गलत खानपान , स्ट्रेस और गड़बड़ लाइफस्टाइल के चलते आजकल बड़ी तादाद में लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान हैं। अगर वक्त रहते कंट्रोल न किया जाए तो हाई बीपी कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। हाई बीपी एक ' साइलंट डिज़ीज ' है यानी ज्यादातर लोगों में इसका कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। ऐसे में जब तक बीपी की जांच न हो , तब तक उन्हें पता ही नहीं लग पाता।

कब समझें कि हाई बीपी के शिकार हो गए हैं - जब भी बीपी छह महीने तक लगातार 85 से ज्यादा रहे। कभी - कभी स्ट्रेस या किसी और वजह से बीपी 85 से ऊपर हो सकता है , लेकिन फिक्र की बात तब है जब लगातार छह महीने तक ऐसा हो। 50 साल से ज्यादा उम्र वालों का बीपी कुछ ज्यादा होना नॉर्मल है पर अपर बीपी 139 और लोअर बीपी 89 से ज्यादा न हो। वैसे 55 साल के बाद अक्सर यह देखने में आता है कि नीचे का बीपी तो तकरीबन नॉर्मल आता है , पर ऊपर का बीपी ज्यादा आता है। यानी ज़रूरी नहीं कि अपर बीपी और लोअर बीपी की माप एक ही कैटिगरी में आए। ऐसे में आप खुद को ज्यादा गंभीर कैटिगरी में मानें। मसलन , अगर किसी का अपर बीपी 160 है और लोअर बीपी 80 तो वह हाइपरटेंशन स्टेज -2 कैटिगरी में है। अगर किसी का अपर बीपी 120 है और लोअर 95 तो वह हाइपरटेंशन स्टेज -1 कैटिगरी में है।

जब बीपी हो जाए हाई ...
1. स्टेस करें कंट्रोल : स्ट्रेस कंट्रोल करने के लिए चिंता , तनाव और गुस्से से बचें। हर वक्त जल्दबाजी में न रहें। शांत और खुश रहें।
आराम : दिन भर काम के दौरान बीच - बीच में थोड़ी देर के लिए रिलैक्स जरूर हो लें।
नींद : हाई बीपी की शिकायत जिन लोगों को है उन्हें कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। रात को सोते समय सिर उत्तर दिशा में न रखें। सिरहाना बहुत मोटा और सख्त न हो।
म्यूज़िक : सॉफ्ट या क्लासिकल म्यूज़िक ( शास्त्रीय संगीत ) सुनें। रोज करीब आधे घंटे तक क्लासिकल म्यूज़िक सुनने से हाई बीपी घटता है। ऐसा चार हफ्ते तक लगातार करने पर आपको बीपी में कमी मिलेगी।
मेडिटेशन : हमारा मन हर वक्त कुछ न कुछ सोचता रहता है। ध्यान यानी मेडिटेशन के समय मन को किसी एक विषय पर फोकस किया जाता है। जैसे - सांस के आने - जाने पर , किसी आवाज पर या फिर किसी मंत्र पर। किसी से मेडिटेशन सीख लें। रोज दिन में दो बार 20 मिनट तक मेडिटेशन करने से हाई बीपी कंट्रोल होता है।
2. बढ़ाएं शारीरिक मेहनत : ब्लड प्रेशर नॉर्मल रखने का सबसे आसान तरीका है रेग्युलर एक्सरसाइज। रोज आधे घंटे की एक्सरसाइज से शरीर के अंदर नाइट्रिक ऑक्साइड एक्टिवेट होता है , जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। सैर करना , लिफ्ट की जगह सीढि़यों का इस्तेमाल और घर के काम खुद करना काफी फायदेमंद है।
3. घटाएं वजन : मोटापा हाई बीपी की खास वजह होता है , उसे घटाएं।
4. छोड़ें स्मोकिंग व ड्रिंकिंग : सिगरेट , शराब और गुटखा बिल्कुल छोड़ दें तो अच्छा है , नहीं तो कम ज़रूर कर दें।
5. ठीक करें खानपान : पोटैशियम वाली चीजें ज़रूर लें। पोटैशियम दूध और फल - सब्जियों में पाया जाता है। छाछ , दही , केला , किशमिश , खजूर , आलू , बींस , गाजर , पालक , शकरकंद और टमाटर ले सकते हैं। लंबी लौकी का जूस , संतरे का जूस , गाजर और पालक का मिक्स्ड जूस , खीरा , पुदीने की चटनी खासतौर पर फायदेमंद है। सुबह पपीता लें। तरबूज खाते वक्त हल्का नमक व काली मिर्च डालकर खाएं। हां , जो लोग हाई बीपी के साथ - साथ किडनी की बीमारी से भी परेशान हैं , वे ज्यादा पोटैशियम वाली चीजें कम खाएं , मसलन - केला , संतरा , किशमिश , खजूर , खूबानी , गाजर जूस , बींस , सोयाबीन , मसूर की दाल , पालक , आलू।
कैल्शियम वाली चीजें : लो फैट दूध व दूध से बनी चीजें , दही , छाछ।
मैग्नीशियम वाली चीजें : सरसों जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां , साबुत अनाज , फल , गहरे हरे पत्तों वाली सब्जियां , घीया और पिस्ता , अखरोट , बादाम , काजू जैसे ड्राई फ्रूट्स , बींस , मटर , सोयाबीन का आटा , चॉकलेट व कोको पाउडर में मैग्नीशियम होता है। ब्राउन ब्रेड में सफेद रिफाइंड या प्रॉसेस्ड आटे के ब्रेड के मुकाबले ज्यादा मैग्नीशियम होता है। धनिया , सूखी सरसों , सौंफ , जीरा आदि कुछ मसालों में भी यह पाया जाता है।
मूत्रवर्धक चीजें : बीपी बढ़ने पर मूत्र की मात्रा बढ़ाएं तो अच्छा होता है। इसके लिए ठंडी व पेशाब लाने वाली चीजें जैसे खीरा , छाछ , नारियल पानी , गाजर का रस , सेब , पपीता , अनार , तरबूज , खरबूजा और हरी सब्जियां या इनका जूस लें। जो सब्जियां बेलों पर उगती हैं , वे मूत्र लाने में सहायक होती है , उनका इस्तेमाल करें। नारियल पानी भी फायदेमंद है।
साबुत अनाज : गेहूं पिसवाएं तो चोकर रहने दें। चना कम लें। जौ व जई का इस्तेमाल करें। अंकुरित अनाज भी बेहतर रहता है।
ड्राई फ्रूट्स : दो अखरोट की गिरियां और बादाम की छह गिरियां रात को भिगोकर सुबह खाएं। गमिर्यों में भी भीगे बादाम खाने में हर्ज नहीं।
कम लें नमक : दिन भर में ढाई ग्राम सोडियम यानी 6 ग्राम या एक चम्मच से ज्यादा नमक न लें। यहां तक कि सेंधा नमक भी कम लें। सिर्फ नमक की मात्रा घटाने से ही हाई बीपी कम हो जाता है। ब्रेड में भी नमक होता है। सोडियम भी कम लें। इन चीजों में सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है , इनसे बचें। जैसे - मट्ठी , नमकीन , भुजिया , दालमोठ , पराठा , पूरी , चाट - पकौड़ी और फ्रेंच फ्राइज , पॉपकॉर्न , नमकीन काजू , आलू चिप्स , नमकीन मक्खन , प्रोसेस्ड फूड , डिब्बाबंद अचार - मुरब्बे , टमेटो व सोया सॉस , बिस्कुट , केक , पेस्ट्री , वड़ा , डोसा , उत्तपम , आइसक्रीम।
फैट : खाने में एक महीने में घी - तेल - मक्खन तीनों को मिलाकर सिर्फ आधा किलो से ज्यादा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए , यानी एक दिन में 15 ग्राम से ज्यादा नहीं। छोले - भठूरे , समोसे , पकौड़े आदि तली - भुनी चीजें खाने से बीपी बढ़ता है। खाना बनाने में सरसों , मूंगफली व सूरजमुखी का तेल और कॉर्न ऑयल का इस्तेमाल अच्छा रहता है। ऑलिव ऑयल यानी जैतून के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इनके अलावा वे चीजें भी कम लें जो पेशाब कम लाती हैं जैसे तीखे मिर्च - मसाले वाली चीजें। चीनी , चाय , कॉफी , कोला , नॉनवेज खाना और पेनकिलर दवाएं भी कम लें।

साभार नरेश तनेजा और नीतू सिंह

3 Comments:

  1. Mishra Pankaj said...
    अच्छी जानकारी !!
    RAJIV MAHESHWARI said...
    हमारा तो कंट्रोल में है.......अच्छी जानकारी ........
    संजय भास्‍कर said...
    बहुत सुन्दर रचना ।
    ढेर सारी शुभकामनायें.

    SANJAY
    haryana
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Post a Comment



Blogger Templates by Blog Forum