बनता है या पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। इस तरह की डायबीटीज आमतौर पर व्यस्कों में ही पाई जाती है और इंसुलिन आधारित डायबीटीज की तुलना में कम गंभीर होती है। डायबीटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटिगरी में आते हैं। एक्सरसाइज , बैलेंस्ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। डायबीटीज है तो किस MS">डॉक्टर के पास जाना चाहिए ? डायबीटीज का इलाज एंडोक्रिनॉलजिस्ट करते हैं। वैसे किसी भी ट्रेंड एमडी से डायबीटीज का इलाज कराया जा सकता है। अगर वह अपने नाम के आगे डायबीटॉजलिस्ट लिखता है तो और अच्छा है।
क्या वायरस के इन्फेक्शन से भी डायबीटीज की आशंका होती है ?
डायबीटीज कितनी तरह की होती है ?
डायबीटीज को मुख्यत : दो वर्गों में बांटा जा सकता है : टाइप 1 या इंसुलिन आधारित डायबीटीज : इसमें इंसुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। ऐसा न करने पर मरीज बेहोश हो सकता है और कभी - कभी कोमा में भी चला जाता है। यह 3 से 25 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।
टाइप टू या बिना इंसुलिन आधारित डायबीटीज : इसमें इंसुलिन कम मात्रा में बनता है या पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। इस तरह की डायबीटीज आमतौर पर व्यस्कों में ही पाई जाती है और इंसुलिन आधारित डायबीटीज की तुलना में कम गंभीर होती है। डायबीटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटिगरी में आते हैं। एक्सरसाइज , बैलेंस्ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। डायबीटीज है तो किस MS">डॉक्टर के पास जाना चाहिए ? डायबीटीज का इलाज एंडोक्रिनॉलजिस्ट करते हैं। वैसे किसी भी ट्रेंड एमडी से डायबीटीज का इलाज कराया जा सकता है। अगर वह अपने नाम के आगे डायबीटॉजलिस्ट लिखता है तो और अच्छा है।
क्या वायरस के इन्फेक्शन से भी डायबीटीज की आशंका होती है ?
कुछ परिस्थितियों में वायरस का इन्फेक्शन भी डायबीटीज की वजह होता है। राइनो वायरस का इन्फेक्शन होने पर ये पैंक्रियाज ग्लैंड में मौजूद बीटा सेल्स को नष्ट कर देते हैं। वायरस से लड़ने के लिए शरीर में पैदा हुए एंटीबॉडीज भी पैंक्रियाज पर अटैक करके बीटा सेल्स पर बुरा असर डालते हैं। नतीजतन , इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या कम हो जाता है।
डायबीटीज से कौन - कौन सी दिक्कतें आती हैं ?
डायबीटीज से कौन - कौन सी दिक्कतें आती हैं ?
कमजोरी , हाथ - पैरों का कांपना , सुनने में दिक्कत , कंधे में दर्द या जाम हो जाना। इसके अलावा मसूड़ों में सूजन , आंखों से कम दिखने लगना , याददाश्त कम होने जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।
क्या कुछ दवाएं भी बुरा असर डालती हैं ?
क्या कुछ दवाएं भी बुरा असर डालती हैं ?
मूत्रवर्धक , हाई बीपी स्टेरॉयड , कार्टीजोन , स्किन की बीमारियों की दवाएं और गर्भ - निरोधक दवाएं लगातार 6 महीने से ज्यादा वक्त तक लेते रहने से पैंक्रियाज के काम करने पर बुरा असर पड़ता है। इससे इंसुलिन बनना कम हो जाता है और डायबीटीज की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा , दिल की बीमारी होने या पैंक्रियाज ग्लैंड में सूजन होने पर डायबीटीज होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
क्यों हो जाती है शुगर की बीमारी ?
क्यों हो जाती है शुगर की बीमारी ?
खानदानी बीमारी : अगर परिवार में किसी को डायबीटीज रही हो तो आशंका बढ़ जाती है। उम्र : कभी भी हो सकती है , पर 80 फीसदी मामलों में 50 साल के बाद होती है। गलत खानपान : कम प्रोटीन , कम फाइबर वाली और तली - भुनी चीजें और जंक फूड खाना। मोटापा : बीएमआई 25 से ज्यादा हो , कमर का घेरा महिलाओं में 35 इंच और पुरुषों में 40 इंच से ज्यादा हो। सेडेंटरी लाइफस्टाइल : लगातार एक ही जगह बैठकर काम करना और एक्सरसाइज न करना। स्ट्रेस : ज्यादा तनाव में रहना और पूरा आराम न करना। बीपी : कम उम्र में हाई बीपी , हार्ट प्रॉब्लम या खून में कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा होना। दवाएं : हाई बीपी , जोड़ों के दर्द आदि में दिए जानेवाले स्टेरॉयड , कार्टीजोन , स्किन की बीमारियों की दवाएं और गर्भ - निरोधक दवाएं प्रेग्नेंसी : महिला को प्रेग्नेंसी के वक्त शुगर रही हो या बच्चा बेहद मोटा पैदा हुआ हो। शुगर की जांच के लिए कौन - कौन से टेस्ट कराने चाहिए ?
25 साल की उम्र में साल में एक बार ब्लड शुगर टेस्ट करा लें। शुगर लेवल थोड़ा भी ज्यादा आता है या फैमिली हिस्ट्री है तो ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट जरूर कराएं। जिनकी फैमिली हिस्ट्री है , वे तीन महीने में जांच कराएं। प्रेग्नेंसी के दौरान डायबीटीज होने पर बच्चे को इस बीमारी की कितनी आशंका होती है ? ऐसे में बच्चे को यह बीमारी होने के 27 फीसदी चांस होते हैं। ऐसी 40 फीसदी मांओं को ऐहतियात न बरतने पर चार साल के अंदर डायबीटीज हो जाती है। बच्चों को इस बीमारी से दूर रखने के लिए मोटापे से बचाएं।
25 साल की उम्र में साल में एक बार ब्लड शुगर टेस्ट करा लें। शुगर लेवल थोड़ा भी ज्यादा आता है या फैमिली हिस्ट्री है तो ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट जरूर कराएं। जिनकी फैमिली हिस्ट्री है , वे तीन महीने में जांच कराएं। प्रेग्नेंसी के दौरान डायबीटीज होने पर बच्चे को इस बीमारी की कितनी आशंका होती है ? ऐसे में बच्चे को यह बीमारी होने के 27 फीसदी चांस होते हैं। ऐसी 40 फीसदी मांओं को ऐहतियात न बरतने पर चार साल के अंदर डायबीटीज हो जाती है। बच्चों को इस बीमारी से दूर रखने के लिए मोटापे से बचाएं।
6 Comments:
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Thank You...
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अच्छी रचना है