सोने-चांदी और डायमंड की जूलरी की खरीदारी आज सिर्फ त्योहार और शादी जैसे विशेष मौकों तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह दैनिक जीवन की वस्तु बनती जा रही है। ज्यादातर लोग जरूरत पर ही जूलरी खरीदते हैं, तो कई लोगों के लिए शौक, निवेश या गिफ्ट देने के लिए पहली पसंद जूलरी ही होती है। ऐसे में इतनी सावधानी जरूर बरतनी चाहिए कि कोई आपको सस्ते के चक्कर में गलत चीज न पकड़ा दे।
भारत में सोने-चांदी का बाजार काफी बड़ा है। सोने की खपत के मामले में भारत विश्व में अव्वल है। यहां इसकी खपत 800 टन सालाना से भी ऊपर है। ऐसे में कम कीमत की चाह और थोड़ा लाभ लोगों को भरमा सकता है। इस बात को सोने का कारोबार करने वाले कारोबारी भी मानते हैं। सोने और चांदी की डिमांड इतनी ज्यादा है कि इसकी खरीदारी को सीमित दायरे में नहीं बांधा जा सकता। ऐसे में लोगों को खरीदारी करते हुए काफी एहतियात बरतने की जरूरत है।
हॉलमार्क सोने के जेवर खरीदते समय उन पर हॉलमार्क का निशान जरूर देखें। हॉलमार्क भारतीय मानक ब्यूरो का क्वॉलिटी का निशान होता है। इसका मतलब है कि सरकार ने इसकी जांच कर ली है और इसकी शुद्घता की गारंटी सरकार ने ले ली है। हॉलमार्क के निशान लगे सोने या गहने की रिसाइक्लिंग यानी उसे दोबारा बेचने पर ग्राहकों को माकेर्ट प्राइस मिलेगा। कट की गुंजाइश नहीं होगी। याद रखें, हॉलमार्क जूलरी से बेहतर कोई विकल्प नहीं होता।
शुद्घता जूलरी की शुद्घता कैरेट में नापी जाती है। सोने की शुद्घता से अर्थ है कि उसमें किसी अन्य धातु का कितना प्रतिशत हिस्सा मिला हुआ है। 18 कैरेट का मतलब है, सोने के 18 हिस्से के साथ अन्य धातु का 82 हिस्सा। जूलरी में 100 प्रतिशत शुद्घ सोना प्रयोग नहीं किया जाता, क्योंकि यह बहुत अधिक मुलायम होने के कारण अधिक समय तक जूलरी के आकार में नहीं रहेगा। जूलरी की अधिकतम शुद्घता 99.9 प्रतिशत हो सकती है। इसे 24 कैरेट कहा जाता है। आम चलन 22 कैरेट (91.6 प्रतिशत शुद्घ) या 18 कैरेट (75 प्रतिशत शुद्घ) गोल्ड जूलरी का होता है। सोने की शुद्घता की जानकारी के लिए जूलर से बात करें।
जूलर जूलरी हमेशा मान्यता प्राप्त जूलर से ही खरीदें। इससे यह फायदा होगा कि गलत या खराब माल को आसानी से वापस किया जा सकता है। ऐसी शॉप्स पर क्वॉलिटी प्रॉडक्ट मिलने की संभावना हमेशा ज्यादा होती है। जूलर की रिफंड और रिटर्न पॉलिसी के बारे में भी पूछ लें।
रसीद जूलरी खरीदने के बाद उसकी रसीद अवश्य लें। इस पर यह लिखवाएं कि सोना कितने कैरेट है और उत्पाद पर हॉलमार्क का निशान लगा हुआ है या नहीं। जूलरी की गारंटी, वजन, शुद्घता, कीमत आदि के बारे में लिखित में लें। सोने के बाजार भाव से कीमत की कैलकुलेशन जरूर करें।

1 Comment:

  1. सुबोध said...
    अच्छी जानकारी

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