क्या कहूं जिदंगी भी क्या चीज़ होती है...
पल में खूबसुरत तो पल में बदरंग होती है..
क्या कहूं जिदंगी भी क्या चीज़ होती है..
कभी मासुम तो कभी होश उड़ा देती है..
क्या कहूं कि जिदंगी भी क्या चीज़ होती है..
कभी बहुत कुछ दे देती है...तो कभी सब कुछ ले लेती है...
क्या कहूं जिदगी भी क्या चीज़ होती है..
5 Comments:
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साथी

उन कतरनों को सहेजने की कोशिश, जो इतिहास बनाने की कूबत रखते हैं।
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Mohalla Live10 years ago
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जय श्रीराम11 years ago
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टेडे थे रास्ते जमे कदम ना रहे
अच्छी रचना है बधाई
शुभकामनायें
Sanjay
haryana
लिखते रहें.
shubhkamnao sahit "akinchan"