मैंने निखारने की कोशिश की
वो बिखरती चली गई..
मैंने रंग भरने की कोशिश की
वो बदरंग हो गई...
मैंने जब उसे संभाला...
उसे सहारा दिया..
वो बेसहारा हो गई...
मैंने बहुत कोशिश की,
फिर थक गई
तो उसने अपने आगोश में बैठा लिया...
और जिन्दगी बन गई...
शालिनी राय १९ सितंबर
0 Comments:
Subscribe to:
Post Comments (Atom)