शॉपिंग का चस्का तो सभी को होता है, लेकिन बिजी शेड्यूल के चलते बहुत से लोगों को मार्किट जाने का वक्त नहीं मिल पाता। इसी वजह से तमाम लोग ऑनलाइन शॉपिंग करने लगे हैं। बाजार तो फिर भी हफ्ते में एक दिन बंद रहता है, लेकिन नेट पर शॉपिंग सातों दिनों के 24 घंटों में किसी भी टाइम की जा सकती है। माउस के एक क्लिक से आप ट्रेन या एयरलाइंस के टिकट और किसी अनजान शहर में होटल बुक करवा सकते हैं, दोस्तों को बुके भेज सकते हैं या फैशनेबल आइटम खरीद सकते हैं। वैसे, शॉपिंग आप किसी भी चीज की करें, लेकिन इस मामले में सावधानी जरूर बरतें।
ऑनलाइन डीलर आजकल कोई भी किसी के नाम से ऑनलाइन शॉप सेटअप कर सकता है, इसीलिए नेट पर शॉपिंग से पहले ऑनलाइन डीलर का पता व फोन नंबर कंफर्म कर लें, ताकि बाद में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर किसी ई-मेल या पॉपअप मेसेज में आप से किसी तरह की फाइनैंशल इंफर्मेशन मांगी जाती है, तो इसे इग्नोर कर दें। कोई भी सामान खरीदने से पहले डीलर का ट्रैक रेकॉर्ड जरूर चेक करें। आपने जिन कंपनियों का नाम नहीं सुना है, उनसे सामान बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए।
क्वॉलिटी और कॉस्ट किसी भी सामान को ऑनलाइन खरीदने से पहले तमाम साइट्स चेक करें और इसके बाद ही डील फाइनल करें। बजट को ध्यान में रखते हुए सामान की कीमत के साथ डिलिवरी चार्ज भी जोड़ लें। कहीं ऐसा न हो कि सस्ते के चक्कर में आप महंगे के फेर में पड़ जाएं। और हां, किसी भी हालात में कैश बिल्कुल न भेजें।
क्रेडिट कार्ड से पेमंट अगर ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान पेमंट आप क्रेडिट कार्ड से करते हैं, तो आपका ट्रांजेक्शन फेयर क्रेडिट बिलिंग एक्ट के तहत आ जाता है। इससे विवादित मामले निपटाने में काफी मदद मिलती है। कंस्यूमर प्रॉटेक्शन के लिहाज से भी यह निहायत जरूरी है।
पर्सनल इंफर्मेशन नहीं अगर आप किसी कंपनी की वेबसाइट पर विजिट करते हैं, तो हो सकता है कि आपकी कंप्यूटर स्क्रीन पर पॉपअप मेसेज आ जाए। इसमें खरीदार की पर्सनल इंफर्मेशन लेने के लिए बॉक्स बने होते हैं। मशहूर कंपनियां पॉपअप स्क्रीन से कोई जानकारी लेने में दिलचस्पी नहीं रखतीं। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए आप अपने कंप्यूटर पर पॉपअप ब्लॉकिंग सॉफ्टवेयर लोड कर सकते हैं।
डॉक्युमेंटेशन जरूरी ऑनलाइन ऑर्डर प्रॉसेस पूरा होने के बाद आपको या तो फाइनल कन्फर्मेशन पेज मिलता है या फिर ई-मेल के जरिए सूचना मिलती है। इसे प्रिंट करके संभाल कर रखना बहुत जरूरी है। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर यह आपकी काफी मदद करेगी। इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड स्टेटमंट को भी ध्यान से देखना बहुत जरूरी है, ताकि ऑनलाइन खरीदारी के बहाने आपकी स्टेटमंट में अनाप-शनाप चार्ज न जोड़ दिए जाएं।
टर्म्स ऑफ द डील अगर नेट से शॉपिंग के बाद आप किसी आइटम से संतुष्ट नहीं हैं, तो उसे रिटर्न करने के बाद आपको कितना रिफंड मिलेगा, यह जानना भी बहुत जरूरी है। यह पता लगाना भी आपकी समझदारी मानी जाएगी कि अगर आप कोई आइटम कंपनी को रिटर्न करते हैं, तो उसका शिपिंग चार्ज या री-स्टॉकिंग फीस का खर्च किसे भुगतना होगा। अगर सामान की डिलिवरी की कोई डेट फाइनल नहीं है, तो फेडरल ट्रेड कमिशन (एफटीसी) के नियम के अनुसार सामान की डिलिवरी ऑर्डर डेट के 30 दिन के अंतर तक हो जानी चाहिए।

1 Comment:

  1. सुबोध said...
    हां फायदे कई हैं मजे से घर बैठे भीड़ भाड़ के झंझट से मुक्ति गुड

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