रोज़ हम अपने सपने को पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहे है...इस यकीन से की ये जानकारी जो मैं आपको दे रही हूं..आपको आपके सपने के बेहद नजदीक तो ले ही जायेगी...आपका सपना पूरा हो और ये जानकारियां आपका सपना पूरा करने में आपकी मदद करें...मेरे लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता है...तो चलिये आज आपको आपके सपने को पाने की आखिरी पड़ाव को भी जान लेते है...सबसे पहले बात लोन की रीपेमंट पर....

लोन का रीपेमंट

1. पोस्ट डेटेड चेक : बैंक में 36 पोस्ट-डेटेड चेक जमा करा दिए जाते हैं, जिनसे खुद-ब-खुद ईएमआई की रकम बैंक को मिल जाती है।

2. सीधे एंप्लॉयर से : कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को यह सुविधा देते हैं। इस व्यवस्था में कंपनी कर्मचारी की सैलरी से ईएमआई की रकम काटकर बैंक को दे देती है और बाकी सैलरी कर्मचारी के अकाउंट में आ जाती है।

3. कैश पेमंट : ईएमआई आप ड्राफ्ट या कैश की मदद से हर महीने भी बैंक में जमा करा सकते हैं। हालांकि, कुछ बैंक ऐसी सुविधा नहीं देते।

4. ईसीएस : ईएमआई अदा करने का कारगर तरीका है। इस व्यवस्था में ईएमआई की रकम हर महीने आपके बैंक अकाउंट से अदा की जाती रहती है।

प्रीपेमंट/प्रीक्लोजर लोन ली गई रकम का प्रीपेमंट जब चाहे तब किया जा सकता है। आप चाहें तो कुछ रकम वक्त से पहले अदा कर दें और चाहें तो पूरी रकम। कुछ बैंक कहते हैं कि कुछ निश्चित बार ही आप प्रीपेमंट कर सकते हैं। कुछ समय पहले तक प्रीपेमंट करने पर बैंक कुछ फीस चार्ज करते थे, लेकिन अब बढ़ते कॉम्पिटीशन के चलते कुछ बैंकों ने यह फीस चार्ज करना बंद कर दिया है। आमतौर पर यह फीस आउटस्टैंडिंग रकम का 2 फीसदी होती है। जब लोन का पूरा पेमंट हो जाए (चाहे प्रीपेमंट के जरिये या फिर वक्त पर) तो बैंक से अपनी प्रॉपर्टी के ऑरिजनल पेपर्स ले लें। साथ ही बैंक से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी लें। कई बार बैंक एक सर्टिफिकेट भी जारी कर देते हैं कि प्रॉपर्टी अब मॉर्गिज में नहीं है। अगर आपका लोन सैंक्शन होते वक्त गारंटर्स भी थे तो बैंक उनके लिए अलग से सर्टिफिकेट इश्यू करेगा कि अब उनकी जिम्मेदारी खत्म हुई।

होम लोन का टैक्स बेनिफिट

होम लोन को लौटाने में जो ईएमआई दी जाती है, उसका कुछ हिस्सा प्रिंसिपल अमाउंट होता है और कुछ हिस्सा ब्याज। जो रकम ब्याज के रूप में अदा की जाती है उस पर इनकम टैक्स के सेक्शन 24 बी के तहत टैक्स में राहत मिलती है। इसकी सीमा डेढ़ लाख रुपये है। जो रकम प्रिंसिपल अमाउंट के तौर पर अदा की जाती है, उस पर 80सी के तहत छूट मिलती है। इसे एक लाख रुपये की सीमा के अंदर काउंट किया जाता है। इसके लिए बैंक द्वारा जारी किया गया सर्टिफिकेट पेश करना होता है, जिसमें बताया जाता है कि आपने पूरे साल के दौरान कितनी रकम प्रिंसिपल के तौर पर अदा की और कितनी ब्याज के तौर पर।

होम लोन का इंश्योरंस अक्सर लोग इस डर के चलते होम लोन नहीं लेते कि अगर कोई अनहोनी हो गई तो लोन की रकम कौन चुकाएगा। इसके लिए इंश्योरंस कंपनियां कस्टमर द्वारा लिए गए होम लोन का इंश्योरंस ऑफर करती हैं। होम लोन का इंश्योरंस कराने के बाद अगर कस्टमर की असमय मौत हो जाती है तो बची हुई रकम का भुगतान इंश्योरंस कंपनी करती है। इंश्योरंस के प्रीमियम के तौर पर दी जा रही रकम पर इनकम टैक्स में छूट भी मिलती है। कंपनियां कई तरह के ऑप्शंस देती हैं, फिर भी आमतौर पर दो तरह के प्लान हैं।

सिर्फ इंश्योरेंस प्लान : इसमें लोन रीपेमंट की अवधि के दौरान मौत हो जाने पर रीपेमंट की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। लेकिन, अगर एक बार आपका रीपेमंट पूरा हो गया तो इंश्योरंस खत्म हो जाता है और कस्टमर को कंपनी की तरफ से सिर्फ सम अश्योर्ड ही मिलता है। बोनस आदि कुछ नहीं मिलता। इस तरह की स्कीमों में प्रीमियम की रकम कम होती है।

इंश्योरंस के साथ इनवेस्टमंट प्लान : इसमें होम लोन के रिस्क कवर के साथ इनवेस्टमंट संबंधी फायदे भी मिलते हैं। रीपेमंट पूरा हो जाने के बाद कस्टमर को सम अश्योर्ड के साथ उस वक्त तक बोनस भी मिलता है। इस तरह की पॉलिसीज में प्रीमियम की रकम थोड़ी ज्यादा होती है।

बात पते की : कई बैंक होम लोन देते वक्त होम लोन के इंश्योरंस की व्यवस्था भी साथ ही कर देते हैं यानी आपकी ईएमआई में होम लोन के इंश्योरंस के प्रीमियम की रकम भी जोड़ ली जाती है। कुछ बैंकों के इंश्योरंस कंपनियों से टाईअप होते हैं। ऐसे में बैंक से होम लोन लेते वक्त ही होम लोन के इंश्योरंस की बात भी कर लेनी चाहिए। अगर आपका लाइफ इंश्योरंस है, फिर भी लोन का इंश्योरंस कराना चाहिए।

5 कॉमन मिस्टेक्स टॉप-अप लोन लेना: टॉप-अप लोन होम लोन के साथ दिया जाने वाला एडिशनल लोन होता है, जिसका मकसद मकान के इंटीरियर डेकोरेशन और इसी तरह के दूसरे खर्चों को पूरा करना होता है। कुछ बैंक होम लोन के साथ टॉप-अप लोन का भी ऑफर देते हैं। लोग आमतौर पर इन लोन को ले लेते हैं और बाद में उन्हें पता चलता है कि टॉप-अप लोन को पर्सनल लोन के तौर पर ट्रीट किया जाता है, जिसकी ब्याज की दर होम लोन की दर से कहीं ज्यादा होती है।

नेगेटिव अमॉर्टाइजेशन: नेगेटिव अमॉर्टाइजेशन की स्थिति तब आती है जब किसी खास अवधि में बैंक लोन की किस्त कम कर देते हैं। इस तरह की सुविधा वाला लोन यंग प्रफेशनल्स के लिए ऑफर किया जाता है। इसमें शुरुआती बरसों में सिर्फ ब्याज की रकम वसूलकर ईएमआई को कम दिखा दिया जाता है। दो साल बाद आपको पता चलता है कि प्रिंसिपल के रूप में आपने कुछ भी अदा नहीं किया है और इस तरह आपके द्वारा वापस की जाने वाली राशि लगभग ज्यों की त्यों बनी रहती है।

प्रॉपर्टी किसी के नाम, लोन किसी के नाम- अक्सर लोग किसी और के नाम पर मौजूद प्रॉपर्टी पर लोन लेने की गलती कर देते हैं। इसे इस उदाहरण से देखिए। मिस्टर शर्मा की मां के नाम कुछ जमीन थी। उन्होंने उस जमीन पर घर बनाने के लिए होम लोन अपने नाम पर ले लिया। ऐसी गलती न करें। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो आपको होम लोन पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलेगा।

कल के बल पर लोन -कई बार यंग प्रफेशनल्स इस उम्मीद में कूवत से ज्यादा लोन ले लेते हैं कि आने वाले वक्त में उनकी आमदनी बढ़ जाएगी, लेकिन आजकल के माहौल में इस बात की कोई गारंटी नहीं कि आने वाले साल में आपकी आमदनी बढ़ ही जाएगी। ऐसे में कल आमदनी बढ़ जाने के भरोसे लिए गए लोन की रीपेमंट करना मुश्किल काम हो सकता है।

बैंक चुनने में जल्दबाजी- कई बार प्रॉपर्टी का चुनाव करने से पहले ही लोग लोन लेने के लिए बैंक से बात करना शुरू कर देते हैं। पहले प्रॉपर्टी फाइनल करें, फिर बैंक से लोन की सैंक्शन लें। कई बैंक रहने के लिए तैयार मकान पर ही लोन देते हैं। इसके अलावा, याद रखें कि बैंकों की सभी टर्म नेगोशिएबल होती हैं। बैंक का फैसला कई बैंकों से जानकारी लेने के बाद ही करें, तो अच्छा है।

तो ये थी सारी लोन से संबधित जानकारी जो आपको आपके सपने तक हिफाज़त से और किफायती तरीके से पहुचां सकती है...

(एक्सर्पट्स पैनल- सीए सुभाष लखोटिया, सीए सत्येंद्र जैन)

1 Comment:

  1. सुबोध said...
    good and informative article

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