( ये खबर उम्मीद जगाती है। खबर बीबीसी से साभार है। खुश होने की कई वजहें हैं)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) का कहना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाएँ मंदी के दौर से निकलनी शुरू हो गई है लेकिन ये अनियमित और धीमी होगी.आईएमएफ़ का कहना है कि वित्तीय बाज़ार और बैंकों के सामने अब भी समस्याएँ हैं.उसका कहना है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं की विकास की गति अगले साल के अंत में ही ज़ोर पकड़ पाएगी.आईएमएफ़ का कहना है कि अभूतपूर्व आर्थिक और वित्तीय क़दमों के कारण ये स्थिरता आई है.बीबीसी संवाददाता का कहना है कि आईएमएफ़ की रिपोर्ट कोई बहुत सुनहरी तस्वीर नहीं पेश करती.दरअसल आईएमएफ़ का अब भी मानना है कि वैश्विक आर्थिक संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है.भारत की विकास दर इधर आईएमएफ़ ने वर्ष 2009 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 5.4 फ़ीसदी कर दिया है.इसके पहले आईएमएफ़ ने भारत की विकास दर 4.5 फ़ीसदी रहने की बात कही थी.आईएमएफ़ का मानना है कि चीन की विकास दर 7.5 फ़ीसदी रहेगी जबकि पहले उसने ये दर 6.5 फ़ीसदी रहने का आकलन किया था.आईएमएफ़ का मानना है कि वित्तीय संकट इसलिए गहराया क्योंकि वित्तीय संस्थाएं ग़ैरज़िम्मेदाराना ढंग से उधार दे रही थीं.साथ ही इसके गंभीर होने की एक वजह ये भी थी कि दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ गिरावट आई.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) का कहना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाएँ मंदी के दौर से निकलनी शुरू हो गई है लेकिन ये अनियमित और धीमी होगी.आईएमएफ़ का कहना है कि वित्तीय बाज़ार और बैंकों के सामने अब भी समस्याएँ हैं.उसका कहना है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं की विकास की गति अगले साल के अंत में ही ज़ोर पकड़ पाएगी.आईएमएफ़ का कहना है कि अभूतपूर्व आर्थिक और वित्तीय क़दमों के कारण ये स्थिरता आई है.बीबीसी संवाददाता का कहना है कि आईएमएफ़ की रिपोर्ट कोई बहुत सुनहरी तस्वीर नहीं पेश करती.दरअसल आईएमएफ़ का अब भी मानना है कि वैश्विक आर्थिक संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है.भारत की विकास दर इधर आईएमएफ़ ने वर्ष 2009 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 5.4 फ़ीसदी कर दिया है.इसके पहले आईएमएफ़ ने भारत की विकास दर 4.5 फ़ीसदी रहने की बात कही थी.आईएमएफ़ का मानना है कि चीन की विकास दर 7.5 फ़ीसदी रहेगी जबकि पहले उसने ये दर 6.5 फ़ीसदी रहने का आकलन किया था.आईएमएफ़ का मानना है कि वित्तीय संकट इसलिए गहराया क्योंकि वित्तीय संस्थाएं ग़ैरज़िम्मेदाराना ढंग से उधार दे रही थीं.साथ ही इसके गंभीर होने की एक वजह ये भी थी कि दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ गिरावट आई.
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