जी लो जी भर के
शीशे के अन्दर से बाहर झांक कर देखो
थोड़ी मिठ्ठी की खुशबू लेकर देखो
जब तक है जिन्दगी थोड़ा जी कर देखो
कभी शीशे के बाहर की बौछार में भीगकर देखो...
एसी टीवी ये ऐशोआराम से बाहर झांक कर देखो...
जब तक है जिन्दगी थोड़ा जी कर देखो
मुट्ठी भर पैसों के आगे कभी सोचकर देखो
कभी मजलूम मजबूर के चेहरे पर खुशी लाकर देखो
कभी नम पड़ी आखों को हंसा कर देखो...
छोटी सी है
जिन्दगी..इसे जी कर देखो..
शालिनी राय ६ अक्टूबर
6 Comments:
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Good thought if we follow in our life. be enjoy. Mudita
KABILE TARIF
-सही कहा.बढ़िया.
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?