प्यार


प्यार को समझने की कोशिश में लगी रही...
लेकिन वो हमेशा एक पहेली बन कर मिलती रही..

जब लगता कि एक छोर तो पूरा हुआ,

तभी फिर नए छोर के साथ मिलती रही..

और ये सिलसिला लंबा होता गया...

जब भी लगा कि बूझ लिया

तो फिर से एक नये रंग में खड़ी मिली..

आखिर कब होगा ये सिलसिला पूरा

पूछा .तो कहने लगी कि यही तो प्यार है..

जो तुम्हें हमेशा मिलती रही...


शालिनी राय १९ सितंबर

0 Comments:

Post a Comment



Blogger Templates by Blog Forum