प्रॉपर्टी की खरीदारी आज इतना महंगा सौदा हो चुका है कि इसे अकेले दम पर खरीदना आसान काम नहीं रहा। ऐसे में कई लोग मिलकर भी प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं। हालांकि इस दौर में आपको इसके तमाम कानूनी पहलुओं के बारे में भी जानकारी जरूर रखनी चाहिए।
अगर किसी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक एक से ज्यादा व्यक्तियों के नाम हो, तो इसे 'जॉइंट ओनरशिप' या साझा मालिकाना हक कहते हैं। पैतृक संपत्ति में बेटे व बेटियों का साझा व समान हिस्सा होता है। किसी भी प्रॉपर्टी का कोई को-ओनर प्रॉपर्टी में अपनी हिस्सेदारी किसी अजनबी या दूसरे को-ओनर के नाम हस्तांतरित कर सकता है। यह हस्तांतरण पाने वाला व्यक्ति प्रॉपर्टी का को-ओनर हो जाता है। बंटवारे के जरिए को-ओनरशिप को इकलौते मालिकाना हक में भी तब्दील किया जा सकता है। अगर किसी प्रॉपर्टी में किसी का शेयर है, तो इसका मतलब हुआ कि उस प्रॉपर्टी की जॉइंट ओनरशिप है। को-ओनर के पास प्रॉपर्टी पर कब्जे का अधिकार, उसका इस्तेमाल करने का अधिकार और यहां तक कि उसे बेचने तक का अधिकार होता है।
टेनेंट्स-इन-कॉमन 'टेनेंट्स-इन-कॉमन' को-ओनरशिप का एक प्रकार है, लेकिन इस तरह की को-ओनरशिप के बारे में कानूनी दस्तावेजों में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बताया गया है। पूरी प्रॉपर्टी में प्रत्येक टेनेंट-इन-कॉमन का अलग-अलग हित होता है। अलग-अलग हित होने के बावजूद प्रत्येक टेनेंट-इन-कॉमन के पास यह अधिकार होता है कि वह पूरी प्रॉपर्टी का पजेशन रख सकता है या उसे इस्तेमाल कर सकता है। यह जरूरी नहीं है कि पूरी प्रॉपर्टी में प्रत्येक टेनेंट-इन-कॉमन का अलग-अलग, लेकिन बराबर हित हो। पूरी प्रॉपर्टी में उनके हित एक-दूसरे से कम या ज्यादा भी हो सकते हैं। उन सभी के पास अपने-अपने हित किसी दूसरे के नाम हस्तांतरण करने का भी अधिकार होता है, लेकिन उनके पास सर्वाइवरशिप का अधिकार नहीं होता। ऐसे में किसी टेनेंट-इन-कॉमन की मौत के बाद उनका हित या तो वसीयत या फिर कानून के मुताबिक हस्तांतरित होता है। जिस व्यक्ति के नाम यह हस्तांतरण होता है, वह को-ओनर्स के साथ टेनेंट-इन-कॉमन बन जाता है।
जॉइट टेनेंसी 'जॉइंट टेनेंसी' में सर्वाइवरशिप का अधिकार होता है। किसी जॉइट टेनेंट की मौत के बाद, प्रॉपर्टी में उनका हित तत्काल बाकी जीवित बचे जॉयंट टेनेंट्स के नाम हस्तांतरित हो जाता है। जॉयंट टेनेंट्स पूरी प्रॉपर्टी में एक एकीकृत हित के अधिकारी होते हैं। प्रत्येक जॉइंट टेनेंट का प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सा होना चाहिए। प्रत्येक जॉइंट टेनेंट पूरी प्रॉपर्टी का कब्जा रख सकता है, बशर्ते इससे दूसरे जॉइंट टेनेंट के अधिकारों का हनन नहीं होता हो। जॉइंट टेनेंसी हासिल करने के लिए कई शर्तें पूरी करनी होती हैं। जॉइंट टेनेंट्स के हित अलग-अलग नहीं हो सकते और वे अपने-अपने हित एक ही तरीके से भुना सकते हैं। जॉइंट टेनेंसी वसीयत या डीड के जरिए बहाल कराई जा सकती है।
को-ओनरशिप इस तरह की को-ओनरशिप खासकर पति-पत्नी के लिए है, क्योंकि इसमें सर्वाइवरशिप का अधिकार हासिल है। यानी किसी एक की मौत के बाद प्रॉपर्टी का हित अपने आप दूसरे जीवित बचे ओनर के पास हस्तांतरित हो जाता है। इस तरह की ओनरशिप के तहत पति या पत्नी में से किसी को भी अपने हित किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करने का अधिकार नहीं है। हालांकि पति या पत्नी आपस में यह हस्तांतरण कर सकते हैं। इस तरह की टेनेंसी तलाक, पति-पत्नी में से किसी की मौत या फिर पति-पत्नी के बीच आपसी करार के जरिए ही खत्म की जा सकती है।
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपटीर् एक्ट, 1882 की धारा 44 में किसी को-ओनर द्वारा अपने अधिकार हस्तांतरित किए जाने से संबंधित नियमों का उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक, किसी अचल संपत्ति का को-ओनर कानूनी तौर पर संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी हस्तांतरित कर सकता है। यह हस्तांतरण पाने वाले व्यक्ति के पास हस्तांतरण करने वाले के सारे अधिकार आ जाते हैं और वह प्रॉपर्टी के बंटवारे की मांग भी कर सकता है।

5 Comments:

  1. परमजीत सिहँ बाली said...
    उपयोगी जानकारी है आभार।
    दिगम्बर नासवा said...
    अच्छी पोस्ट ........ काम का लिखा है बहुत .........
    विनोद कुमार पांडेय said...
    ज्ञानवर्धक जानकारी से भरा बढ़िया आलेख..धन्यवाद!!!
    Dr. Zakir Ali Rajnish said...
    संजय भास्‍कर said...
    अच्छी पोस्ट ........ काम का लिखा है बहुत .........

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