अगर आप इतिहास में झांकने और खूबसूरत नजारों को देखने की हसरत रखते हैं, तो आंध्र प्रदेश का वारंगल आपके लिए एक आइडल स्पॉट हो सकता है। जानते हैं इसके बारे में : इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए देश में देखने लायक जगहों की कमी नहीं है। आंध्र प्रदेश का चौथा बड़ा शहर वारंगल भी इन्हीं में से एक है, जहां आप ऐतिहासिक मंदिरों व किलों में जाकर बीते समय को करीब से महसूस कर सकते हैं। इनमें से कई जगहें तो तीसरी शताब्दी में बनी हैं।
क्या देखें :
वारंगल फोर्ट 13वीं शताब्दी का यह किला हनमकोन्डा से 12 किलोमीटर दूरी पर है और यहां देखने लायक सबसे दिलचस्प जगह है। इसके अवशेष बीते समय की तमाम कहानियां सुनाने को बेताब नजर आते हैं।
हजार खंभों का टेंपल यह मंदिर कैकत्य आर्किटेक्चर व स्कल्प्चर का बेहतरीन उदाहरण है। इसके अंदर बनी रुदा देवी को 1163 में बनाया गया बताया जाता है। यह चौलकयन आर्किटेक्चर में बनी सितारे के आकार बनी श्राइन है।
भद्र काली मंदिर हनमकोन्डा और वारंगल के बीच स्थित एक पहाड़ी की चोटी पर बना यह मंदिर काली मां की पत्थर की मूर्ति के लिए मशहूर है। इसी के पास बने प्लैनेटोरियम और म्यूजिकल गार्डन भी लोगों के आकर्षण का केन्द हैं।
जैन मंदिर दो हजार साल पुराने इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर में तीर्थंकारों की खूबसूरत मूर्तियां लगी हैं, तो इस पर हुआ काम भी देखने लायक है।
कोलनुपाक कोलनुपाक वारांगल व हैदराबाद के बीच स्थित है। यह जगह 11वीं शताब्दी में कल्याणी चौलक्यास की दूसरी राजधानी हुआ करती थी। उस दौरान यह गांव जैन धर्म के लोगों में काफी मशहूर था और इसकी अहमियत आज भी बरकरार है।
श्री वीरनारायण मंदिर चौलक्यन अंदाज में यह मंदिर 1104 में बनाया गया था।
पाखल लेक वारंगल से 50 किलोमीटर दूर बनी यह लेक 30 स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है। इस लेक को कैकत्य राजा, गणपतिदेव ने 1213 में कृष्णा नदी के हिस्से से बनवाया था।
रामप्पा मंदिर इसे रामलिंगेश्वर मंदिर भी कहा जाता है और यह वारंगल से 70 किलोमीटर दूर पलमपत गांव में स्थित है। 1213 में बना यह खूबसूरत मंदिर कैकत्य राजधानी के भव्य इतिहास की गवाही देता है।
कोलनुपका म्यूजियम कोलनुपका तब चर्चा में आया था, जब कल्याणी चौल्कयों ने 11वीं शताब्दी में इसे अपनी दूसरी राजधानी बनाया था। उस समय की तमाम चीजें एक म्यूजियम में सहेज कर रखी गई हैं, जो वाकई देखने लायक हैं।
कब जाएं : अक्टूबर से मार्च का समय वारंगल जाने के लिए बेहतरीन है।
कैसे जाएं : हैदराबाद से वारंगल की दूरी 140 किलोमीटर है और यह निकटतम एयरपोर्ट है। वारंगल सभी मुख्य शहरों से रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा है।
क्या देखें :
वारंगल फोर्ट 13वीं शताब्दी का यह किला हनमकोन्डा से 12 किलोमीटर दूरी पर है और यहां देखने लायक सबसे दिलचस्प जगह है। इसके अवशेष बीते समय की तमाम कहानियां सुनाने को बेताब नजर आते हैं।
हजार खंभों का टेंपल यह मंदिर कैकत्य आर्किटेक्चर व स्कल्प्चर का बेहतरीन उदाहरण है। इसके अंदर बनी रुदा देवी को 1163 में बनाया गया बताया जाता है। यह चौलकयन आर्किटेक्चर में बनी सितारे के आकार बनी श्राइन है।
भद्र काली मंदिर हनमकोन्डा और वारंगल के बीच स्थित एक पहाड़ी की चोटी पर बना यह मंदिर काली मां की पत्थर की मूर्ति के लिए मशहूर है। इसी के पास बने प्लैनेटोरियम और म्यूजिकल गार्डन भी लोगों के आकर्षण का केन्द हैं।
जैन मंदिर दो हजार साल पुराने इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर में तीर्थंकारों की खूबसूरत मूर्तियां लगी हैं, तो इस पर हुआ काम भी देखने लायक है।
कोलनुपाक कोलनुपाक वारांगल व हैदराबाद के बीच स्थित है। यह जगह 11वीं शताब्दी में कल्याणी चौलक्यास की दूसरी राजधानी हुआ करती थी। उस दौरान यह गांव जैन धर्म के लोगों में काफी मशहूर था और इसकी अहमियत आज भी बरकरार है।
श्री वीरनारायण मंदिर चौलक्यन अंदाज में यह मंदिर 1104 में बनाया गया था।
पाखल लेक वारंगल से 50 किलोमीटर दूर बनी यह लेक 30 स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है। इस लेक को कैकत्य राजा, गणपतिदेव ने 1213 में कृष्णा नदी के हिस्से से बनवाया था।
रामप्पा मंदिर इसे रामलिंगेश्वर मंदिर भी कहा जाता है और यह वारंगल से 70 किलोमीटर दूर पलमपत गांव में स्थित है। 1213 में बना यह खूबसूरत मंदिर कैकत्य राजधानी के भव्य इतिहास की गवाही देता है।
कोलनुपका म्यूजियम कोलनुपका तब चर्चा में आया था, जब कल्याणी चौल्कयों ने 11वीं शताब्दी में इसे अपनी दूसरी राजधानी बनाया था। उस समय की तमाम चीजें एक म्यूजियम में सहेज कर रखी गई हैं, जो वाकई देखने लायक हैं।
कब जाएं : अक्टूबर से मार्च का समय वारंगल जाने के लिए बेहतरीन है।
कैसे जाएं : हैदराबाद से वारंगल की दूरी 140 किलोमीटर है और यह निकटतम एयरपोर्ट है। वारंगल सभी मुख्य शहरों से रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा है।
1 Comment:
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- सुबोध said...
September 17, 2009 at 2:53 AMपर्यटन में लोगों की दिलचस्पी खूब रहती है हर कोई कोशिश करता है कि वो ऐसी जगह जाए जहां भरपूर मजा लिया जा सके..इस लिहाज से अच्छी कोशिश
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