शाहरुख एक्टर हैं तो अमर सिंह उनसे बड़े कलाकार है। एक पर्दे पर रुलाता और हंसाता है तो दूसरा राजनीति के सीने पर बरसों से मूंग दल रहा है। ड्रामेबाज दोनो हैं, फर्क बस इतना है कि एक ड्रामा करके पैसे बनाता है और दूसरा ड्रामा करके लोगों को बेवकूफ। शाहरुख अमेरिका से अपमानित होकर इंडिया पहुंचे तो उनका स्वागत किसी गोल्ड मेडल जीते खिलाड़ी की तरह हुआ। शायह ये पहली बार हुआ होगा कि अपमान को इस कदर सम्मान मिला हो। लेकिन ये बात राजनीति के मंच पर अमूमन अपमानित होने के आदी अमर सिंह को अच्छी नहीं लगी। अपमान से उनका तालुक्क पुराना है, लेकिन अपमान के सम्मान का स्वाद शाहरुख को जिस तरह चखने को मिला वो अमर बाबू को कभी नहीं मिला। दर्द दिल से निकला और जुबां पर आ गया और शाहरुख के अपमान को वो पब्लिसिटी स्टंट बता बैठे। अमर सिंह अपनी चुभने वाली शायरी से अक्सर लोगों को घायल करते रहे हैं। लेकिन उनकी जुबान की ये चुभन शाहरुख ने पहली बार महसूस की। शाहरुख ने भी अमर को खरी खोटी सुनाने में देर नहीं लगाई। अपमान पर अपमान का शो चलता रहा। चैनल वाले टीआरपी बटोरते रहे और दर्शक हमेशा की तरह बेवकूफ बनते रहे। इस चर्चा में ये सवाल कहीं गुम हो गया कि आम आदमी के अपमान पर इतना बवाल कभी क्यों नहीं हुआ। पुलिस से लेकर सरकारी मुलाजिमों की चौखट पर आम आदमी रोज अपमानित होता रहा। लेकिन इस अपमान पर टीवी के चौखटे पर कभी कोई बहस क्यों नहीं हुई। फिलहाल दौर ग्लैमर का है सो अपमान भी ग्लैमरस हो चुका है।
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